सम्पादकीय

आज का पृष्ठ आज पढ़ें, आज जीएं; इसका यह मतलब नहीं कि भविष्य के प्रति लापरवाह हो जाएं

Rani Sahu
24 Dec 2021 10:25 AM GMT
आज का पृष्ठ आज पढ़ें, आज जीएं; इसका यह मतलब नहीं कि भविष्य के प्रति लापरवाह हो जाएं
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एक छोटी-सी कहानी के पात्रों को, उसके दृश्यों को यदि तालमेल के साथ पिरो दिया जाए तो वह कहानी उपन्यास बन जाती है

पं. विजयशंकर मेहताएक छोटी-सी कहानी के पात्रों को, उसके दृश्यों को यदि तालमेल के साथ पिरो दिया जाए तो वह कहानी उपन्यास बन जाती है। उपन्यास का मतलब अधिक अक्षर नहीं, गूंथे हुए अक्षर हैं। ऐसा ही हम मनुष्यों का जीवन है। कभी कहानी, कभी उपन्यास, कभी गज़ल, कभी कविता और कभी अकविता। कुछ लोग अपने जीवन को लेख भी बना देते हैं।

कहानी या उपन्यास पढ़ने का मजा आरंभ से ही है, परंतु यदि एक प्रयोग करें कि आखिरी के पन्नों को पहले पढ़ लें, फिर मध्य में होते हुए आरंभ में आएं तो बड़ी ताकत लगेगी उसे जमाने में, समझने में। इस समय जिंदगी इसी का नाम है। बहुत-से लोग पिछले पन्ने पहले खोल रहे हैं, पढ़ रहे हैं और इसीलिए डर रहे हैं। हमारे ऋषि-मुनियों ने कहा है कि मनुष्य का जीवन एक ऐसी पटकथा के रूप में है जिसका लेखक कोई और है, हमें तो सिर्फ पात्र का अभिनय करना है।
तो ध्यान रखिए, आगे के पृष्ठों को यदि पहले खोल लेंगे तो पात्र गड़बड़ा जाएंगे और जीवन से जो कुछ रोचक निकलना है वह उलझ जाएगा। इसलिए कोशिश की जाए कि एक पन्ना खोलें। वह होगा आज का पन्ना। आज का पृष्ठ आज पढ़ें, आज जीएं। इसका यह मतलब भी नहीं है कि भविष्य के प्रति लापरवाह हो जाएं और अतीत से कुछ न सीखें। अतीत के अनुभव, वर्तमान में जीना और भविष्य के प्रति सावधानी जीवन की पटकथा का स्वाद होना चाहिए।


Rani Sahu

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