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सम्पादकीय
जो लोग मन पर काम करेंगे उनकी देह से अपराध की संभावना समाप्त हो जाएगी
Gulabi Jagat
12 May 2022 10:05 AM GMT
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ओपिनियन
पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: पाप के बीज से अपराध का वृक्ष पनपता है। दुनियाभर में अपराध मिटाने के, कम करने के प्रयास किए जाते हैं, लेकिन यह बिलकुल ऐसा है जैसे वृक्ष काटा जाए और जड़ें सलामत रहें। काम अपराध की जड़ पर करना होगा। भाव से पाप पैदा होते हैं, फिर भाव विचार में बदलते हैं तो विचार कृत्य बनकर अपराध हो जाता है। माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा-संस्कार देते हैं।
फिर बच्चे बाहर की दुनिया में निकलते हैं और कुछ ऐसा कर जाते हैं जो उन्हें नहीं करना चाहिए। पिछले दिनों मैंने सुना एक माता-पिता अपने बच्चों को संस्कार शिविर में भेजते थे। बच्चे वहां दिन में ध्यान लगाते और रात को चोरी करते। यह सच्चाई तो उन बच्चों की है जो पकड़े गए, पर परिवारों में ऐसे और भी कई बच्चे हैं जो ऐसा ही सब कर रहे हैं। दरअसल हमारा पारिवारिक वातावरण भी देह पर टिका हुआ है।
परिवार के सदस्य अब एक साथ बैठकर मन पर काम नहीं करते। मन पर काम यानी सामूहिक योग। मन यदि अतीत में है तो स्मृति पैदा करता है और यदि भविष्य में है तो सपने दिखाता है। वर्तमान पर आते ही वह निष्क्रिय, नियंत्रित हो जाता है। मन यदि सक्रिय रहा तो आप अवसर पाते ही अपराध कर जाएंगे। इसलिए थोड़ा वर्तमान पर टिकते हुए मन पर काम कीजिए। जो लोग मन पर काम करेंगे उनकी देह से अपराध की संभावना समाप्त हो जाएगी।
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