सम्पादकीय

सतर्क होने का वक्त

Gulabi Jagat
18 July 2022 4:52 AM GMT
सतर्क होने का वक्त
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By NI Editorial
गैर-जरूरी चीजों का आयात घटाने के उपाय तुरंत किए जाने चाहिए। यह याद रखना चाहिए कि यह सामान्य समय नहीं है। सारी दुनिया में आर्थिक उथल-पुथल मची हुई है। इसलिए इस वक्त बरती गई ढिलाई देश को महंगी पड़ सकती है।
देश का विदेशी मुद्रा भंडार घटते हुए अब 580 बिलियन डॉलर तक आ गया है। पिछले साल सितंबर में यह 642 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचा था। लेकिन इस वर्ष- खास कर यूक्रेन युद्ध के बाद से इसमें तेजी से गिरावट आ रही है। गिरावट की दो खास वजहें हैं- एक तो विदेशी संस्थागत निवेशक भारत से अपना पैसा निकाल रहे हैं। दूसरी वजह देश का बढ़ता व्यापार घाटा है। दूसरा कारण अधिक बड़ी चिंता का विषय है। इस वर्ष अप्रैल में व्यापार घाटा 23 बिलियन डॉलर से कुछ अधिक था। मई में यह 25 बिलियन डॉलर के ऊपर गया और जून में 26 बिलियन डॉलर को पार कर गया। जाहिर है, कच्चे तेल और दूसरी कॉमोडिटी की महंगाई और अनिश्चय के वक्त सोना खरीदने की बढ़ती चाहत का असर चालू खाते पर पड़ रहा है। इस सिलसिले में जानकार इस बात पर भी जोर दे रहे हैं कि अगले छह से नौ महीनों में भारत सरकार और भारतीय कंपनियों को 267 बिलियन डॉलर का अपना अल्पकालिक कर्ज चुकाना है।
अगर तब तक डॉलर को बढ़ाने के लिए उठाए गए सरकारी उपाय कारगर नहीं हुए, तो विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति खासी चिंताजनक दिखने लगेगी। सरकार ने मोटे तौर पर तीन उपाय किए हैं- उसने कंपनियों के डॉलर में कर्ज लेने की सीमा दो गुनी कर दी है, बैंकों को विदेशी जमाकर्ताओं को आकर्षित करने के लिए ब्याज दर तय करने में लचीला रुख अपनाने की छूट दे दी है, और विदेश व्यापार में रुपये में भुगतान का सिस्टम बना दिया है। रुपये में भुगतान फिलहाल रूस को करना ही संभव दिखता है। बहरहाल, इससे डॉलर की एक बड़ी बचत होगी, यह साफ है। लेकिन बाकी दोनों उपाय अभी की अस्थिर स्थितियों के बीच कारगर होंगे, यह कहना कठिन है। इसलिए उचित यह होगा कि सरकार इन उपायों के भरोसे ना बैठी रहे। बल्कि गैर-जरूरी चीजों का आयात घटाने के उपाय पर तुरंत करे। यह याद रखना चाहिए कि यह सामान्य समय नहीं है। सारी दुनिया में आर्थिक उथल-पुथल मची हुई है। इसलिए इस वक्त बरती गई ढिलाई देश को महंगी पड़ सकती है।
Gulabi Jagat

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