सम्पादकीय

कर सुधार को गति देने का समय

Gulabi
26 Jan 2022 5:20 PM GMT
कर सुधार को गति देने का समय
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कोविड-19 से पिछले दो वर्षों में छोटे आयकरदाताओं और मध्यम वर्ग की आर्थिक चुनौतियां खासा बढ़ गई हैं
जयंतीलाल भंडारी, अर्थशास्त्री
कोविड-19 से पिछले दो वर्षों में छोटे आयकरदाताओं और मध्यम वर्ग की आर्थिक चुनौतियां खासा बढ़ गई हैं। ऐसे में, कर संग्रह में उछाल के बीच 1 फरवरी को जब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वर्ष 2022-23 का बजट पेश करेंगी, तो व्यक्तिगत आयकर के मोर्चे पर वह बड़ी छूट का एलान कर सकती हैं। उम्मीद की जा रही है कि वित्त मंत्री छोटे आयकरदाताओं और मध्यम वर्ग को राहत देते हुए इनकी क्रयशक्ति बढ़ाकर मांग में वृद्धि करने की रणनीति अपना सकती हैं।
इसमें दो मत नहीं है कि पिछले दो वर्षों में कोरोना संकट के कारण एक तरफ जहां बड़ी संख्या में लोगों के रोजगार गए, उनके वेतन-पारिश्रमिक में कटौती हुई और 'वर्क फ्रॉम होम' की वजह से टैक्स में छूट के कुछ माध्यम कम हो गए, तो वहीं दूसरी तरफ डिजिटल तकनीक, ब्रॉडबैंड, बिजली के बिल जैसे खर्चों में बढ़ोतरी से बड़ी संख्या में छोटे करदाताओं की आमदनी घट गई। इन दिनों महंगाई भी बढ़ गई है। दिसंबर 2021 में थोक महंगाई दर गिरकर 13.56 फीसदी पर रही, जबकि उसी महीने में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 5.59 फीसदी पर पहुंच गई। पेट्रोल और डीजल की कीमतें भी ऊंची हैं। चूंकि कोरोना के कारण पैदा हुए आर्थिक हालात से लड़ने और छोटे करदाताओं व मध्यम वर्ग की क्रयशक्ति बढ़ाने के लिए पिछले वर्ष के बजट में कोई बड़ी राहत नहीं दी गई थी, इसलिए इस बार उम्मीद है कि सरकार टैक्स का बोझ कम करने के लिए अभूतपूर्व प्रोत्साहन दे सकती है।
छोटे करदाताओं व मध्यम वर्ग की मुश्किलों के बीच आयकर के पुराने स्लैब के पुन: निर्धारण की आवश्यकता खूब महसूस की जा रही है। आयकरदाताओं को राहत देते हुए सरकार को टैक्स छूट की सीमा दोगुनी कर पांच लाख रुपये कर देनी चाहिए। नए बजट में वित्त मंत्री को नौकरी-पेशा वर्ग के लोगों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा 75 हजार रुपये तक बढ़ानी चाहिए। इसी तरह, मौजूदा समय में धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये की छूट मिलती है, जिसमें ईपीएफ, पीपीएफ, एनएससी, जीवन बीमा, बच्चों की ट्यूशन फीस और आवास ऋण का मूलधन भुगतान भी शामिल है। मकानों की बढ़ती हुई कीमत को देखते हुए धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये की छूट पर्याप्त नहीं है। इस छूट की सीमा तीन लाख रुपये तक की जानी चाहिए। इससे बचत को लेकर लोग ज्यादा उत्सुक होंगे, क्योंकि कई टैक्स सेविंग्स निवेश इस सेक्शन के तहत आते हैं। इसी तरह, घर खरीदने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार को बजट में आवास ऋण के ब्याज पर टैक्स छूट का दायरा बढ़ाना चाहिए और इसकी सीमा दो लाख रुपये से बढ़ाकर चार लाख रुपये कर देनी चाहिए। इससे मकानों की ब्रिकी में तेजी आने की संभावना होगी।
सरकार द्वारा आयकर अधिनियम की धारा 80डी के तहत कर कटौती की सीमा को भी बढ़ाना चाहिए। चूंकि अभी भी कोरोना की चुनौतियों के बावजूद देश में स्वास्थ्य बीमा अधिक चलन में नहीं है और अधिकतर लोगों के स्वास्थ्य बीमे का कवर कोरोना वायरस के कारण अस्पताल के खर्चे से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं है, इसलिए 80डी के तहत स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम पर कर छूट को बढ़ाना चाहिए, ताकि करदाता स्वास्थ्य बीमा की तरफ प्रेरित हों। स्वास्थ्य बीमा को सस्ता किया जाना भी जरूरी है। इस पर 18 फीसदी जीएसटी है, जिसे कम किया जाना चाहिए। देश में करीब 14 करोड़ वरिष्ठ नागरिक हैं, जिनमें से अधिकांश छोटी बचत योजनाओं के ब्याज पर निर्भर होते हैं। चूंकि उन पर ब्याज दर घटा दी गई है, इसलिए बजट में वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयकर की छूट सीमा बढ़ाकर उनको राहत देनी चाहिए।
निश्चित रूप से नए बजट के माध्यम से आयकर सुधारों को गतिशील किया जाना जरूरी है। वर्ष 2020 से आयकर विभाग ने करदाता चार्टर (टैक्सपेयर चार्टर), पहचान रहित समीक्षा (फेसलेस असेसमेंट) और पहचान रहित अपील (फेसलेस अपील) व्यवस्था लागू की है। ऐसे में, अब नए बजट से कर वंचना रोकने के प्रयास करने होंगे। बहुत सारे लोग अच्छी आमदनी के बावजूद आयकर का भुगतान नहीं करते। उनके कर न देने का भार ईमानदार करदाताओं पर पड़ता है। चूंकि वेतनभोगी-वर्ग नियमानुसार अपने वेतन पर ईमानदारीपूर्वक आयकर चुकाता है, इसलिए अच्छी आमदनी के बावजूद आयकर नहीं देने वालों को जांच के दायरे में लाने के लिए आयकर विभाग को वित्तीय लेन-देन की जानकारी के विस्तार के अधिक कारगर प्रयास करने होंगे।
इसमें कोई दो मत नहीं है कि मोदी सरकार ने काले धन और बेनामी लेन-देन का पता लगाने के लिए महत्वपूर्ण कानून बनाए हैं। आयकर अधिकारियों को अब यह अधिकार दे दिया गया है कि अगर उनके पास किसी करदाता के बारे में ऐसी सूचना है कि उसने बीते तीन वर्षों में आय का आकलन छिपाया है, तो वे गहन आयकर जांच कर सकते हैं। चालू वित्त वर्ष 2021-22 में आयकर विभाग ने रिकॉर्ड तादाद में जांच करते हुए अघोषित आय मालूम भी की है। लेकिन अभी और अधिक आयकर जांच और तलाशी की जरूरत बनी हुई है।
सरकार द्वारा बजट के तहत नए डायरेक्ट टैक्स कोड और नए इनकम टैक्स कानून बनाने के कार्य को भी सुनिश्चित करना होगा। मोदी सरकार ने नवंबर 2017 में नई प्रत्यक्ष कर संहिता के लिए अखिलेश रंजन की अध्यक्षता में जिस टास्क फोर्स का गठन किया था, उसने अपनी रिपोर्ट 19 अगस्त, 2019 को सरकार को सौंप दी थी। इस रिपोर्ट में प्रत्यक्ष कर कानूनों में व्यापक बदलाव और वर्तमान आयकर कानून को हटाकर नए सरल व प्रभावी आयकर कानून लागू करने संबंधी कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं। रंजन समिति की रिपोर्ट के मद्देनजर नए डायरेक्ट टैक्स कोड और नए इनकम टैक्स कानून को भी शीघ्र आकार देकर देश में कर सुधारों का नया चमकीला अध्याय लिखा जा सकता है।
जाहिर है, यह उम्मीद बेमानी नहीं है कि वित्त मंत्री 1 फरवरी को बजट पेश करते हुए कोरोना महामारी व उसके बाद करदाताओं और मध्यम वर्ग की आर्थिक मुश्किलों को ध्यान में रखते हुए इस वर्ग को संतोषप्रद राहत दे सकती हैं। कहने की आवश्यकता नहीं कि इससे इन वर्गों की क्रयशक्ति बढ़ेगी, नई मांग पैदा होगी और देश की अर्थव्यवस्था गतिशील होगी।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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