सम्पादकीय

पाकिस्तान की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था से निपटने के लिए शाहबाज शरीफ IMF से कर्ज और भारत से कारोबार पर जोर दे सकते हैं

Gulabi Jagat
14 April 2022 6:55 AM GMT
पाकिस्तान की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था से निपटने के लिए शाहबाज शरीफ IMF से कर्ज और भारत से कारोबार पर जोर दे सकते हैं
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पाकिस्तान महंगाई की भीषण मार झेल रहा है
प्रशांत सक्सेना |
मार्च में आईएमएफ (IMF) ने पाकिस्तान (Pakistan) को नई सरकार की स्थापना के लिए 960 मिलियन डॉलर की सहायता दी. आईएमएफ के रेजिडेंट चीफ एश्तरे परेज़ रूइज़ ने कहा, "आईएमएफ पाकिस्तान को अपना समर्थन जारी रखना चाहता है और एक बार नई सरकार बनने के बाद हम मैक्रोइकोनॉमिक्स स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए नीतियों पर काम करेंगे. हम यह सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में इन कार्यक्रमों को स्थगित न किया जाए."
आईएमएफ के फंड सुविधा कार्यक्रम के तहत यह पाकिस्तान की सातवीं समीक्षा थी. अब तक पाकिस्तान को निर्धारित 6 अरब डॉलर में से 3 अरब डॉलर दिया जा चुका है. हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान को इस तरह की चुनौती का सामना करना पड़ा है. 2018 के चुनाव से पहले भी आईएमएफ ने पाकिस्तान से कहा था कि वह नई सरकार के साथ एक समझौते पर बातचीत करेंगे. तब वित्त मंत्री शमशाद अख्तर को बैलेंस पेमेंट की शर्तों को पूरा करने के लिए चीन (China) से 2 बिलियन डॉलर मैनेज करने पड़े थे.
पाकिस्तान महंगाई की भीषण मार झेल रहा है
शाहबाज शरीफ के सरकार में आने से पाकिस्तान अब अपने लेनदारों से संपर्क करने की बेहतर स्थिति में है. हालांकि यह तब तक ही सुचारू रूप से बेहतर बना रहेगा जब तक सरकारी नीतियों में निरंतरता बनी रहेगी. पाकिस्तान आईएमएफ के 23वें बेलआउट पर है. यूक्रेन युद्ध के बाद कच्चे तेल और अन्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के बीच उसकी अर्थव्यवस्था इस साल 10 फ़ीसदी से अधिक बढ़ती मुद्रास्फीति के दबाव में है.
सीएनबीसी ने सिंगापुर के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में दक्षिण एशियाई अध्ययन संस्थान के निदेशक इकबाल सिंह सेवा के हवाले से कहा, "शहबाज शरीफ के आने के बाद पाकिस्तान आईएमएफ के साथ एक और कर्ज पर बातचीत कर सकता है. हालांकि उसके लिए संरचनात्मक सुधारों और अधिक टैक्स रेवेन्यू उत्पन्न करने की जरूरत होगी." वहीं वॉशिंगटन स्थित अलब्राइट स्टोनब्रिज ग्रुप के वरिष्ठ निदेशक जेम्स श्वेमलिन ने सीएनबीसी से बात करते हुए कहा कि 'शहबाज शरीफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक जानी-मानी हस्ती हैं.' सीएनबीसी ने इकबाल सिंह सेवा के हवाले से कहा कि शहबाज शरीफ सभी अंतरराष्ट्रीय वार्ताकारों के लिए अच्छी तरह से जाने जाते हैं, चाहे वह अमेरिकी हों या चीनी.
भारत के साथ व्यापार
शरीफ भारत की सीमा से सटे अमृतसर के पास जाति उमरा गांव के हैं. पाकिस्तान में परिवार के व्यापारिक हितों को देखते हुए, नए प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ भारत के साथ व्यापार को लेकर बातचीत को आगे बढ़ा सकते हैं. इससे पाकिस्तान के लोगों को चीनी, कुछ सब्जियों, कपास और सीमेंट की आसमान छूती कीमतों से तत्काल राहत मिल सकती है. कॉमर्स, टेक्सटाइल और इंडस्ट्री पर बयान देते हुए इसी साल फरवरी में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार अब्दुल रज्जाक दाऊद ने कहा था कि 'भारत के साथ व्यापार समय की जरूरत है.' दाऊद ने आगे कहा था, 'जहां तक वाणिज्य मंत्रालय का सवाल है, उसकी स्थिति भारत के साथ व्यापार करने की है. और मेरा रुख यह है कि हमें भारत के साथ व्यापार करना चाहिए और इसे अभी शुरू करने की जरूरत है. भारत के साथ व्यापार सभी के लिए बहुत फायदेमंद है, खासकर पाकिस्तान के लिए और मैं इसका समर्थन करता हूं.'
पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच तनाव की वजह से भारत से निर्यात में 2019-20 में सालाना आधार पर 60 फीसदी से अधिक की गिरावट देखी गई है. इसकी शुरुआत अगस्त 2019 से तब हुई, जब जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को भारत सरकार द्वारा निरस्त किए जाने पर पाकिस्तान ने घोषणा की थी कि वह भारत के साथ अपने व्यापारिक रिश्ते को निलंबित कर रहा है. कपास, चीनी, ऑर्गेनिक केमिकल्स, फार्मास्यूटिकल्स, लोहा, इस्पात और प्लास्टिक पाकिस्तान को एक्सपोर्ट की जाने वाली शीर्ष वस्तुएं हैं. इसके साथ ही फरवरी 2019 में पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान से भारत का आयात साल दर साल गिरते हुए 97.18 फ़ीसदी पर आ गया. इसी के बाद भारत ने पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा भी वापस ले लिया था और सभी आयातों पर 200 फ़ीसदी का सीमा शुल्क लगा दिया था.
हालांकि, फरवरी में पाकिस्तान के एक प्रमुख बिजनेसमैन मियां मोहम्मद मंशा ने दावा किया कि वह पाकिस्तान और भारत के बीच व्यापार को लेकर बैक डोर की बातचीत कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही अच्छे परिणाम मिलेंगे." उन्होंने दोनों देशों को अपने विवादों को सुलझाने और देश में गरीबी से लड़ने के लिए व्यापार शुरू करने की सलाह भी दी. मियां मोहम्मद मंशा ने आगे कहा, "अगर अर्थव्यवस्था में सुधार नहीं हुआ तो देश को विनाशकारी परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. पाकिस्तान को भारत के साथ अपने व्यापार संबंधों में सुधार करना चाहिए और आर्थिक विकास के लिए एक क्षेत्रीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए." उन्होंने यह भी संकेत दिया था कि "अगर चीजें बेहतर होती हैं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 1 महीने के भीतर पाकिस्तान का दौरा कर सकते हैं."
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.)
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