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- पाकिस्तान का तख्त
Written by जनसत्ता; इमरान खान को बड़ा झटका लगा है। संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के पहले मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट ने हाथ खींच लिया। इससे इमरान खान की नैया डोलने लगी है। उन्होंने आरोप लगाया है कि विदेशी फंडिंग से उनकी सरकार गिराने की कोशिश कर रहे हैं। सेना का समर्थन खोने के बाद इमरान आत्मघाती राजनीति चुन सकते हैं। उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पूर्व इमरान खान ने भारत की प्रशंसा के पुल बांधे थे।
नरेंद्र मोदी की विदेश नीति को सराहा था। रूस-यूक्रेन जंग को दरकिनार कर रूस गए थे। दुनिया ने इमरान खान की खिल्ली उड़ाई थी। चीन की गोद मे बैठ कर भारत के खिलाफ साजिश रचने वाले पाकिस्तान की मोदी के सामने एक नहीं चली। अपने की देश की सेना को नजरअंदाज कर पड़ोसी देश भारत की सेना का बखान करने वाले इमरान खान को अब सेना रहम की नजर से कैसे देख सकती है?पाकिस्तान में सरगर्मियां तेज हो गई हैं। सरकारें बनती और गिरती हैं, लेकिन पाकिस्तान सुधरने का नाम नहीं लेता है।
राजनीति में गिरावट का दौर जारी है। आजादी के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष एक-दूसरे का सम्मान करते थे, उनकी बातों को सुनते और उनके सवालों का जवाब देते थे। आज सत्ता की लालसा में सभी दल मर्यादा की सीमाएं भूल चुके हैं। विपक्षी दलों को दुश्मन के रूप में देखा जाता है। उन पर तरह-तरह के मनगढ़ंत आरोप लगाए जाते और अपशब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। बंगाल विधानसभा में हिंसा की घटना राजनीति के गिरते स्तर की पराकाष्ठा है।
सत्ताधारी पार्टी के सदस्यों ने भाजपा विधायकों के साथ कैमरे के सामने मारपीट की। यह घटना लोकतंत्र के लिए एक कलंक के समान है। जब नेतागण ही राजनीतिक मर्यादा भूल जाएंगे, तो सामान्य कार्यकर्ताओं से क्या उम्मीद की जा सकती है? आज राजनीति में अपराधी तत्व फल-फूल रहे हैं। राजनीति में संवाद का गिरता स्तर राष्ट्रीय चिंता का विषय बन चुका है। आम जनता अपने मतों की ताकत से राजनीतिक दलों को सुधार लाने के लिए विवश कर सकती है।