सम्पादकीय

वक्त वक्त की बात

Subhi
28 Oct 2022 6:06 AM GMT
वक्त वक्त की बात
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यह भी एक वक्त है, जब एक भारतवंशी ने ब्रिटेन की सत्ता संभाल ली है। ऋषि सुनक ने आज हर एक भारतीय का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। यह साफ-साफ दर्शाता है कि अगर हमें सही समय पर सही प्रशिक्षण दिया जाए तो हम दुनिया की किसी भी परीक्षा में सफल हो सकते हैं।

Written by जनसत्ता: यह भी एक वक्त है, जब एक भारतवंशी ने ब्रिटेन की सत्ता संभाल ली है। ऋषि सुनक ने आज हर एक भारतीय का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। यह साफ-साफ दर्शाता है कि अगर हमें सही समय पर सही प्रशिक्षण दिया जाए तो हम दुनिया की किसी भी परीक्षा में सफल हो सकते हैं।

दरअसल, अंग्रेज इस बात को जानते थे कि अगर भारतीयों को उनकी छिपी हुई प्रतिभा के बारे में पता चला तो निश्चित ही हम ज्यादा समय तक भारत पर अपना राज कायम नहीं रख पाएंगे। इसलिए उन्होंने सारे छल-बल का इस्तेमाल कर हम पर राज किया। लेकिन जब वक्त बदला और भारतीयों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला तो ऐसे परिणाम आए कि देश का हर नागरिक खुशी से भर उठा।

इसमें कोई दोराय नहीं है कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को पूरी तरह निभाएंगे और भारत के ब्रिटेन के साथ संबंध और भी मधुर होंगे। यूरोप में भारत की छवि और भी अच्छी होगी।

भारत में चुनावी यात्राओं का इतिहास काफी पुराना है। इतिहास गवाह है कि मंडल आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने रथ यात्रा का आयोजन किया था। मंडल बनाम कमंडल की राजनीति लंबे समय तक चर्चा का विषय रही, जिस पर आज भी बहस होती है। इसी पृष्ठभूमि में लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा थी। ऐसा माना जाता है कि कांशीराम ने चार हजार किलोमीटर की साइकिल यात्रा की थी, इसका प्रतिफल यह था कि आज बसपा तीसरे नंबर की राष्ट्रीय पार्टी है।

सन 2022 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में बेरोजगारी, महंगाई और नफरत की राजनीति के खिलाफ साढ़े तीन हजार किलोमीटर की 'भारत जोड़ो यात्रा' केरल से कर्नाटक होते हुए तेलंगाना में प्रवेश कर चुकी है। इस यात्रा का असर इतना है कि देश की मुख्यधारा की टीवी मीडिया को भी जगह देना पड़ा है।

इस यात्रा से कांग्रेस को कितना फायदा होगा, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन भाजपा और उसके कई नेता सावधान जरूर हो गए हैं। यही कारण है कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनावी माहौल में भाजपा ने भी गुजरात में गौरव यात्रा का सहारा लिया।

इसी क्रम में बिहार की राजनीति में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के द्वारा तीन हजार किलोमीटर की यात्रा के माध्यम से राजनीतिक आधार मजबूत करने की तैयारी की गई है। आने वाले विधानसभा चुनाव में जनता दल (एकी), कांग्रेस और भाजपा और प्रशांत किशोर की यात्रा का असर जरूर पड़ेगा।


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