सम्पादकीय

आत्मनिर्भरता की ओर

Subhi
12 Nov 2021 12:56 AM GMT
आत्मनिर्भरता की ओर
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वाणिज्य मंत्रालय ने कुछ ऐसी वस्तुओं को चिह्नित किया है, जिनका उत्पादन अपने देश में बढ़ाया जा सकता है। इसलिए उन्हें बाहरी देशों से मंगाने की प्रक्रिया धीरे-धीरे कम करनी चाहिए।

वाणिज्य मंत्रालय ने कुछ ऐसी वस्तुओं को चिह्नित किया है, जिनका उत्पादन अपने देश में बढ़ाया जा सकता है। इसलिए उन्हें बाहरी देशों से मंगाने की प्रक्रिया धीरे-धीरे कम करनी चाहिए। इस संबंध में वाणिज्य मंत्रालय ने एक सौ दो वस्तुओं की सूची जारी करते हुए संबंधित मंत्रालयों को इनके आयात में कटौती करने को कहा है। गौरतलब है कि इन एक सौ दो वस्तुओं की देश के कुल आयात में भागीदारी सत्तावन फीसद से अधिक है। इनमें से अठारह वस्तुएं ऐसी हैं, जिनका आयात लगातार बढ़ रहा है, जबकि अपने देश में उनके उत्पादन की भरपूर संभावनाएं हैं। जिन वस्तुओं के आयात में कटौती की सलाह दी गई है, वे मुख्य रूप से कोकिंग कोयला, कुछ मशीनरी उपकरण, रसायन और डिजिटल कैमरा शामिल हैं।

कुछ वस्तुएं ऐसी हैं, जिनका अपने देश में भी उत्पादन भरपूर होता है, मगर आयातित माल की वजह से उन्हें घरेलू बाजार में उचित भागीदारी नहीं मिल पाती। उनमें निजी कंप्यूटर, पाम आयल, सूरजमुखी का तेल, यूरिया, फास्फोरिक एसिड आदि प्रमुख हैं। सरकार वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनने का नारा दे चुकी है। इस दिशा में पहले ही बाहर से मंगाई जाने वाली कई वस्तुओं में कटौती की जा चुकी है। ताजा फैसला उससे आगे की कड़ी है।
काफी समय से इस बात को लेकर चिंता जताई जाती रही है कि देश में अयात तो बढ़ रहा है, पर निर्यात लगातार घट रहा है। आयात बढ़ने का अर्थ है देश के भीतर विदेशी कंपनियों की दखल बढ़ना। निर्यात न बढ़ने से घरेलू उत्पादकों पर दोहरी मार पड़ती है। एक तो उन्हें बाहर के बाजार में जगह नहीं मिल पाती, दूसरे घरेलू बाजार में भी विदेशी वस्तुओं का बोलबाला बढ़ जाता है। मगर कुछ मामलों में भारत की आयात पर निर्भरता इस कदर बढ़ गई है कि सरकारों के लिए खुद बाहर से वस्तुएं मंगाना ज्यादा असान लगता है।
इस तरह विदेशी कंपनियों ने भारतीय घरेलू बाजार में घुसपैठ कर सस्ती दरों पर उच्च गुणवत्ता की वस्तुएं उपलब्ध कराने के दावे के साथ अपनी साख मजबूत बना ली है। कई कंपनियों ने तो एक तरह से अपना एकाधिकार जमा लिया है। इस एकाधिकार को तोड़े बगैर देशी वस्तुओं के उत्पादन और खपत की गुंजाइश पैदा कर पाना कठिन ही बना रहेगा। इस मामले में वाणिज्य मंत्रालय का यह फैसला उचित है कि उसने आयात के मामले में अधिक जगह घेरने वाली कुछ वस्तुओं को चिह्नित कर उनकी जगह देशी वस्तुओं की पहुंच सुनिश्चित करने की पहल की है।
भारत अब दुनिया के विकसित देशों से कोरोबारी होड़ कर रहा है। सॉफ्टवेयर और सूचना तकनीक आदि कई क्षेत्रों में यह दूसरे देशों की बड़ी जरूरतें भी पूरी करता है। बहुत सारी विदेशी कंपनियां सेवाओं के मामले में भारत पर निर्भर हैं। फिर भी विदेशी बाजार में भारतीय कंपनियां अपने लिए बड़ी जगह नहीं तलाश पा रहीं, जबकि चीन जैसे देश छोटी-छोटी चीजों के मामले में भी हमारे घरेलू बाजार में कड़ी प्रतिस्पर्धा दे रहे हैं।
इस तरह आायात में कमी लाने से घरेलू वस्तुओं के लिए बाजार में जगह बढ़ेगी। मगर इसके लिए सरकार को उन बिंदुओं पर भी सतत ध्यान देना होगा, जिसके चलते कई मामलों में घरेलू कंपनियों ने उत्पादन कम कर दिया या किसी मजबूरी में करना पड़ा या फिर पूरी तरह उत्पादन बंद ही कर दिया। नहीं तो केवल आयात कम करने का सैद्धांतिक फैसला खेती-किसानी, खाद्य तेल, बिजली उत्पादन जैसे क्षेत्रों में बड़े संकट पैदा कर सकता है।

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