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देश में उच्च शिक्षा की तस्वीर बदलने के लिए विश्विद्यालय अनुदान आयोग यानी (UGC) जल्द ही नई गाइडलाइन जारी करने वाला है
नरेन्द्र भल्ला
देश में उच्च शिक्षा की तस्वीर बदलने के लिए विश्विद्यालय अनुदान आयोग यानी (UGC) जल्द ही नई गाइडलाइन जारी करने वाला है,जिसे एक क्रांतिकारी कदम ही समझा जायेगा.इसके लागू होने के बाद कोई भी छात्र एक ही वक़्त में एक ही विश्विद्यालय से या फिर दो अलग-अलग विश्विद्यालय से दोहरी डिग्री पाने का हक़दार बन जाएगा.
देश में फ़िलहाल उच्च शिक्षा का मौजूदा ढांचा बहुत पुराना है.लेकिन यूजीसी के इस फैसले के बाद ये पूरी तरह से बदल जायेगा जिसका फ़ायदा अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट करने वाले छात्रों को होगा,लिहाज़ा इसे एक बेहद अच्छा कदम माना जा रहा है.
यूजीसी के चेयरमैन एम जगदीश कुमार के मुताबिक नई गाइडलाइन तैयार हो चुकी है जिसकी घोषणा अगले कुछ हफ़्तों में कर दी जायेगी. दरअसल,इसके अनुसारदेश में अब यूजीसी की ओर से ड्यूल डिग्री प्रोग्राम, क्रेडिट स्कोर सिस्टम और मल्टी-डिसिप्लिनरी एजुकेशन सिस्टम (बहु-विषयक शिक्षा प्रणाली) को लागू किया जाएगा.उनके अनुसार नई गाइड लाइन अकादमिक सत्र 2022-2023 से ही देश के सभी विश्विद्यालयों में लागू हो जाएगी.लेकिन प्रवेश नीति और विभिन्न विषयों के लिये आवश्यक पात्रता संबंधी फैसला हर विश्विद्यालय अपने हिसाब से ले सकेगा.
यूजीसी की इस गाइडलाइन के मुताबिक उच्च शिक्षा संस्थानों के पास मल्टी डिसिप्लिनरी प्रणाली को अपनाने के विभिन्न तरीके होंगे,यानी इसे लचीला बनाया गया है.इसका एक बड़ा फायदा ये भी होगा कि विश्वविद्यालयों से संबद्ध कॉलेज भी मल्टी डिसिप्लिनरी शिक्षा प्रदान करके डिग्री देने वाले स्वायत्त यानी ऑटोनॉमस कॉलेज बन सकते हैं.
वहीं, कॉलेजों या विश्वविद्यालयों के पास भी दोहरी डिग्री प्रदान करने के लिए कोलेब्रेशन करने का विकल्प भी होगा.गाइडलाइंस का जो ड्राफ्ट तैयार हुआ था,उसमें कहा गया है कि एक बार दाखिला लेने के बाद छात्र पहली डिग्री उसी संस्थान में प्राप्त करेंगे जबकि दूसरी डिग्री उस संस्थान के सहयोगी या पार्टनर संस्थान से बगैर किसी अलग प्रवेश प्रक्रिया के हासिल कर सकेंगे.
लेकिन छात्रों के जेहन में ये सवाल होगा कि ये दोहरी डिग्री प्रक्रिया आखिर कैसे अमल में आएगी,तो इसके लिए एक उदाहरण को समझना होगा. मान लीजिये कि कोई छात्र आईआईटी से बीटेक कर रहा है और उस आईआईटी का दिल्ली विश्वविद्यालय से सहयोग-समझौता है तो वह छात्र बिना किसी प्रवेश-प्रक्रिया के दिल्ली विश्वविद्यालय से किसी अन्य पाठ्यक्रम में भी डिग्री प्राप्त कर सकता है.
दरअसल,उच्च शिक्षा के ढांचे में ये बदलाव, नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 की घोषणाओं के अनुरूप किया जा रहा है.हालांकि, इसे लागू करने के लिए 2035 तक की समय-सीमा तय की गई है.एनईपी में कहा गया है कि सभी संबद्ध कॉलेज 2035 तक डिग्री प्रदान करने वाले बहु-विषयक स्वायत्त संस्थान बन जाएंगे। इससे सरकार छात्रों के लिए ऑनलाइन दूरस्थ शिक्षा को लागू करने में भी सक्षम होगी. यह कॉलेजों को विविध विषयों की शिक्षा के योग्य तो बनायेगा ही,साथ ही ऑनलाइन शिक्षा की दिशा में भी और अधिक अवसर प्रदान करेगा.
Rani Sahu
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