- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- ट्रैफिक व्यवस्था के...
दिव्याहिमाचल गगरेट पुलिस चैक पोस्ट पर कानून के सन्नाटे को तोड़ता एक अज्ञात वाहन तीन जवानों को रौंद देता है और वहां खून के धब्बों की शिनाख्त में अपाहिज बेडि़यां नजर आती हैं। इसे वाहनों की टक्कर कहें, रात की चीख मानें या एक ही बाइक पर बिना हेल्मेट तीन सवार जवानों की दुखद मृत्यु के कारण जानें, लेकिन इस घटनाक्रम को निश्चित रूप से टाला जा सकता था। अगर रात के समय हाई-वे पैट्रोलिंग सुनिश्चित की जाए, ओवर स्पीड वाहनों के चालान काटे जाएं तथा बिना हेल्मेट बाइक सवार रोके जाएं, तो इस तरह की वारदात नहीं होगी। विडंबना यह है कि यातायात व्यवस्था अभी तक पुलिस, प्रशासन, पीडब्ल्यूडी व सरकार की प्राथमिकता में नहीं आई है। पुलिस जवानों को सड़क पर खड़ा कर देने से ट्रैफिक इंतजाम पूरे नहीं होंगे, बल्कि खास तरह की ट्रेनिंग, आधुनिक उपकरण व निगरानी वाहन उपलब्ध करा कर ही इसे पूरी तरह व्यवस्थित किया जा सकता है। सड़कों पर बढ़ता वाहन दबाव केवल दिन की गतिविधि नहीं, बल्कि रात्रि के समय भी भौगोलिक दूरियां मिटाने के लिए इनका अधिकतम उपयोग होने लगा है। अब हिमाचल रात को विश्राम नहीं करता, बल्कि रात के साये में पुलिस व्यवस्था को चौकन्ना करने की जरूरत है।