सम्पादकीय

यह उनकी शातिर चाल हो सकती है मगर, हमारे दुश्मन को मार डालने का मकसद तो कतई नहीं

Tara Tandi
26 Jun 2021 11:37 AM GMT
यह उनकी शातिर चाल हो सकती है मगर, हमारे दुश्मन को मार डालने का मकसद तो कतई नहीं
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सिर पर अमेरिका की 70 करोड़ की इनामी राशि का वजन लादे,

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | सिर पर अमेरिका की 70 करोड़ की इनामी राशि का वजन लादे, कानूनी शिकंजे से बचने को इधर-उधर भागते फिर रहे 'मोस्ट-वांटेड' हाफिज सईद (Hafiz Saeed) की मांद कहिए या फिर घर के बाहर, दो दिन पहले लाहौर में फिर जबदस्त धमाका हो गया. धमाके में 30 किलोग्राम आरडीएक्स (RDX) का इस्तेमाल किए जाने की खबरें सामने आ रही हैं. इस धमाके में विदेश में बने मटीरियल के इस्तेमाल की बात भी सामने आ रही है. धमाके के लिए आरडीएक्स जैसे घातक विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया. 30 किलोग्रमा वजनी उस आरडीएक्स का इस्तेमाल, जिसके 100 से 200 ग्राम वजन से बना बम किसी भारी-भरकम पुल को कागज की मानिंद उड़ा देने में सक्षम है. मतलब ऐसे खतरनाक और 30 किलोग्राम आरडीएक्स के विस्फोट में भी न तो हाफिज सईद का बाल-बांका हुआ. ना ही उसके किसी गुर्गे के बदन पर खरोंच तक आई.

मतलब इतना जबदरदस्त विस्फोट भी बेकार साबित हो गया. इसके बाद पाकिस्तानी हुकूमत (Pakistan Government) ने मोस्ट वांटेड हाफिज सईद को खुद ही तलाशना शुरू कर दिया. यह शोर मचाकर कि वो मिल नहीं रहा है. जोकि एक बाहियाद कसरत से ज्यादा कुछ नहीं था. धमाके में हाफिज सईद का बाल-बांका भले न हुआ हो, मगर उस खाली धमाके का शोर दुनिया ने सुन लिया. हाफिज सईद और उसके पाकिस्तानी आका चाहते भी यही थे कि, हाफिज का नुकसान न हो मगर उस पर हमले की नाकाम साजिश की खबर जमाने में फैल जाए. इस सबको एक सोची समझी रणनीति कहिये या फिर षडयंत्र समझिए. बम विस्फोट के निशाने पर हाफिज सईद था. यह खबर पाकिस्तान ने इत्तिमिनान से फैलवा दी. अगर वाकई उस विस्फोट का मकसद हाफिज सईद को निशाना बनाना था तो फिर, सवाल यह पैदा होता है कि आखिर, इतने जबरदस्त धमाके में वो एक बार फिर जिंदा बच कैसे गया?
लाख टके का एक वो सवाल
बस यही वो लाख टके का सवाल है जो पूर्व की और मौजूदा पाकिस्तानी हुक्मरानों व उसकी हुकूमतों को कटघरे में खड़ा करने के लिए काफी है. जब जब पाकिस्तान के ऊपर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनता है. तब तब या तो पाकिस्तानी हुकूमत आतंकवाद के इस मोस्ट वांटेड "इंजीनियर-प्रोफेसर" को गिरफ्तार करके जेल में भेज देती है. या फिर उसके घर, अड्डों के इर्द-गिर्द को इसी तरह के बड़े धमाके करवा देती है. इस तथ्य से अमेरिका, भारत, यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन की खुफिया एजेंसियां भी हमेशा से इत्तिफाक रखती आ रही हैं. खुलकर न सही मगर यह नामी-गिरामी एजेंसिया बार-बार होने वाले इस तरह के धमाकों. हर धमाके में हाफिज सईद को निशाना बनाये जाने की अफवाहों का उड़वाया जाना. इस तरह के हर धमाके में मगर खतरनाक और मोस्ट वांटेड हाफिज सईद के रोंगटे पर भी कभी कोई असर न आना. ऐसी खबरें अब किसी भी देश की खुफिया और जांच एजेंसियों को चौंकाती नहीं हैं. क्योंकि वे पाकिस्तान की करनी और कथनी में फर्क बखूबी समझ चुकी हैं.

यह सब मिलीभगत का नतीजा है
भारतीय खुफिया एजेंसी के एक उच्च पदस्थ सूत्र की मानें तो, "यह सब पाकिस्तानी हुकूमत और उनके हुक्मरानों के दिमाग की सोची समझी कुत्सित नीति का हिस्सा है. जब जब उस पर अंतरराष्ट्रीय दबाव पड़ना शुरु होता है. पाकिस्तानी हुक्मरान जमाने को और भारत-अमेरिका जैसे देशों को दिखाना चाहता है कि, वो हाफिज सईद जैसे आतंकवादियों को पाल नहीं रहा है. इस तरह के कथित विस्फोट करवा कर पाकिस्तान हर बार दुनिया की नजर में लाना चाहता है कि, हाफिज सईद की जान के बहुत दुश्मन पाकिस्तान में भी मौजूद हैं. अगर पाकिस्तानी हुकूमत उसे सुरक्षा-संरक्षण दे रही होती, तो भला उस पर इस तरह के बम धमाके क्यों होने देती?" खुफिया एजेंसी के इसी पूर्व अधिकारी के मुताबिक, "पाकिस्तान यह सब अपने कुकर्मों को छिपाने या कहिए उन पर परदा डालने के मकसद से करता है. हालांकि जिनसे (अमेरिका, भारत, ब्रिटेन) वो हकीकत छिपाना चाहता है, वे और उसकी एजेंसिया हकीकत को अंदर तक जानती हैं. यह अलग बात है कि ये देश जल्दबाजी में अपना कोई रियेक्शन जान-बूझकर नहीं देते हैं. यह उनकी कूटनीति का हिस्सा हो सकता है."
आरडीएक्स है या पटाखे की बारूद
हिंदुस्तानी अंतरराष्ट्रीय खुफिया विभाग के और पाकिस्तान में लंबे समय तक तैनात रह चुके एक पूर्व भारतीय अधिकारी के मुताबिक, "इन बम विस्फोटों का मकसद अगर असल में हाफिज सईद की जान लेना ही है. तो फिर ऐसे किसी भी जबरदस्त धमाके में वो अब तक मारा क्यों नहीं गया? क्या हाफिज सईद लोहे का बना हुआ है? या फिर बम किसी घातक विस्फोटक से न बने होकर, पटाखे की बारूद से तैयार होते हैं. जो उस पर असर नहीं करते. इन धमाकों की जद में आकर दो चार बेकसूर मर-खप जाते हैं. कुछ बेकसूर जख्मी हो जाते हैं. उसके बाद पाकिस्तानी एजेंसियां अपने आप ही जांच करती हैं. और अपने आप ही उस जांच रिपोर्ट को पढ़ लेती हैं. जिस दिन कोई ईमानदारी से 30 किलोग्राम आरडीएक्स का इस्तेमाल कर देगा उस दिन, हाफिज सईद और उसकी मांद के चीथड़े उड़ जायेंगे. मगर पाकिस्तान में शायद यह कभी नहीं होगा. क्योंकि असल में वो आतंकवादियों की पनाहगाह ही नहीं, जन्मस्थली भी है. यह बात मैं नहीं कह रहा हूं. दुनिया इस सच्चाई को जानती है. दुनिया के मोस्ट वांटेड ओसामा बिन लादेन को अमेरिका द्वारा पाकिस्तान की सर जमींं पर घेर कर मार दिया जाना, इसका सबसे बड़ा सबूत है कि, पाकिस्तानी हुकूमते आज से नहीं कई दशक से आतंकवादियों को पैदा करके उनका पालन-पोषण करती रही हैं."
कहानियां गढ़ने में माहिर पाकिस्तानी हुक्मरान
भारतीय खुफिया एजेंसी के एक पूर्व रिटायर्ड ज्वाइंट डायरेक्टर के मुताबिक, "पाकिस्तान खुद से ज्यादा बड़ा समझदार और किसी को नहीं समझता है. ज्यादा चतुर बनने की कोशिश में यही उसकी सबसे बड़ी मूर्खता है. इसीलिए वो दुनिया भर के देशों के सामने नंगा हो चुका है. उसकी कथनी और करनी क्या है? यह बताने की जरूरत भारत को नहीं है. जो इंसान भारतीय संसद, लाल किला, मुंबई में सिलसिलेवार धमाके करा सकता है. सोचिए ऐसे खतरनाक आतंकवादी को जब कोई मारने का इरादा करेगा, तो क्या वो इतना कम-दिमाग षडयंत्रकारी होगा, जो किसी धमाके में उसके निशाने पर रहा शिकार यानि हाफिज सईद जिंदा बच जाएगा. यह सब पाकिस्तान और हाफिज सईद की सोची समझी रणनीति का तमाशा भर है. जो अक्सर हाफिज सईद को कथित तौर पर निशाना बनाने की कहानियां गढ़ने के लिए, इस तरह के विस्फोट पाकिस्तान में कराये जाते हैं. और हर हमले का शोर तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होता या कराया जाता है. हर विस्फोट में लश्कर-ए-तैयबा, जमात-उद-दावा जैसे आतंकवादी संगठनो का जन्मदाता यह मास्टरमाइंड मगर जिंदा बच जाता है."
हमारा मीडिया तो ऐसी खबरों से बचे
इसी पूर्व खुफिया अधिकारी के मुताबिक, "पाकिस्तानी हुकूमत, उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई या फिर पाकिस्तानी मिलेट्री, आने वाले समय में भी कभी आसानी से इस मोस्ट-वांटेड को हमेशा हमेशा के लिए शांत कर पाने के लिए कोई ईमानदार कदम उठा पायेगी, मुझे तो दूर दूर तक ऐसी उम्मीद नहीं लगती. क्योंकि हिंदुस्तान को नीचा दिखाने के लिए इन्हीं सबने तो मिलकर हाफिज सईद को पाल-पोसकर भारत के खिलाफ जहर उगलने की मशीन के बतौर रेडी किया है. ऐसे में भला वो (पाकिस्तान) इतनी मेहनत के बाद तैयार हाफिज सईद से खतरनाक खुराफाती दिमाग आतंकवादी को खुद खतम करना क्यों चाहेगा? चाहे एक हाफिज सईद को लेकर उस पर (पाकिस्तान पर) दुनिया भर के देश क्यों न उसकी थू-थू करते रहें. किसी और देश या वहां की एजेंसियों के चीखने चिल्लाने का कोई असर पाकिस्तान पर नहीं पड़ने वाला है. यह जरूर है कि आने वाले वक्त में यही हाफिज सईद एक दिन पाकिस्तानी हुकूमत के लिए सबसे खतरनाक होगा. इसमें मुझे कोई शक नहीं है. मैं तो इस पक्ष में हूं कि हाफिज सईद जैसों को मारने की कोशिश के नाम पर होने वाले, इस तरह के कथित धमाकों की खबरें हिंदुस्तानी मीडिया को तो कम से कम कतई नहीं पब्लिश करनी चाहिए. हम अपने ही किसी दुश्मन के कुकर्मों की पब्लिसिटी करने से तो खुद को बचा ही सकते हैं."


Tara Tandi

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