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सम्पादकीय
भारत में नए कोविड वेरिएंट का खतरा? XE वेरिएंट के पहले केस पर बीएमसी के दावे और केन्द्र के इनकार के बीच मामला क्या है?
Gulabi Jagat
8 April 2022 10:16 AM GMT
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भारत में कोरोना के नए वेरिएंट XE का पहला मामला सामने आया
उन्नति गोसाईं।
भारत में कोरोना (Corona) के नए वेरिएंट XE का पहला मामला सामने आया. बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) ने 6 मार्च को मुंबई में कोरोना के नए वेरिएंट XE का पहला मामला मिलने की घोषणा की. हालांकि INSACOG ने कहा कि रोगी के सैंपल की जीनोम टेस्टिंग में XE वेरिएंट के सबूत नहीं मिलते. दरअसल बीएमसी ने जैसे ही मुंबई में कोरोना के नए वेरिएंट से जुड़े केस की घोषणा की, केंद्र सरकार की तरफ से बयान आया कि संक्रमित व्यक्ति के सैंपल की जीनोम टेस्टिंग हुई थी, जिसके बाद उसमें कोरोना के XE वेरिएंट के कोई सबूत नहीं मिले.
बीएमसी ने दावा किया कि 50 साल की महिला में नया कोराना वेरिएंट मिला. नगरपालिका ने कोरोना से संक्रमित रोगियों के 230 नमूनों पर जीनोम टेस्टिंग कराने के बाद इस मामले का पता लगाने की घोषणा की थी. बीएमसी का कहना था कि 6 अप्रैल को 228 सैंपल्स की जांच में ओमिक्रॉन मामलों का पता चला था, वहीं एक में कप्पा वायरस की पुष्टि हुई थी. बाकी के बचे हुए सैंपल्स में एक सैंपल 50 वर्षीय दक्षिण अफ्रीकी महिला का था, जिसमें कोरोना के नए वेरिएंट XE की पुष्टि हुई. बीएमसी के मुताबिक यह मरीज 10 फरवरी 2022 को शूटिंग क्रू मेंबर के साथ अफ्रीका से मुंबई आई थी. इससे पहले उस महिला की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं थी. बीएमसी का कहना है कि इस महिला का वैक्सीनेशन हो चुका था और शहर में आने से पहले उसका कोविड टेस्ट भी हुआ था, जिसकी रिपोर्ट निगेटिव आई थी.
सैंपल की फिर से जीनोम टेस्टिंग की जाएगी
लेकिन 2 मार्च को जब सबअर्बन डायग्नोसिस द्वारा उसकी रूटीन टेस्टिंग हुई तो वह कोविड पॉजिटिव निकली. जिसके बाद उसे एक होटल के कमरे में क्वॉरंटीन किया गया. अगले दिन जब उसका फिर से टेस्ट किया गया तो उसकी रिपोर्ट निगेटिव आई. हालांकि बीएमसी ने आगे की जांच के लिए इस महिला के सैंपल को नेशनल इंस्टीट्यूट आफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स को भेज दिया. बीएमसी के एडिशनल कमिश्नर सुरेश काकानी ने कहा, "हमने अपनी जांच में इस सैंपल में कोरोना के नए वेरिएंट XE को पाया, इसलिए इसकी घोषणा की गई. हालांकि हमसे कहा गया है कि हम इस सैंपल को आगे की जांच के लिए INSACOG के पास भेजेंगे."
INSACOG कोरोना के नए वेरिएंट को लेकर आशंकित है, इसलिए सैंपल की फिर से जीनोम टेस्टिंग की जाएगी. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा, "सैंपल के संबंध में FastQ फाइलों, जिसे XE वेरिएंट भी कहा जा रहा है, का INSACOG के जीनोमिक विशेषज्ञों द्वारा विस्तार से विश्लेषण किया गया, जिन्होंने अपनी जांच में पाया कि इस वेरिएंट का संबंध कोरोना के नए वेरिएंट XE से नहीं है. बुधवार को INSACOG ने एक बैठक की जिसमें BYL नायर अस्पताल के डॉक्टर और प्रोफेसर जयंती शास्त्री भी शामिल हुए. डॉ जयंती शास्त्री मुंबई में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रमुख और दिल्ली के कस्तूरबा हॉस्पिटल के जीनोम सीक्वेंसिंग फैसिलिटी के इंचार्ज हैं. इस बैठक के दौरान अधिकारियों ने कहा कि नेशनल जीनोमिक्स संघ INSACOG इस सैंपल की एक बार और जांच करेगा.
XE वेरिएंट तेजी से फैलता है, लेकिन यह ज्यादा खतरनाक नहीं है. अभी तक ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि कोरोना का यह नया वेरिएंट ओमिक्रॉन या अन्य कोविड वेरिएंट से कितना अलग है. हालांकि जांच में यह जरूर पता चला है कि कोरोना का यह नया वेरिएंट BA.2 के मुकाबले 10 फीसदी अधिक तेजी से फैलता है. लेकिन इसके गंभीर परिणाम फिलहाल ओमिक्रॉन के जैसे ही दिखाई देते हैं.
XE ओमीक्रोन वेरिएंट से संबंधित है
यह बिल्कुल सच है कि 3 महीने पहले खोजे गए कोरोना के इस नए XE वेरिएंट के मामलों में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं दिखी है. इससे पता चलता है कि फिलहाल यह दुनिया के लिए कोई बड़ी चिंता की बात नहीं है. XE वेरिएंट क्लीनिकल जांच में कोरोना के BA.1 या BA.2 से ज्यादा अलग नहीं पाया गया है. न ही यह ओमिक्रॉन कि तुलना में संक्रमित को ज्यादा गंभीर रूप से बीमार करता है. इसलिए फिलहाल XE वेरिएंट को ओमीक्रोन से अलग नहीं माना जा रहा है. इस मामले पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा, "XE ओमीक्रोन वेरिएंट से संबंधित है. जब तक कि यह नहीं पता चल जाता की इससे कितनी तेजी से संक्रमण फैल रहा है या फिर इससे संक्रमित व्यक्ति कितना गंभीर हो रहा है."
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ जेनेटिक्स एंड सोसाइटी के डायरेक्टर राकेश मिश्रा ने TV9 से बात करते हुए कहा, "आम धारणा यह है कि जनवरी के बीच में इस नए वेरिएंट को खोजा गया था, जिसको अब तक लगभग ढाई महीने से ज्यादा बीत चुके हैं. लेकिन इस वेरिएंट के ज्यादा मामले अभी तक संज्ञान में नहीं आए हैं. यूके में अब तक इसके 637 मामले सामने आए हैं. यानी साफ है कि अगर यह ज्यादा खतरनाक और ज्यादा संक्रामक होता तो अब तक हम इसे हर जगह देख रहे होते."
उन्होंने कहा ओमिक्रॉन वायरस दक्षिण अफ्रीका में नवंबर में मिला था, लेकिन चार से पांच हफ्तों के भीतर यह पूरी दुनिया में फैल गया और इसने डेल्टा वेरिएंट को रिप्लेस कर दिया. लेकिन XE ऐसा कुछ नहीं कर पाया है. मिश्रा ने आगे कहा, "मुझे नहीं लगता कि XE वेरिएंट हमारे लिए कोई चिंता की बात है, इसके कोई सबूत नहीं है जिसे लेकर हम इसके बारे में चिंतित हों. हां यह जरूर है कि हमें सावधानी बरतनी होगी और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा."
मास्क पर ढिलाई अभी नहीं करनी चाहिए
क्या भारत को चिंता करनी चाहिए? केवल XE वेरिएंट के पता लग जाने से देश के लिए चिंता की बात नहीं है. अभी तक की जितनी भी जांच पड़ताल हुई है उसमें यह वेरिएंट ओमिक्रॉन वेरिएंट से बहुत अलग नहीं है. जब तक कि यह लोगों को तेजी से संक्रमित नहीं करता है या फिर अपने संक्रमितों को बहुत अधिक गंभीर रूप से बीमार नहीं करता है, तब तक भारतीय लोगों के लिए XE वेरिएंट कोई बड़ा खतरा नहीं है.
वहीं दूसरी ओर देखें तो भारत सरकार अब यात्रा पर प्रतिबंधों को हटा रही है और मास्क पहनने को लेकर अपने कड़े नियमों में भी ढिलाई कर रही है. इस मामले पर TV9 से बात करते हुए बेंगलुरु के फोर्टिस हॉस्पिटल के सीनियर कंसलटेंट, इंटरनल मेडिसिन, डॉक्टर आदित्य चाउटी कहते हैं, "मेरी राय में मास्क का इतनी जल्दी हटाया जाना ठीक नहीं है, क्योंकि हम अभी उस स्थिति में नहीं हैं कि कोरोना से पूरी तरह से हमें आजादी मिल गई है. अभी कोरोना हमारे आस पास ही है. और धीरे-धीरे हम कोविड के मामलों में वृद्धि भी देख रहे हैं. अगर ऐसा ही रहा तो भविष्य में मामले और भी बढ़ सकते हैं, ऐसे में मुझे नहीं लगता कि मास्क को लेकर इतनी ढिलाई सही है."
दिल्ली के पुल्मनोलॉजिस्ट डॉ विनी कांत्रू कहती हैं, "आपका पूरा ध्यान वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए होना चाहिए, यदि आप ऐसी जगह रह रहे हैं जहां भीड़ है या जहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना मुश्किल है, तो आपको पता होना चाहिए कि वहां वायरस के संक्रमण का खतरा हो सकता है. इसलिए आपको जब भी किसी भीड़-भाड़ वाली जगह पर जाना हो तो मास्क जरूर लगाना चाहिए."
(लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं, आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखिका के निजी हैं.)
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