- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- हादसों की पटरी
Written by जनसत्ता; इसके समांतर जब ट्रेन की पटरियों पर कोई हादसा होता है तब उसमें कई बार किसी की जान सिर्फ इसलिए चली जाती है कि लापरवाही की वजह से उसे अपनी सामान्य समझ का भी इस्तेमाल करने का मौका नहीं मिल पाया।
दिल्ली के बादली इलाके में तीन मजदूर अपने घर की ओर लौटते हुए पटरियों को पार करने की कोशिश में ट्रेन की चपेट में आ गए और उनकी जान चली गई। यह समझना मुश्किल है कि ट्रेन आने की न केवल आशंका, बल्कि पास पहुंचने के बावजूद उन्हें सिर्फ कुछ पल धीरज रखना जरूरी क्यों नहीं लगा और पटरी पार करने की हड़बड़ी क्यों सूझी! यह त्रासद घटना दूसरे तमाम लोगों के लिए एक सबक हो सकती है, मगर इसमें तीन लोगों की जान चली गई। फिर इस तरह के हादसे अक्सर होते रहने के बावजूद लोगों को कुछ पल के लिए खुद पर नियंत्रण रखने की जरूरत नहीं लगती।
दरअसल, यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें आखिरी वक्त में पैदा हुई हड़बड़ी में किसी का विवेक काम करना बंद कर देता है। इसी स्थिति में जल्दबाजी के फैसले की वजह से हर रोज कई लोगों की जान नाहक ही चली जाती है। खुदकुशी के मामलों के अलावा पटरियों को पार करने की सुविधा हर जगह नहीं होने की वजह से तेज रफ्तार ट्रेन की चपेट में आकर हर साल देश भर में सैकड़ों लोग मारे जाते हैं।
इसकी वजह कई बार बेहद मामूली इस रूप में होती है कि रफ्तार के साथ आती ट्रेन को देखने के बाद भी कोई जल्दबाजी में पटरी पार कर लेना चाहता है तो कोई चलती गाड़ी में सवार होना चाहता है। यह अपने आप में बेहद दुखद है कि सिर्फ एक पल ठहर जाने भर से कोई सुरक्षित रह जा सकता था, वह हड़बड़ी की वजह से ट्रेन की चपेट में आ जाता है। स्टेशनों से लेकर रेलवे फाटकों जैसी जगहों पर भी देखा जा सकता है कि लोग एक से दूसरे प्लेटफार्म पर जाने के लिए बने उपरिपुल का उपयोग करने के बजाय पटरियों पर उतर कर पार करने लगते हैं। इसी क्रम में किसी को आगे निकलने में या फिर भीड़ की वजह से पल भर की देरी होती है और उसकी जिंदगी चली जाती है।
ऐसी घटनाएं भी अक्सर आती रहती हैं कि कोई युवक कान में मोबाइल का इयरफोन लगाए जा रहा होता है, जिसकी वजह से अन्य कोई आवाज उस तक नहीं पहुंच पाती है और इसी चक्कर में वह ट्रेन की जद में आकर मारा जाता है। निश्चित रूप से ट्रेन के ड्राइवर को गाड़ी के आगे की गतिविधियों का ध्यान रखना चाहिए, लेकिन ट्रेन और अन्य वाहनों की रफ्तार और उसके रुकने की स्थिति में बड़ा फर्क होता है।
हालांकि कई जगहों पर रेलवे फाटकों के सही समय पर और सही तरीके से काम करने की व्यवस्था में कमी भी हादसे की वजह होती है, लेकिन अक्सर यह देखा जा सकता है कि रेलवे फाटक बंद होने के बावजूद लोग उसके नीचे से या इधर-उधर जगह बना कर पटरियां पार करने की कोशिश करते हैं। ऐसे में किसी के ट्रेन की चपेट में आ जाने की आशंका बनी रहती है। इस तरह के हादसों में होने वाली मौतों को रोकने के लिए सरकार को पटरियों के आसपास कोई सुरक्षित घेरा या संकेतक लगाने के साथ-साथ सुरक्षाकर्मी तैनात करना चाहिए, पर इसके साथ ही लोगों को ट्रेन की पटरियों का पार करते वक्त हड़बड़ी करने के बजाय सावधान और जागरूक होना जरूरी है।