सम्पादकीय

बरसाती सड़क पर सैलानी

Rani Sahu
13 July 2022 7:00 PM GMT
बरसाती सड़क पर सैलानी
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सड़क पर बरसात का रुख और इनसान की फितरत का द्वंद्व देखा जा सकता है

By: divyahimachal

सड़क पर बरसात का रुख और इनसान की फितरत का द्वंद्व देखा जा सकता है। हम हिमाचल में पर्यटन सीजन को बरसात में खींचना चाहते हैं, बल्कि कुछ सैलानी इस किरदार में रहते हैं कि मौसम की बेरुखी में भी मनोरंजन और रोमांस को भीगने दें। ऐसे में शुरुआती बरसात ने पर्यटक को दो विकल्प दे रखे हैं। या तो पूरी तरह इस कठिन दौर में भीग जाए या खबर बनने से पहले भाग जाए। हालांकि बुरी खबरों से आहत तीस प्रतिशत एडवांस बुकिंग पर मानसून बरस चुकी है, फिर भी युवा पर्यटकों के लिए इस आफत को नजरअंदाज करना भी मनोरंजन है। बरसात में हिमाचल आगमन की शर्तें नरम हो नहीं सकतीं और न ही मेहमाननवाजी इतनी सरल कि हम मौसम के खतरों को जरूरत से ज्यादा नजरअंदाज कर दें। बरसात का रोड मैप और मौसम की भविष्यवाणी का एक दैनिक चक्र सड़क को मापता है। वे रास्ते जो अपनी पलकों पर रोमांच सवार करके, सैलानियों को साल भर बुलाते हैं, बरसात से आंखें नहीं मिला पाते। हम लाख चाह कर भी कई क्षेत्रों में ऐसी गतिविधियों की अनुमति नहीं दे सकते, तो बरसाती पर्यटन का अलग से एक मानचित्र बनाना चाहिए। इतना ही नहीं बरसात में पर्यटन को निगरानी और कुशल निर्देशन की जरूरत है, क्योंकि इसी दौरान कई जोखिम भरी यात्राएं और धार्मिक समागम पहाड़ की चुनौतियां बढ़ा देते हैं।
श्रीखंड यात्रा इसी तरह का एक आयोजन है जो श्रद्धा के पांव को निरंतर मौसमी और प्राकृतिक खतरों की ओर बढ़ाता है। साल दर साल का अनुभव बताता है कि यह केवल प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझना ही नहीं, बल्कि शारीरिक क्षमता की ऐसी परीक्षा है जो हमेशा हैरत में डाल देती है। कुछ समय बाद मणिमहेश व किन्नर कैलाश यात्राओं का वार्षिक संयोग भी एक अनुशासित पर्यटन की राह देख रहा है, लेकिन हर बार प्रशासन की सांसें फूल जाती हैं ताकि पहाड़ के मुहावरे शांत रहें। इतना ही नहीं बरसात में परिवहन की अनिवार्यता और इसके साथ बढ़ते मकसद का अंतर जानना चाहिए। अमूमन बरसात के मौसम में देवी दर्शन की राह पर एक ऐसा वर्ग भी निकल पड़ता है, जो खुद मंे जोखिम है। ट्रक-टै्रक्टरों की सवारी में मौसम की काली छाया तो रहती है, ऊपर से नौसिखिए चालकों की भारी तादाद धार्मिक स्थलों से आरोहण करते हुए अब मकलोडगंज, मनाली और शिमला तक कूच करना चाहती है। यह परिवहन नियमों की अनदेखी तथा वाहन चालन की पराकाष्ठा भी है कि हर तरह का सैर सपाटा अब सड़क यातायात को कटु अनुभव की बिसात बना रहा है।
मनाली से आगे अटल टनल और उससे भी आगे लाहुल-स्पीति अगर बरसाती मौसम की खोज बनते रहेंगे, तो यह कारवां सुखद नहीं। कौन जाने किस पहाड़ पर टिका खूनी पत्थर, बारूद बन कर लुढ़क जाए या कच्चे पहाड़ के नीचे सेल्फी प्वाइंट ढूंढ रहे सैलानी के लिए कोई दृश्यावली कब खतरनाक साबित हो जाए। पहाड़ पर नदी-नालों के स्वभाव और उनके वेग का कोई पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता, लेकिन सेल्फी क्रेज ने सड़क किनारे बनते झरनों या बादलों की अठखेलियों को संवेदनशील बना दिया है। जाहिर है बरसाती पर्यटन का सीमित आवागमन कुछ इलाकों तक तो ठीक है, लेकिन इसे अनुशासित करने की जरूरत है। बरसात के मौसम में निजी वाहनों की स्थिति व चालकों के निरीक्षण-परीक्षण बढ़ाने पड़ेंगे। रात्रि वाहन चालन को एक तयशुद्धा व मर्यादित ढंग से चलाने की निगरानी पद्धति आवश्यक है। बेशक पर्यटन उद्योग बरसात के मौसम में अपने कैलेंडर और संभावनाओं को छोटा नहीं कर सकता है, लेकिन पर्यटकों को निजी वाहन न लाने को प्रेरित कर सकता है। मानसून पर्यटन के पैकेज तैयार करते हुए पर्यटन विभाग के साथ-साथ, प्रशासन, पुलिस, परिवहन व पीडब्ल्यूडी की अनुमति को अनिवार्य बनाया जाए। बरसाती पर्यटन के दो महीने अति सुरक्षित इंतजाम तथा संयमित व्यवहार की अपेक्षा रखते हैं और इसे लेकर एक अभियान चलाने के साथ-साथ निगरानी पद्धति सुदृढ़ करनी होगी।
Rani Sahu

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