सम्पादकीय

प्रत्यारोपण में कामयाबी

Rani Sahu
25 Oct 2021 2:57 PM GMT
प्रत्यारोपण में कामयाबी
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अंग प्रत्यारोपण विज्ञान उस दिशा में बढ़ चला है, जहां जानवरों के अंग इंसानों में लगाना और आसान हो जाएगा

अंग प्रत्यारोपण विज्ञान उस दिशा में बढ़ चला है, जहां जानवरों के अंग इंसानों में लगाना और आसान हो जाएगा। वैज्ञानिकों ने एक सुअर के गुर्दे को अस्थाई रूप से मानव शरीर से जोड़ने में कामयाबी हासिल की है। जानवर के गुर्दे को बाहर से ही मानव शरीर की धमनियों से जोड़कर दो दिन तक देखा गया और गुर्दे ने वही काम किया, जो उसे करना चाहिए था। एनवाईयू लैंगोन हेल्थ में पिछले महीने सर्जिकल टीम का नेतृत्व करने वाले डॉक्टर रॉबर्ट मोंटगोमरी ने कहा, 'यह बिल्कुल सामान्य था। इसमें मानव शरीर ने जानवर के अंग को तत्काल नामंजूर नहीं किया, जैसी आशंका थी।' मानव जाति के लिए यह महत्वपूर्ण वैज्ञानिक पड़ाव है। यह वैज्ञानिक सफलता रोगियों, वैज्ञानिकों और नियामकों को आश्वस्त करेगी कि प्रत्यारोपण विज्ञान बिल्कुल सही दिशा में बढ़ रहा है। जानवरों में विशेष रूप से सुअरों के अंगों पर काफी समय से प्रयोग जारी हैं।

जाहिर सी बात है, मानव और जानवर के अंगों के कार्य में आधारभूत समानता के बावजूद प्रत्यारोपण कठिन रहा है। उदाहरण के लिए, सुअर के अंगों में एक प्रकार का सुगर होता है, जो मानव शरीर से जुड़ाव को रोकता है। आम तौर पर जब सुअर के किसी अंग को मानव शरीर के साथ जोड़ा जाता है, तो इस विशेष सुगर की वजह से मानव शरीर जानवर के अंग को नामंजूर कर देता है। अत: सुअर की कोशिकाओं में मौजूद इस खास सुगर को खत्म करने के लिए वैज्ञानिक प्रयोग कर रहे थे। इस जानवर के शरीर में ऐसे जेनेटिक बदलाव किए जा रहे थे, ताकि उसके शरीर में यह सुगर निर्मित ही न हो। अभी जिस जानवर के अंग को इंसानी शरीर के साथ जोड़कर प्रयोग किया गया, उसमें वह खास सुगर मौजूद नहीं था। प्रत्यारोपण में एक अन्य समस्या भी होती है, रोग प्रतिरोधी क्षमता का संतुलन। शरीर दर शरीर यह क्षमता अलग-अलग होती है। अभी जिस सुअर के अंग का इस्तेमाल किया गया, उसके रोग प्रतिरोधक तंत्र को भी मानव शरीर के अनुरूप जेनेटिक इंजीनियरिंग के माध्यम से विकसित किया गया है। यह विकास चिकित्सा विज्ञान को बहुत समृद्ध कर देगा। वह दिन दूर नहीं, जब मानव अंगों के अनुरूप अंग जानवरों में जेनेटिक इंजीनियरिंग के माध्यम से विकसित किए जाएंगे और उनका सफल प्रत्यारोपण हो सकेगा।
यह बात छिपी नहीं है कि बबून, बंदर इत्यादि के अंगों के साथ लगातार प्रयोग होते रहे थे, लेकिन नैतिकता और मानवीयता संबंधी सवालों की वजह से सुअरों पर प्रयोग ज्यादा आसान माना जाता है। इस जानवर के जीन में बदलाव इंसानों के लिए कारगर सिद्ध होने वाला है। गौर करने की बात है कि सुअर के हृदय के वाल्व का इंसानों में दशकों से सफलतापूर्वक उपयोग किया जा रहा है। रक्त पतला करने वाला हेपरिन इसी जानवर की आंतों से प्राप्त होता है। पिग स्किन ग्राफ्ट का उपयोग जलने पर किया जाता है। दृष्टि बहाल करने के लिए पिग कॉर्निया का उपयोग संभव है। इंसानों के लिए अंगों की जरूरत बढ़ती जाएगी। कई दवा या चिकित्सा कंपनियां इस काम में लगी हैं। ध्यान रहे, अकेले अमेरिका में 90,000 से अधिक लोग गुर्दा प्रत्यारोपण के लिए कतार में हैं। हर दिन 12 लोग इंतजार करते मर जाते हैं। अत: हम अंग प्रत्यारोपण विज्ञान में किसी भी विकास का महत्व समझ सकते हैं।

क्रेडिट बाय हिन्दुस्तान

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