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- संभलती हुई इकॉनमी
चौतरफा चुनौतियों से जूझकर उबरती भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए मंगलवार को यह राहत देने वाली खबर आई कि अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज ने इसका सॉवरेन आउटलुक नेगेटिव से स्टेबल कर दिया है। एजेंसी ने हालांकि सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग में कोई बदलाव न करते हुए पहले वाला बीएए3 दर्जा ही बरकरार रखा है, जो सबसे निचला इनवेस्टमेंट ग्रेड है। सॉवरेन आउटलुक में बदलाव उन प्रयासों और उनसे मिल रहे पॉजिटिव नतीजों को देखते हुए किया गया है, जिनसे गुजरती भारतीय अर्थव्यवस्था ने तमाम चुनौतियों को पीछे छोड़कर फिर से उठ खड़े होने का जज्बा दिखाया है।
रेटिंग एजेंसी के आकलन में वित्तीय क्षेत्र की बेहतर होती स्थिति को तो रेखांकित किया ही गया है, यह भी कहा गया है कि इकॉनमी के तमाम सेक्टर्स में रिकवरी की रफ्तार उससे तेज रही, जितनी अपेक्षा की जा रही थी। इसी वजह से यह उम्मीद भी जताई गई है कि वास्तविक जीडीपी इसी साल महामारी के पहले के स्तर को पार कर जाएगी। गौर करने की बात है कि इन पॉजिटिव बदलावों के पीछे उन कुछेक ठोस कदमों की बड़ी भूमिका रही, जो वित्तीय तंत्र की कमियों को दूर करने के मकसद से इस बीच उठाए गए। उदाहरण के लिए बैंकों पर बढ़ता एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स) का बोझ पिछले कई वर्षों से एक बड़ी समस्या के रूप में चिह्नित किया जाता रहा है।
अब अगर इस मोर्चे पर भी हालात को बेहतर होता बताया जा रहा है तो उसके पीछे एक वजह यह भी है कि नए कानूनों की मदद से वित्तीय व्यवस्था मजबूत हुई है और कर्ज भी पहले की तुलना में कहीं आसानी से मिल रहा है। हालांकि सरकारी खजाने पर दबाव की समस्या बनी हुई है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि जैसे-जैसे आर्थिक माहौल बेहतर होगा, सरकार के लिए वित्तीय घाटा कम करने वाले कदम उठाने की गुंजाइश बढ़ेगी और हालात काबू में आते जाएंगे। जोखिम का एक बड़ा स्रोत कोरोना वायरस का संक्रमण भी रहा है। इसकी दूसरी लहर ने उठती हुई अर्थव्यवस्था को एक बार फिर पीछे धकेल दिया था।