सम्पादकीय

नए रूप का खतरा

Subhi
24 Jun 2021 2:59 AM GMT
नए रूप का खतरा
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कोरोना विषाणु के एक और नए रूप डेल्टा प्लस ने नींद उड़ा दी है। चिंता की बात ज्यादा इसलिए है |

कोरोना विषाणु के एक और नए रूप डेल्टा प्लस ने नींद उड़ा दी है। चिंता की बात ज्यादा इसलिए है कि हाल में इसके चालीस से ज्यादा मामले आ गए। ये मामले किसी एक नहीं बल्कि पांच राज्यों के हैं। सबसे ज्यादा इक्कीस मामले महाराष्ट्र और छह मध्य प्रदेश में मिले। इसके अलावा केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पंजाब और जम्मू में भी डेल्टा प्लस से संक्रमित मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। महाराष्ट्र और केरल उन राज्यों में से हैं जिन्होंने पिछले सवा साल में कोरोना की सबसे ज्यादा मार झेली है।

इसलिए केंद्र सरकार ने राज्यों को परामर्श जारी किया है कि वे इस नए रूप वाले विषाणु के खतरे से निपटने को तैयार रहें। डेल्टा प्लस कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि सरकार ने इसे चिंताजनक विषाणु की श्रेणी में रखा है। दूसरी लहर ने जिस तरह से तबाही मचाई, उससे सबक लेते हुए अब केंद्र और राज्यों को सतर्कता बरतना जरूरी है। विशेषज्ञ तीसरी लहर की चेतावनी दे ही रहे हैं। इसलिए इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि डेल्टा प्लस ही तीसरी लहर का कारण बन जाए।
अभी तक देखने में यही आया है कि डेल्टा प्लस संक्रमण भी उसी तरह से फैल रहा है जैसे कोरोना फैलना शुरू हुआ था। लोगों की बेरोकटोक आवाजाही से संक्रमण एक राज्य से दूसरे राज्य में पहुंचा और तेजी से फैलता गया। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश आदि सभी राज्यों की सीमाएं एक दूसरे से लगी हैं। इसलिए अगर किसी भी राज्य से कोई संक्रमित दूसरी जगह पहुंच गया तो वह निश्चित तौर पर संक्रमण का वाहक होगा। वरना इन राज्यों में नए स्वरूप के मामले कैसे मिलते!
इसी डर के कारण गोवा ने महाराष्ट्र से लगने वाली सीमा पर सतर्कता बढ़ा दी है। पिछली बार संक्रमण का प्रसार रोकने के लिए राज्यों ने अपनी सीमाएं बंद कर ली थीं। भले अभी डेल्टा प्लस के मामले कम हैं, लेकिन जिस तरह राज्यों में विषाणु के इस नए रूप ने दस्तक दे दी है, वह चिंताजनक है। कहने को डेल्टा प्लस के मामले अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन, जापान, पोलैंड, स्विटजरलैंड और नेपाल में भी मिले हैं। पर इनमें से किसी भी देश ने इसे चिंताजनक करार नहीं दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इसे खतरनाक नहीं माना है। लेकिन भारत पहला देश है जिसने डेल्टा प्लस को चिंताजनक मानते हुए राज्यों को परामर्श जारी किया।
कोरोना विषाणु अब तक हजारों तरह के रूप बदल चुका है। वैज्ञानिकों के लिए यह कोई कम बड़ी मुश्किल नहीं है। विषाणु के रूप बदलते रहने के कारण संक्रमितों की जांच से लेकर टीका विकसित करने तक में बाधाएं आती हैं। यह तय कर पाना भी आसान नहीं रह जाता कि कौनसा मरीज किस रूप के विषाणु से संक्रमित है और कौनसा टीका किस-किस रूप का तोड़ बन सकता है। अभी तक यही माना जा रहा है कि भारत में दूसरी लहर का कहर डेल्टा रूप वाले विषाणु ने ही बरपाया। इसी डेल्टा विषाणु ने अब डेल्टा प्लस का रूप धारण कर लिया। बहरहाल अब इससे डरने के बजाय इसे पिछली लापरवाहियों के सबक के रूप में लेने की जरूरत है। जांच और संक्रमित व्यक्ति के संपर्कों में आने वालों का पता लगा कर उन्हें एकांतवास में रखने और पर्याप्त इलाज देने की जरूरत है। संक्रमितों की जांच से लेकर इलाज तक में जिस तरह की लापरवाही और कुप्रबंधन का जो खमियाजा हमने भुगता है, उससे अब बचना होगा। नहीं तो बहरूपिया विषाणु और घातक साबित हो सकता है।

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