सम्पादकीय

सचेत रहने का समय: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर अब उतार पर, लेकिन खतरा टला नहीं, सतर्कता बरतना अनिवार्य

Triveni
25 May 2021 2:41 AM GMT
सचेत रहने का समय: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर अब उतार पर, लेकिन खतरा टला नहीं, सतर्कता बरतना अनिवार्य
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कोरोना से संक्रमित होने वालों की संख्या में गिरावट और संक्रमण के नए मामलों की तुलना में स्वस्थ होने वालों की ज्यादा तादाद यह बताती है

भूपेंद्र सिंह | कोरोना से संक्रमित होने वालों की संख्या में गिरावट और संक्रमण के नए मामलों की तुलना में स्वस्थ होने वालों की ज्यादा तादाद यह बताती है कि संक्रमण की दूसरी लहर अब उतार पर है। इसे लेकर इसलिए निश्चिंत हुआ जा सकता है, क्योंकि हर दिन कोरोना टेस्ट बढ़ाए जा रहे हैं। अब इसके भी आसार नजर आ रहे हैं कि जिन राज्यों में लॉकडाउन अथवा कोरोना कर्फ्यू लागू है, वहां 1 जून से रियायत देने का सिलसिला कायम हो सकता है। ऐसा होना भी चाहिए, क्योंकि लोगों की जान बचाने के साथ आजीविका के साधनों को भी सहारा देने की जरूरत है। राज्य सरकारों को लॉकडाउन और कोरोना कर्फ्यू में ढील देने के साथ ही इसकी भी चिंता करनी चाहिए कि आर्थिक-व्यापारिक गतिविधियां तेजी के साथ आगे कैसे बढ़ें? इसकी चिंता करते समय इस पर भी ध्यान देना होगा कि हर तरह का कामकाज पहले जैसी गति कैसे पकड़े और इसकी भी कि लोग संक्रमण से बचे रहने के लिए आवश्यक सावधानी का परिचय देते रहें। कार्यालयों से लेकर कारखानों तक में भीड़ कम करने के लिए जिसे संभव हो, उसे वर्क फ्राम होम की सुविधा देने में उत्साह दिखाया जाना चाहिए। इसके साथ लोगों को यह संदेश बार-बार देना होगा कि मास्क का इस्तेमाल, शारीरिक दूरी का पालन और अपनी सेहत को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरतना अनिवार्य है।

हर किसी को इससे अवगत होना चाहिए कि कोरोना अब भी खतरनाक बना हुआ है। संक्रमण दर में गिरावट के आधार पर किसी को इस नतीजे पर नहीं पहुंचना चाहिए कि खतरा टल गया है, क्योंकि यह एक तथ्य है कि अभी भी प्रतिदिन करीब चार हजार लोग कोरोना से जान गंवा रहे हैं। नि:संदेह कोरोना से डरना नहीं है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि जरूरी सावधानी का परिचय नहीं देना है। सरकारों, उनके प्रशासन और साथ ही आम जनता को यह याद रखना चाहिए कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर इसीलिए इतने प्रचंड रूप में आई, क्योंकि खास के साथ आम लोगों ने भी अपेक्षित सतर्कता का परिचय देना बंद कर दिया था। शादी-ब्याह, मेले-ठेले के साथ राजनीतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक आयोजन इस तरह होने लगे थे, मानों कोरोना की विदाई हो गई हो। कम से कम अब तो पुरानी भूल दोहराने से हर हाल में बचा जाना चाहिए। इसलिए और भी कि संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका बनी हुई है। इस तीसरी लहर का सामना करने के लिए जो तैयारियां की जा रही हैं, उनमें संक्रमण से बचे रहने में मददगार उपायों की गिनती अवश्य की जानी चाहिए। यह गिनती सही तरह तभी हो सकेगी, जब लोग सचेत रहेंगे और कोविड रोधी टीका लगवाने को लेकर तत्परता भी दिखाएंगे।


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