सम्पादकीय

ये कोर्ट का काम नहीं

Gulabi
3 Nov 2021 12:45 PM GMT
ये कोर्ट का काम नहीं
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कलकत्ता हाई कोर्ट ने पटाखों पर पूरी रोक लगाने का जो आदेश दिया था

ये पूरा मामला सार्वजनिक दायरे का है। इसमें न्यायपालिका की भूमिका सीमित है। चूंकि हाई कोर्ट ने ये सीमा लांघी, इसलिए सुप्रीम कोर्ट उसके फैसले को पलट दिया। इस साल कुछ और त्योहारों के दौरान पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को उसने रद्द किया है।

कलकत्ता हाई कोर्ट ने पटाखों पर पूरी रोक लगाने का जो आदेश दिया था, भले उसके पीछे उसका मकसद नेक हो, लेकिन उसने बेवजह ऐसे क्षेत्र में हस्तक्षेप किया, जो कार्यपालिका की जिम्मेदारी है। पटाखों से पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है, यह निर्विवाद है। लेकिन पर्यावरण की रक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है। कोर्ट को इस मामले में तभी दखल देना चाहिए, जब कोई ऐसा विशिष्ट कानून हो, जिसका पालन सरकार नहीं कर रही हो। मगर सिर्फ नेकनीयती में आदेश देना समस्याग्रस्त है। खास कर ऐसा आदेश, जिसका पालन कराना प्रशासन के लिए आसान नहीं हो। पर्यावरण रक्षा को लेकर व्यापक जन जागरूकता की जरूरत है। इसकी पहल सरकार को करनी चाहिए। फिर उसे ऐसे कानून बनाने चाहिए, जिसकी आम तौर पर लोगों में स्वीकार्यता हो। अगर किसी दुराग्रह के कारण स्वीकार्यरता नहीं हो, तब भी जन हित में सरकार कानून अवश्य बना सकती है।
बहरहाल, ये पूरा मामला सार्वजनिक दायरे का है। इसमें न्यायपालिका की भूमिका सीमित है। चूंकि हाई कोर्ट ने ये सीमा लांघी, इसलिए सुप्रीम कोर्ट उसके फैसले को पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 महामारी के बीच वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए काली पूजा, दिवाली और इस साल कुछ और त्योहारों के दौरान पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को सोमवार को रद्द कर दिया। उसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविल्कर और जस्टिस अजय रस्तोगी की विशेष पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि प्रतिबंधित पटाखों और उससे संबंधित सामान का राज्य में प्रवेश केंद्र पर ही आयात न हो। जाहिर है, वे हानिकारक पटाखों पर प्रतिबंध सरकार का फैसला है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ उस पर अमल सुनिश्चित करने को कहा है। हाई कोर्ट ने कहा था- 'राज्य यह सुनिश्चित करें कि इस साल काली पूजा, दिवाली के साथ-साथ छठ पूजा, जगद्धात्री पूजा, गुरु नानक जयंती और क्रिसमस और नववर्ष की पूर्व संध्या के दौरान किसी भी तरह के पटाखे न जलाए जाएं या उनका इस्तेमाल नहीं किया जाए।' उसने कहा था कि इन अवसरों पर केवल मोम या तेल के दीयों का ही इस्तेमाल किया जाए। अब सुप्रीम कोर्ट ने हरित पटाखों की इजाजत दे दी है, जो सरकार के निर्णय के अनुरूप है।
नया इण्डिया
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