सम्पादकीय

रेल को गति

Triveni
3 Feb 2023 2:15 PM GMT
रेल को गति
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बीते कुछ वर्षों से रेल के विकास की कई योजनाएं लायी गयी हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट में भारतीय रेल के लिए 2.41 लाख करोड़ रुपये का भारी-भरकम आवंटन प्रस्तावित किया है. इस क्षेत्र में यह अब तक का सबसे बड़ा आवंटन है. इससे स्पष्ट जाहिर होता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की गति बढ़ाने में रेल क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया गया है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस आवंटन के व्यय के संबंध में कुछ अहम संकेत दिये हैं.

बीते कुछ वर्षों से रेल के विकास की कई योजनाएं लायी गयी हैं तथा उनके सकारात्मक परिणाम भी सामने आने लगे हैं. वैष्णव ने जानकारी दी है कि 'अमृत भारत स्टेशन' योजना के तहत 1,275 स्टेशनों का पुनर्विकास किया जा रहा है. इस कार्य में तेजी लाने में बजट में आवंटित राशि बड़ा योगदान देगी. द्रुत गति के आवागमन को सुनिश्चित करने के लिए वंदे भारत ट्रेनों का लगातार विस्तार किया जा रहा है.
ऐसी ट्रेनों के उत्पादन को बजट से बहुत बढ़ावा मिलेगा. इन ट्रेनों का निर्माण अब हरियाणा के सोनीपत और महाराष्ट्र के लातूर में भी किया जायेगा. अभी तक यह उत्पादन केवल चेन्नई में ही हो रहा है. बजट में पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए जलवायु संकट की चुनौतियों से निपटने के लिए हरित विकास एवं स्वच्छ ऊर्जा के विस्तार पर विशेष ध्यान दिया गया है. इस दिशा में भारतीय रेल की भी उल्लेखनीय भूमिका है.
इस वर्ष दिसंबर तक हाइड्रोजन से चलने वाली पहली ट्रेन के आने की योजना है, जो कालका-शिमला रेलमार्ग पर चलेगी. उल्लेखनीय है कि इसका डिजाइन और निर्माण देश में ही होगा. आत्मनिर्भर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प को साकार करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण पहल है. कुछ समय पहले हाइड्रोजन मिशन की शुरुआत भी हो चुकी है.
इंजन और ईंधन से संबंधित भारतीय रेल की उपलब्धियों को अन्य क्षेत्रों में भी उपयोग किया जा सकेगा. रेल क्षेत्र भारत का सबसे बड़ा रोजगारदाता रहा है तथा देश की विकास यात्रा में उसकी प्राथमिक भूमिका रही है. इसके बावजूद 2014 तक भारतीय रेल का सालाना पूंजी व्यय महज 45,980 करोड़ था. आज अनेक परियोजनाएं चल रही हैं.
ऐसे में यह अनुमान लगाया जा सकता है कि भविष्य में आवंटन में बढ़ोतरी होती रहेगी. सरकारी खर्च में वृद्धि निजी क्षेत्र के निवेश को भी आकर्षित करेगी. यह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के विकास के लिए नितांत आवश्यक है. इस वर्ष दिसंबर तक हाइड्रोजन से चलने वाली पहली ट्रेन के आने की योजना है, जो कालका-शिमला रेलमार्ग पर चलेगी. उल्लेखनीय है कि इसका डिजाइन और निर्माण देश में ही होगा.

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सोर्स: prabhatkhabar

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