सम्पादकीय

लॉकडाउन का ये फायदा

Gulabi
18 Dec 2020 1:15 AM GMT
लॉकडाउन का ये फायदा
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कोरोना महामारी की वजह दुनिया के अनेक देशों में लगे लॉकडाउन का एक लाभ हुआ।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना महामारी की वजह दुनिया के अनेक देशों में लगे लॉकडाउन का एक लाभ हुआ। इस साल कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में सात प्रतिशत की रिकॉर्ड कमी आई है। ये बात ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट ने अपनी सालाना रिपोर्ट में बताई है। उसने साफ कहा है कि इस गिरावट की वजह दुनिया भर के देशों में लगा लॉकडाउन है। इस तरह एक साल की अवधि में कार्बन उत्सर्जन में कटौती के पुराने सभी रिकॉर्ड इस साल टूट गए। इससे पहले दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति पर 0.9 अरब मीट्रिक टन की गिरावट देखी गई थी। 2009 में भी वैश्विक वित्तीय संकट के कारण कार्बन उत्सर्जन में 0.5 अरब मीट्रिक टन की कमी आई थी। लेकिन 2020 में यह गिरावट 2.4 अरब मीट्रिक टन तक जा पहुंची। जानकारों के मुताबिक उत्सर्जन में गिरावट इस वजह से आई, क्योंकि ज्यादातर लोग अपने घरों पर रहे। उन्होंने इस साल कार या फिर विमान से बहुत कम यात्राएं कीं। परिवहन कार्बन उत्सर्जन में कमी की एक बड़ी वजह है।


सड़क परिवहन से होने वाला उत्सर्जन अप्रैल में घटकर लगभग आधा रहा गया था। उस वक्त यूरोप, एशिया और अमेरिका में कोरोना महामारी की पहली लहर अपने चरम पर थी। दिसंबर तक इसमें एक साल पहले के मुकाबले 10 प्रतिशत की गिरावट दिखी। वहीं विमानन उद्योग की वजह से होने वाला उत्सर्जन इस साल 40 फीसदी कम रहा। वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में औद्योगिक क्षेत्र की हिस्सेदारी लगभग 22 प्रतिशत होती है। कुछ देशों में सख्त लॉकडाउन की वजह से इस क्षेत्र के उत्सर्जन में 30 प्रतिशत की कमी आई। उत्सर्जन में सबसे ज्यादा कमी अमेरिका और यूरोपीय संघ में दिखी। वहां क्रमशः 12 और 11 प्रतिशत की गिरावट आई। लेकिन चीन में यह गिरावट सिर्फ 1.7 प्रतिशत की रही। गौरतलब है कि चीन ने तेजी से अपनी आर्थिक रफ्तार बहाल कर ली। पांच साल पहले हुए पेरिस जलवायु समझौते के अनुसार इस दशक में हर साल उत्सर्जन में एक से दो अरब मीट्रिक टन की कटौती जरूरी है। तभी पृथ्वी की तापमान वृद्धि को दो डिग्री सेल्सियस से कम रखा जा सकता है। लेकिन 2015 में हुए समझौते के बाद उत्सर्जन हर साल लगातार बढ़ा है। बहरहाल, ताजा रिपोर्ट से ये निष्कर्ष निकलता है कि अगर दुनिया अपने परिवहन और ऊर्जा उपयोग का तरीका बदले तो जलवायु परिवर्तन की गति धीमी की जा सकती है। लेकिन ये तरीके क्या हों, दुनिया अभी तक इसे सोच नहीं पाई है।


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