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जलवायु परिवर्तन का असर अब दुनिया भर में जाहिर है। यानी जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया में तबाही होगी, ये अब महज चर्चा नहीं रही। बल्कि हर साल इस असर से जुड़ी घटनाएं दुनिया भर में बढ़ती जा रही हैं। लेकिन सरकारें महज प्रतीकात्मक कदम उठा कर अभी संतुष्ट हैं। इसकी वजह शायद यही है कि वे ऐसे उपाय नहीं करना चाहतीं, जिनसे उन आर्थिक हितों को नुकसान हो, जिनकी वो असल में नुमाइंदगी करती हैं। जहां तक भारत की बात है, तो यहां तो ये मसला राजनीति के एजेंडे पर ही नहीं है। इसलिए यहां ऐसे किन्हीं उपायों की कोई चर्चा मुख्याधारा राजनीति या मीडिया में नहीं होती। लेकिन वैज्ञानिक तथ्य सामने हैं। परिणाम सबको भुगतना होगा। एक नए शोध के मुताबिक साल 2040 तक ब्राजील, चीन, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन और अमेरिका में अकेले बेहतर आहार से 60.4 लाख लोगों की जान बचाई जा सकती है, स्वच्छ हवा से 10.6 लाख और नियमित शारीरिक गतिविधियों से अन्य 20 लाख लोगों की जान बचाई जा सकती है।