सम्पादकीय

सेना में टूर ऑफ ड्यूटी

Rani Sahu
15 April 2022 7:20 PM GMT
सेना में टूर ऑफ ड्यूटी
x
ऐसा लगता है कि पैसे के बल पर राजनीति करने वाले लोगों को मेले में एकत्रित भीड़ अपनी राजनीतिक मंशा पूरा करने का आसान जरिया लगती है

पिछले सप्ताह उत्तर भारत में बैसाखी पर्व की धूम रही, ढोल, टमक, नगाड़ों की थाप पर भांगड़े-बोलियों के साथ-साथ मनोरंजन के लिए पंगूड़े, झूले, स्वाद के लिए लच्छे, छोले, बर्फीला गोला, अंदरस्से, पकौड़े, जलेबियां, खरीदने के लिए घरेलू सामान, युवक-युवतियों के दंगल के साथ व्यस्त दिनचर्या, सांझ ढलते क्षेत्रीय संस्कृति से रूबरू करवाते लोक गायकों और फनकारों से गूंजता वातावरण, खुद-ब-खुद ही बड़े जमावड़े का सबब बन जाता है। इन मेलों पर हो रही भीड़ को अपना राजनीतिक शक्ति का प्रदर्शन बनाने की होड़ में नेता कहीं प्रशासन की आड़ में तो कहीं मेला कमेटी की ओर से, मेले में एकत्रित भीड़ को अपनी पार्टी के नाम लिखने की कवायद शुरू करते हैं। मेले में मुख्य अतिथि बनने के इस चलन से राजनीतिक अभिलाषा रखने वाले लोग बिना किसी अन्य मापदंड पर खरा उतरते हुए भी ज्यादातर मौकों पर अनुदान राशि के बल पर अतिथि बन जाते हैं। इनको मेले के आयोजन से जुड़े इतिहास, संस्कृति आदि का ज्ञान लेशमात्र नहीं होता, इसलिए मुख्यातिथि मंच से मेले पर बोलने के बजाय यह अपनी राजनीतिक अभिलाषाओं को जाहिर करना शुरू कर देते हैं।

ऐसा लगता है कि पैसे के बल पर राजनीति करने वाले लोगों को मेले में एकत्रित भीड़ अपनी राजनीतिक मंशा पूरा करने का आसान जरिया लगती है। पर शायद बदलते राजनीतिक संदर्भ में लोग ज्यादा समझदार हैं। उनको पता है कि मंच पर मुख्य अतिथि बनकर बैठा हुआ इनसान या अपने राजनीतिक प्रभाव या फिर पैसे के बल पर वहां आसीन है, न कि मेले से जुड़ी संस्कृति के ज्ञान के बल पर, पैसे के बल पर राजनीति करने वालों के लिए यह एक राजनीतिक भ्रमण बन चुका है।
पैसे वाले नेता, मेलों में मुख्य अतिथि बन घूम कर अपनी राजनीति चमकाना शुरू कर रहे हैं। अगर भ्रमण की बात की जाए तो मेलों में टूर ऑफ पॉलिटिक्स के साथ-साथ सेना में भ्रमण या टूर ऑफ ड्यूटी के प्रस्ताव पर मंथन हो रहा है। जिस पर रक्षा मंत्रालय में चर्चा हो रही है। सूत्रों के अनुसार भारतीय सेना में युवाओं के लिए टूर ऑफ ड्यूटी का जल्द ऐलान हो सकता है जिसमें 3 से 5 साल के लिए सेना में शॉर्ट टर्म सेवाएं देने के लिए प्रस्ताव लाया जा सकता है। इस सीमा के बाद सैनिक चाहे तो अपनी सेवाएं जारी रख सकते हैं। सेना में अल्पकालिक सेवा की जरूरत इसलिए महसूस की जा रही है क्योंकि वर्तमान में तीनों सेनाओं में 125000 से ज्यादा पद खाली पड़े हैं। इस योजना को 2020 में सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवने द्वारा लाया गया था। रक्षा मंत्रालय में हाल ही में इस पर मंथन व विचार-विमर्श हुआ। इस व्यवस्था के तहत 3 से 5 साल की सेवा पूरी करने के बाद युवाओं को अन्य सेवाओं में भर्ती के लिए सेना मदद करेगी, उन्हें रोजगार के अवसर मुहैया कराए जाएंगे। सैन्य प्रशिक्षित युवाओं की कारपोरेट जगत में अच्छी मांग है। इसके लिए सेना प्रशिक्षण के दौरान उन्हें ऐसी सीख देगी, जिससे कारपोरेट जगत में उनकी मांग बरकरार रहे। सेना में टूर ऑफ ड्यूटी योजना से सेना को आर्थिक मोर्चे पर भी बचत होगी जिसमें अल्पकालिक सेवा के बाद पैंशन आदि के लाभ नहीं होंगे। मेरा मानना है कि टूर ऑफ ड्यूटी हर भारतीय के लिए अनिवार्य होनी चाहिए जिससे अनुशासित, सच्चे तथा वफादार नागरिक बनाने में मदद मिलेगी।
कर्नल (रि.) मनीष धीमान
स्वतंत्र लेखक
Rani Sahu

Rani Sahu

    Next Story