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चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हर साल शीतला अष्टमी मनाई जाती है.
चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हर साल शीतला अष्टमी (Sheetala Ashtami) मनाई जाती है. आप इसे इस तरह से देख सकते हैं कि हर होली के त्योहार के आठ दिन बाद शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाता है. इस साल शीतला अष्टमी 4 अप्रैल रविवार को मनाई जा रही है. यह हिंदूओं का एक प्रमुख त्योहार है. स्कंद पुराण (Skand Puran) में माता शीतला का वर्णन मिलता है जिसमें उन्हें चेचक, खसरा और हैजा जैसी संक्रामक बीमारियों (Infectious Disease) से बचाने वाली देवी बताया गया है. माता शीतला के स्वरूप की बात करें तो उन्होंने अपने हाथों में कलश, सूप, झाड़ू और नीम के पत्ते धारण किए हुए हैं और वे गर्दभ (गधा) की सवारी करती हैं.
शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त
अष्टमी तिथि प्रारंभ- 4 अप्रैल को सुबह 04.21 बजे से (सूर्योदय से पहले)
अष्टमी तिथि समाप्त- 5 अप्रैल को देर रात 02.59 बजे तक
पूजा का शुभ मुहूर्त- सुबह 06.08 बजे से लेकर शाम में 06.41 बजे तक
शीतला अष्टमी का महत्व
ऐसी मान्यता है कि शीतला अष्टमी के दिन से ही मौसम तेजी से गर्म होने लगता है (Summer Season). शीतला माता के स्वरूप को शीतलता प्रदान करने वाला कहा गया है. गर्म होते इस मौसम में मौसमी बीमारियां भी होती हैं, जिन्हें शांत करने के लिए देवी की पूजा की जाती है. इस त्योहार का उद्देश्य साफ-सफाई (Cleaniness) और सात्विकता को बढ़ावा देना है ताकि बीमारियों से बचा जा सके.
शीतला अष्टमी पूजा विधि
शीतला अष्टमी के दिन घर में ताजा भोजन नहीं बनता है. इस दिन माता को बाजी भोजन (Basi Bhojan) का ही भोग लगाया जाता है. इसलिए पूजा से एक दिन पहले सप्तमी तिथि के दिन ही रात में प्रसाद के लिए भोजन बनाकर रखा जाता है. अगले दिन बसौड़ा के मौके पर सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत का संकल्प लें और शीतला माता की पूजा अर्चना करके उन्हें बासी भोजन का भोग लगाया जाता है. इसके बाद जिस जगह पर होलिका दहन हुआ था वहां जाकर भी पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन के बाद से बासी भोजन खाना बंद कर देना चाहिए
शीतला अष्टमी पर करें ये उपाय
शीतला अष्टमी के दिन शीतला माता की पूजा करने के बाद नीम के पेड़ में जल दें और पेड़ की सात बार परिक्रमा करें. ऐसा करने से आपके घर की निगेटिव एनर्जी दूर होती है.
बीमारियों से अपने परिवार की रक्षा करने के लिए शीतला अष्टमी के दिन माता को हल्दी अर्पित करें. पूजा के बाद इस हल्दी को परिवार के सभी सदस्यों को लगाएं.
शीतला अष्टमी के दिन शीतला माता को जल अर्पित करें और उसी जल को घर की सभी दिशाओं में छिड़कें. ऐसा करने से परिवार में पॉजिटिव एनर्जी और सुख-शांति आती है.
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