सम्पादकीय

बच्चों पर ये कहर!

Gulabi
26 Nov 2021 5:15 AM GMT
बच्चों पर ये कहर!
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बच्चों पर ये कहर
करोना काल में बच्चों को यौन शोषण भी बढ़ गया। ये बात एनसीआरबी की वार्षिक रिपोर्ट से जाहिर हुई है। 2016 से 2020 तक की एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार बाल यौन शोषण के मामलों की संख्या 2016 में 36,321 थी, जो 2020 में बढ़कर 47 हजार से अधिक हो गई।
कोरोना काल में करोड़ों बच्चों की पढ़ाई-लिखाई प्रभावित हुई। उनके मन पर इस महामारी ने जो छाप छोड़ी है, वह एक दीगर समस्या है। लेकिन इन सबसे भी बड़ी चिंताजनक खबर यह है कि इस काल में बच्चों को यौन शोषण भी बढ़ गया। ये बात राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की वार्षिक रिपोर्ट से जाहिर हुई है। इसके मुताबिक भारत में पिछले तीन साल में बच्चों के खिलाफ 4,18,385 अपराध दर्ज किए गए। इनमें पॉक्सो एक्ट के तहत करीब 1,34,383 मामले दर्ज हुए। इन मामलों में सबसे ज्यादा वृद्धि 2020 में हुई। अगर पूरे आंकड़ों पर गौर करें, तो उससे यह संकेत मिलता है कि पोक्‍सो (प्रोटेक्‍शन ऑफ चिल्‍ड्रेन अगेंस्ट सेक्‍सुअल ऑफेंस) जैसे कड़े कानून के बावजूद भारत में बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा के मामलों साल दर साल इजाफा हो रहा है।
एनसीआरबी की 2020 की रिपोर्ट बताती है कि यौन हिंसा और यौन शोषण की वारदात सबसे अधिक 16 से लेकर 18 वर्ष की लड़कियों के साथ हुईं। इस क्षेत्र में काम करने वाले कार्यकर्ताओं का कहना है कि कई बार मामले तो पुलिस तक नहीं पहुंचते हैं या फिर परिवार ही बदनामी के डर से उसे दबा देता है। बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए नौ साल पहले पॉक्सो कानून बनाया गया था। लेकिन 2016 से 2020 तक की एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार बाल यौन शोषण के मामलों की संख्या 2016 में 36,321 थी, जो 2020 में बढ़कर 47 हजार से अधिक हो गई। यह 31 प्रतिशत की वृद्धि है। यह खुद एनसीआरबी की 2020 की रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों में से सिर्फ 36 फीसदी ही पॉक्सो के तहत दर्ज होते हैं। यानी बाकी मामले इस कानूनी दायरे से बाहर रह जाते हैँ। गैर-सरकारी संस्थाओं का कहना है कि अपराधी अब तेजी से सोशल मीडिया और ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म के जरिए बच्चों को शिकार बना रहे हैं। इस रूप में अपराधी गुमनाम तरीके से काम करते हैं। इसके पहले एक अंतरराष्ट्रीय संस्था 'वी प्रोटेक्ट ग्लोबल एलायंस' की इसी साल की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि कोविड-19 महामारी बाल यौन शोषण और ऑनलाइन दुर्व्यवहार में भारी वृद्धि का कारण बनी है। ऐसे में बच्चों को यौन शोषकों से बचाने के लिए बड़े अभियान की जरूरत है। सरकार को इस ओर तुरंत ध्यान देना चाहिए।
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