- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- पर्यटक आचार संहिता की...
हिमाचल प्रदेश की सुंदर धरती को कौन नहीं निहारना चाहता? इस प्रदेश का प्राकृतिक सौंदर्य अनायास ही सभी का मन मोह लेता है। सर्पीली सड़कें, बलखाती नदियां, पहाड़ों के शिखर से बहते झरने, बर्फीली चोटियां, फल-फूलों से लदे बगीचे, आसमान को छूते देवदार के पेड़, लहलहाती हरियाली फसलें, शीतल एवं मंद-मंद हवाएं सभी को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। शांत, सुंदर एवं समृद्ध हिमाचल देवभूमि तथा वीर भूमि के नाम से दुनिया में प्रसिद्ध है। प्रति वर्ष लाखों पर्यटक प्रदेश का भ्रमण कर स्वर्गलोक जैसा आनंद लेते हैं। पर्यटक हमारे मेहमान हैं तथा अतिथि देवो भव की संस्कृति का अनुसरण करते यह प्रदेश सभी पर्यटकों, देव दर्शन करने भक्तों तथा श्रद्धालुओं का स्वागत तथा आदर सत्कार करता है, लेकिन विगत कुछ वर्षों से देवभूमि में पर्यटन तथा धर्मस्थलों के दर्शन के लिए आने वाले नकली धार्मिक पर्यटकों एवं नव दंपतियों ने मानवीय, धार्मिक तथा सामाजिक मूल्यों की धज्जियां उड़ाई हैं। नवरात्रों तथा त्योहारों के समय मंदिरों में गहने तथा सोने की चेन चोरने वाले गिरोह सक्रिय हो जाते हैं। राष्ट्रीय उच्च मार्गों पर ढाबों तथा होटलों में जिस्मोफरोशी के अवैध कारोबार समय-समय पर सामने आते रहते हैं। लड़ाई-झगड़े, मारधाड़, बदमाशी, मनमर्जी, पुलिस कर्मियों तथा प्रदेश के भोले-भाले तथा निहत्थे लोगों पर बिना किसी वजह के जानलेवा हमले हो चुके हैं। पेट पालने के लिए छोटा-मोटा काम-धंधा करने वाले लोगों पर नशे में मदमस्त, ग़ैर जि़म्मेदार, अमर्यादित, असंस्कारित पर्यटकों द्वारा मौत का तांडव आम तौर पर देखने को मिलता रहता है। प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों पर कुछ सिरफिरे पर्यटकों द्वारा निहत्थे तथा बेकसूर छोटा-मोटा काम धंधा करने वाले लोगों पर सिर फोड़ने, डंडों से पीटने, शराब पीकर हुड़दंग करने की शर्मनाक तथा निंदनीय घटनाएं आमतौर पर होती रहती हैं जो किसी भी सभ्य तथा मानवीय दृष्टिकोण से स्वीकार नहीं की जा सकती। पर्यटकों का शराब पीकर होटल-ढाबों, चाय की दुकानों, शराब के ठेकों पर तोड़फोड़ तथा चोरी करना कहां तक जायज़ ठहराया जा सकता है?
सोर्स- divyahimachal