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By: divyahimachal
विपक्ष की तर्ज पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी ‘चुनावी गारंटी’ परोसना शुरू कर दिया है। इधर उन्होंने दो खास गारंटियां दी हैं। पहली गारंटी भाजपा और एनडीए के नेताओं-सांसदों को दी है कि 2024 में भी उनकी जीत तय है और 50 फीसदी से अधिक जनमत मिलने का विश्वास है। ऐसे दावे तो विपक्ष भी कर रहा है कि मोदी सरकार का सफाया तय है। कमोबेश चुनावों तक ऐसे दावे और गारंटियां जारी रहेंगी। जनादेश ही सच को सत्यापित करेगा। बहरहाल प्रधानमंत्री की दूसरी गारंटी यह है कि उनकी सत्ता के तीसरे कार्यकाल के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी। फिलहाल भारत 5वीं अर्थव्यवस्था है। जापान और जर्मनी क्रमश: तीसरे-चौथे स्थान पर हैं। देश की अर्थव्यवस्था का कुल श्रेय प्रधानमंत्री या सत्ताधीशों को नहीं दिया जा सकता। सीधा गणित है कि देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और आर्थिक विकास दर कितनी हैं। देश की वस्तुओं और सेवाओं का सकल मूल्य कितना है। जब 2014 में नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री चुने गए थे, तब भारत की जीडीपी 2039 अरब अमरीकी डॉलर की थी और हम 10वें स्थान की अर्थव्यवस्था थे। चूंकि उसके बाद आर्थिक विकास दर 5-6 फीसदी से भी अधिक रही, कभी 8 फीसदी को भी छुआ और अन्य कथित बड़े देशों की औसत आर्थिक बढ़ोतरी कम रही, नतीजतन भारत 2023 में 3737 अरब डॉलर की जीडीपी के साथ 5वें स्थान पर है। यानी भारत आज भी कुल 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला देश नहीं है।
जापान और जर्मनी 4 ट्रिलियन डॉलर से अधिक की अर्थव्यवस्थाएं हैं। दरअसल जीडीपी में देश के आकार, आबादी, बाजार, खरीद-क्षमता, उत्पादन आदि की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। भारत, जापान और जर्मनी की तुलना में, कई गुना विशाल और व्यापक देश है। अमरीका की आबादी करीब 33 करोड़ है, लेकिन वह 26 ट्रिलियन डॉलर से अधिक की अर्थव्यवस्था है। चीन विश्व का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है, जिसकी अर्थव्यवस्था 19 ट्रिलियन डॉलर से अधिक की है। जब भारत 2027 में 5153 अरब डॉलर, अर्थात् 5 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा, के साथ तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा, तब अमरीका 31 ट्रिलियन डॉलर से अधिक और चीन 25 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा अर्थव्यवस्था वाले देश होंगे। पहले और दूसरे स्थान पर उन्हीं का कब्जा और वर्चस्व रहेगा। चीन की अर्थव्यवस्था हमसे पांच गुना ज्यादा है। फिलहाल कोई मुकाबला नहीं किया जा सकता। यह सुखद और गौरवपूर्ण एहसास हो सकता है कि 2027 में, प्रधानमंत्री मोदी के संभावित तीसरे कार्यकाल में, भारत की अर्थव्यवस्था जापान, जर्मनी समेत ब्रिटेन, फ्रांस, ब्राजील, कनाडा, इटली और रूस सरीखे देशों की अर्थव्यवस्था से आगे और बेहतर होगी। दरअसल अर्थव्यवस्था एक नियमित और निरंतर प्रवाह है। उसमें सत्ता का ज्यादा दखल या श्रेयात्मक भूमिका नहीं होती। आयात और निर्यात में सरकारी नीतियों का लगातार हस्तक्षेप रहता है। फिर भी यह सवाल स्वाभाविक है कि बड़े देशों और कथित विकसित अर्थव्यवस्थाओं को पछाड़ कर भारतीय अर्थव्यवस्था आगे क्यों बढ़ती रही है? 2014-23 के दौरान भारत की जीडीपी करीब 83 फीसदी बढ़ी है। इसी अवधि के दौरान चीन की बढ़ोतरी करीब 84 फीसदी रही है। अमरीका ने 54 फीसदी ही बढ़ोतरी की है। इन तीन अर्थव्यवस्थाओं को छोड़ कर दुनिया की सबसे बड़ी 10 अर्थव्यवस्थाएं सिकुड़ रही हैं। 2027 में भारत की जीडीपी 2023 से करीब 38 फीसदी अधिक होगी, जबकि जापान, जर्मनी का यही औसत करीब 15 फीसदी होगा। तथ्य है कि 2004-14 की तुलना में भारत की आर्थिक बढ़ोतरी की गति 2014-23 के दौरान धीमी पड़ी है। उस दौर में, जब डॉ. मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे, जीडीपी कुल 183 फीसदी बढ़ी। दूसरे, 10वें स्थान से 5वें स्थान तक आना अपेक्षाकृत आसान होता है, क्योंकि देशों की जीडीपी में आपसी अंतर एक ट्रिलियन डॉलर या उससे भी कम होता है। अब तीसरी और पहली दो अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापक फासला है, लिहाजा अब भारत का आगे बढऩा चुनौतीपूर्ण होगा।

Rani Sahu
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