सम्पादकीय

टूरिज्म की डिमांड 2019 के लेवल से ऊपर पहुंची, अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत

Tara Tandi
30 Jun 2021 9:25 AM GMT
टूरिज्म की डिमांड 2019 के लेवल से ऊपर पहुंची, अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत
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हिमाचल (Himachal Pradesh) और उत्तराखंड (Uttarakhand) के पहाड़ लोगों को बहुत आकर्षित करते हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| |संयम श्रीवास्तव|हिमाचल (Himachal Pradesh) और उत्तराखंड (Uttarakhand) के पहाड़ लोगों को बहुत आकर्षित करते हैं. दिल्ली वासियों के लिए तो ये पहाड़ उनके दूसरे घर जैसे हैं. रात में इच्छा हुई, सुबह उठे दोपहर तक पहुंच गए. कोरोना (Corona) लॉकडाउन से छूट मिलते ही लोग देश-विदेश के टूरिज्म पैकेज खंगाल रहे हैं. विदेशों से आवाजाही में अभी वीजा और फ्लाइट्स संबंधी दिक्कतों के चलते अपने देश की सभी खास जगहों पर होटल्स (Hotels) की मारा-मारी शुरू हो गई है. हिमाचल जाने वालों की एक बानगी देखिए, बीते 27 जून सुबह 8 बजे से 28 जून सुबह 8 बजे तक अटल टनल रोहतांग को क्रॉस करने वाली गाड़ियों की संख्या 7,276 थी. जो अपने आप में एक रिकॉर्ड था. इसके पहले 24 घंटे में सबसे अधिक गाड़ियां क्रॉस करने का रिकॉर्ड 5,774 था.

दरअसल कोरोना के चलते घरों में रहकर ऊब चुके लोग थोड़ा सा ढील मिलते ही दुनिया को नापने निकल पड़े हैं. ये संख्या अभी और भी अधिक होने वाली है. एक और बानगी देखिए पिछले 15 दिनों में 2 लाख 57 हजार गाड़ियां हिमाचल में दूसरे राज्यों से आई हैं. एक गाड़ी में अगर 3 का भी औसत माने तो केवल कार से आने वाले टूरिस्टों की ही संख्या आठ से नौ लाख के करीब पहुंचती है. इसके बाद बड़ी संख्या में लग्जरी बसों और फ्लाइट से भी टूरिस्ट पहुंच रहे हैं. ये आंकड़े छोटे से राज्य हिमाचल के हैं जिसकी क्षमता भी सीमित ही है.
टूरिज्म से देश की अर्थव्यवस्था बेहतर होगी
हालांकि पर्यटकों की यह भीड़ डेढ़ साल से खाली पड़े टूरिज्म इंडस्ट्री (Tourism Industry) से जुड़े लोगों के लिए खुशनुमा है और देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी शुभ संकेत है. दरअसल कोरोनावायरस ने सबसे ज्यादा अगर किसी इंडस्ट्री को नुकसान पहुंचाया है तो वह टूरिज्म इंडस्ट्री ही है. हिंदुस्तान के कई ऐसे राज्य हैं जो केवल टूरिज्म के सहारे ही अपनी अर्थव्यवस्था को जीवित रखे हुए हैं, लेकिन बीते 2 वर्षों से हिंदुस्तान में टूरिज्म बंद पड़ा है. कोरोना की पहली लहर के बाद जब मामले कम आने शुरू हुए और तमाम राज्यों में लॉकडाउन खोल दिए गए तो कुछ हद तक टूरिज्म बढ़ा था, लेकिन उसके कुछ महीने बाद ही भारत में कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक दे दी जिसके बाद फिर से तमाम राज्यों ने अपने यहां लॉकडाउन की घोषणा कर दी और टूरिज्म फिर से दम तोड़ने लगा.
अब कोरोना की दूसरी लहर भी धीमी पड़ चुकी है और देश के तमाम राज्य अपने यहां कोरोना नियमों में ढील दे रहे हैं. इस वजह से धीरे-धीरे ही सही लेकिन टूरिज्म फिर से पटरी पर लौट रहा है. उत्तर भारत में बढ़ती गर्मी के कारण अब पहाड़ी इलाकों में टूरिज्म तेजी से बढ़ रहा है. वहां के ज्यादातर होटल तेजी से बुक हो रहे हैं, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में दिल्ली से भारी संख्या में टूरिस्ट जून-जुलाई के महीने में जाते हैं. पहले इन राज्यों में जाने से पहले लोगों को आरटी-पीसीआर जांच कराना जरूरी होता था, लेकिन अब राज्य सरकारें इसमें भी ढील देने लगी हैं, एक आंकड़े के अनुसार इस वक्त आईटीसी होटल, इंडियन होटल, रेडिसन और महंगे फाइव स्टार होटलों में बुकिंग तेजी से हो रही है, यहां रोजाना रुकने की औसत दरें 2019 के स्तर को भी पार कर गई हैं.
गुजरात जैसे राज्यों में भी बढ़ी टूरिस्टों की तादाद
कोरोना की दूसरी लाइफ में सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में गुजरात का भी नाम था, लेकिन अब वहां भी कोरोना धीरे-धीरे कम हो रहा है. जिसका रुझान अब टूरिज्म में देखने को मिलने लगा है. गुजरात के ज्यादातर होटल बुक हो चुके हैं. सस्ते होटल तो बुक हो ही रहे हैं महंगे होटल भी तेजी से बुक हो रहे हैं. जहां एक रात रुकने की कीमत कम से कम 20,000 से 22,000 रुपए तक है. जानकारों का मानना है कि अगर इसी तरह से टूरिस्ट बढ़ते रहे तो जल्द ही गोवा जैसे राज्यों में भी टूरिज्म उद्योग तेजी से बढ़ेगा. हालांकि, तेजी से बढ़ रहे टूरिज्म को देखते हुए प्रशासन भी सतर्क है क्योंकि कोरोना की पहली लहर जब धीमी पड़ी थी तो दूसरी लहरा आने के लिए टूरिज्म भी कुछ हद तक जिम्मेदार था, क्योंकि एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने वाले पर्यटकों की वजह से भी कोरोना तेजी से फैला था.
वर्क फ्रॉम होम की वजह से भी बढ़ा है टूरिज्म
इस वक्त ज्यादातर कंपनियां अपने एंप्लाइज को वर्क फ्रॉम होम में रखे हुई हैं, यही वजह है कि घर में रहते रहते अब लोग बोर हो गए हैं. वर्क फ्रॉम होम की वजह से ऑफिस जाने का भी झंझट नहीं है इसलिए लोग सोच रहे हैं कि वह किसी पहाड़ी या घूमने वाली जगह पर जाकर भी अपना काम जारी रख सकते हैं. दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों में रहने वाले ज्यादातर लोग इस वक्त पहाड़ी इलाकों में बैठकर वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं और वहां के मौसम का आनंद भी ले रहे हैं. जिस तरह से कोरोनावायरस की लहर के बाद टूरिज्म का आंकड़ा बढ़ा है उसे देखकर साफ-साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि जो लोग अपने कामकाजी जिंदगी की वजह से हॉलीडेज पर नहीं जा पा रहे थे वह अब अपने परिवार के साथ काम करते हुए भी बेहतरीन जगहों पर छुट्टियां मना रहे हैं.
ऑनलाइन व्यवस्था भी कारगर साबित हो रही है
जब से मेकमायट्रिप और ट्रिवागो जैसी कंपनियां भारत में शुरू हुई हैं तब से टूरिज्म उद्योग और तेजी से आगे बढ़ा है, क्योंकि अब आप घर बैठे ही अपने डेस्टिनेशन के अनुसार होटल बुक कर सकते हैं. कई होटल्स बुक करने वाली ऑनलाइन कंपनियों की वजह से आपको घर बैठे ही अच्छी डील मिल जाती है, जिससे आप पहले की तरह ठगे नहीं जाते हैं. जब ऑनलाइन होटल बुकिंग की सुविधाएं उपलब्ध नहीं थी तब टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर पहुंचकर होटल बुक करते थे, जिस वजह से होटल मालिक उनसे मनमाने दाम वसूलते थे, लेकिन अब आप घर बैठे ही कई जगह कंपेयर करके अपने सुविधानुसार होटल बुक कर सकते हैं और रिव्यू में देख भी सकते हैं कि उनके पिछले कस्टमरों ने उस होटल की सुविधा और व्यवस्थाओं को कितने स्टार दिए हैं. ऑनलाइन होटल बुकिंग कंपनियों की माने तो इस साल केवल 10 फ़ीसदी बुकिंग ही कैंसिल हुए हैं, जबकि बीते साल या आंकड़े 10 फ़ीसदीसदी से ज्यादा थे.
ऑफर के चलते भी बढ़ रहे हैं टूरिस्ट
काफी समय से टूरिज्म बंद पड़ा था, इस वजह से भी तमाम होटल और पर्यटन क्षेत्रों में इन दिनों टूरिस्टों के लिए खूब ऑफर चल रहे हैं, जो होटल 2000, 25,00 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से बुक हो रहे थे, वह अब 1500, 1200 रुपए में बुक हो रहे हैं. इसके साथ ही उस डेस्टिनेशन पर और भी चीजें पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए सस्ती कर दी गई हैं. अभी हाल ही में मसूरी घूमने गए विकास तिवारी बताते हैं कि जो होटल उन्होंने कोरोना से पहले बुक किया था जिसकी कीमत 1200 रुपए थी वह होटल उन्हें मेकमाय ट्रिप पर 800 रुपए में मिल गया. विकास बताते हैं कि वहां खाने पीने की चीजें भी सस्ती हैं और घूमने के लिए जो स्कूटी उन्हें पहले 500 प्रतिदिन के हिसाब से मिलती थी, वह अब 300 रुपए में मिल जा रही है. सड़क पर ज्यादा भीड़-भाड़ भी नहीं है इसलिए घूमने में मजा आया.


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