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- चीन को खरी-खरी सुनाने...
विजय क्रांति। भारत और चीन के रिश्तों पर नजर रखने वाले कुछ अति आशावादियों को उम्मीद थी कि 10 अक्टूबर को भारतीय और चीनी सेना के कोर कमांडरों की 13वीं बैठक में शांति का कोई रास्ता निकलेगा और 17 महीने से लद्दाख में चल रहे सैनिक तनाव में कुछ कमी आएगी, लेकिन चीनी पक्ष के अक्खड़ रवैये ने इन सब उम्मीदों की तेरहवीं कर डाली। लद्दाख के चुसुल-मोल्डो इलाके के उस पार नौ घंटे चली इस बैठक में किसी भी तरह की सहमति नहीं बन पाई। उलटे दोनों पक्षों की ओर से दिए गए बयानों ने स्पष्ट कर दिया कि आने वाली सर्दियों में सीमा किसी भी हद तक गरम हो सकती है। ताजा वार्ता से कुछ लोगों की आशा अकारण भी नहीं थी। इससे पहले 16 सितंबर को दुशांबे में विदेश मंत्रियों की बैठक में दोनों पक्षों के बीच यह सहमति बन चुकी थी कि सीमा पर चल रहे तनाव को कम किया जाएगा, लेकिन अब चीन के रवैये से यही लगता है कि वह तभी झुकेगा, जब कैलास चोटियों को कब्जाने जैसा कोई कदम उठाया जाएगा।