सम्पादकीय

अल गूना फिल्म फेस्टिवल में दिखी दिल्ली की ये दहला देने वाली तस्वीर

Gulabi
1 Nov 2021 1:11 PM GMT
अल गूना फिल्म फेस्टिवल में दिखी दिल्ली की ये दहला देने वाली तस्वीर
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अल गूना फिल्म फेस्टिवल

मिस्र की राजधानी काहिरा से 440 किलोमीटर दूर लाल सागर के किनारे बसे शहर अल गूना का 5वां फिल्म समारोह अरब सिनेमा का नया आईना है। 75 फिल्मों और दो लाख चौबीस हजार डॉलर के 16 पुरस्कारों के साथ यह समारोह दुनिया भर के फिल्म प्रेमियों को आकर्षित कर रहा है। इस बार भारत की दो फिल्में यहां दिखाई गईं। आदित्य विक्रम दासगुप्ता की बांग्ला फिल्म 'वंस अपान ए टाइम इन कलकत्ता' मुख्य प्रतियोगिता खंड में रही, दिल्ली के प्रदूषण पर कान फिल्म समारोह के आफिशियल सेलेक्शन में दिखाई जा चुकी राहुल जैन की डाक्यूमेंट्री 'इनविजिबल डेमंस' का यहां विशेष प्रदर्शन किया गया।

'इनविजिबल डेमंस' में दिखी डरा देने वाली दिल्ली
पांचवें अल गूना फिल्म फेस्टिवल में दिखाई जा रही अधिकतर फिल्मों में शरणार्थी समस्या, आतंकवाद और मनुष्यता पर युद्ध के खतरों को दर्शाया गया है। राहुल जैन की फिल्म 'इनविजिबल डेमंस' में दिल्ली और देश में जानलेवा प्रदूषण की समस्या की तह में जाने की कोशिश की गई है। ऐसी भयानक दिल्ली पहली बार सिनेमा में दिखाई गई है।

एक ओर भारत को तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था वाला देश कहा जाता है तो दूसरी ओर राजधानी दिल्ली के चारों ओर कचरा कबाड़ गंदगी और बीमारियों का नरक फैलता जा रहा है। दिल्ली में प्रदूषण के कारण अस्सी प्रतिशत लोगों के फेफड़े हमेशा के लिए खराब हो जा रहे हैं।

यमुना नदी गंदे काले नाले में तब्दील हो गई है। एक ओर थोड़ी सी बारिश से हर जगह पानी भर जाता है तो दूसरी ओर पीने के पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। प्लास्टिक का कचरा खाकर मरती गायें हैं तो कूड़े के ढेर पर बच्चे भटक रहे हैं।
कालखंड की त्रासदी
आदित्य विक्रम सेनगुप्ता की फिल्म 'वंस अपान ए टाइम इन कलकत्ता' में एक साथ कई कहानियां हैं, जिनमें हर कोई जिंदगी की जंग लड़ रहा है। पति से असंतुष्ट और अलग रह रही अधेड़ अभिनेत्री, चिट फंड कंपनी का एजेंट और उसका मालिक, उजाड़ थियेटर में मृत्यु का इंतजार करता पूर्व अभिनेता, भ्रष्ट व्यवस्था से लड़ता एक इंजीनियर और अंत में सारी लड़ाइयां हारते लोग।

फिल्म एक कालखंड की त्रासदी को पूरी कलात्मकता से पेश करती है। पांचवें अल गूना फिल्म फेस्टिवल में दुनिया भर से चुनी हुई 16 फीचर फिल्में मुख्य प्रतियोगिता खंड में शामिल रहीं। 23 शार्ट फिल्में, 10 डाक्यूमेंट्री , 20 फिल्में आऊट आफ कंपीटिशन है और विश्व के महान फिल्मकार क्रिस्तोफ किस्लाव्स्की (पोलैंड) की छह रिस्टोर फिल्मों का विशेष प्रदर्शन किया गया।
मिस्र और भारत का हजारों साल का रिश्ता
अल गूना फिल्म फेस्टिवल के निर्देशक इंतिशाल अल तिमिमी कहते हैं कि उन्हें भारत से बेइंतहा मोहब्बत है। मिस्र और भारत के बीच करीब पांच हजार सालों से अनोखा रिश्ता रहा है। वह केरल अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह की जूरी में भी रह चुके हैं। अदूर गोपालकृष्णन, शाजी एन करूण, मणि कौल से उनकी गहरी दोस्ती रही है। उनका मानना है कि पिछले पंद्रह साल से हिंदी में न्यू वेव सिनेमा का जो आंदोलन चल रहा है, वह भारतीय सिनेमा को काफी हद तक बदल रहा है।
आईएसआईएस की पोल खोलती 'सबाया'
पांचवें अल गूना फिल्म फेस्टिवल में कुर्दिश मूल के स्वीडिश फिल्मकार होगीर हीरोरी की डाक्यूमेंट्री 'सबाया' की बड़ी चर्चा रही। होगीर हीरोरी अपनी जान जोखिम में डालकर उत्तरी सीरिया के यजिदी होम सेंटर में रात के अंधेरे में चालीस बार गए और यह फिल्म शूट की। उन्होंने उन कई औरतों के इंटरव्यू लिए, जिन्हें इस्लामिक स्टेट आईएसआईएस के लोगों ने अपहरण कर जबरन सेक्स स्लेव बनाया था।

महमूद, जियाद और उनके समूह ने सिर्फ एक स्मार्ट फोन और पिस्तौल के बल पर रात के अंधेरे में सीरिया के सबसे खतरनाक कैंप अल होल से 258 यजीदी औरतों को निकाला था, जिन्हें वहां सेक्स स्लेव बनाकर रखा गया था। उनमें से 52 औरतें बलात्कार से गर्भवती हुईं और बच्चों को जन्म दिया। इसमें एक नौ साल की बच्ची मित्रा भी थी।
फेस्टिवल्स की फेवरिट फिल्म
'सबाया' फिल्म के निर्देशक होगीर हीरोरी का जन्म कुर्दिस्तान में हुआ था, पर 1999 में वह शरणार्थी बनकर स्वीडन आ गए। इस फिल्म को सन डांस फिल्म फेस्टिवल में 'वर्ल्ड डाक्यूमेंट्री प्राइज और हांगकांग अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में जूरी प्राइज से नवाजा गया है। यह फिल्म दुनिया के पचास फिल्म समारोहों में दिखाई जा चुकी है और इसे करीब तीस टेलीविजन चैनल प्रसारित कर चुके हैं।

फिल्म में कैमरा वास्तविक व्यक्तियों, जगहों और घटनाओं को दिखाता है और तथ्यों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। उन गुलाम औरतों की आपबीती उन्हीं की जुबानी सुनाई गई है और उनके कैंपों की अमानवीय हालत देखकर डर लगता है।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए जनता से रिश्ता उत्तरदायी नहीं है

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