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- हिमाचल का थिंक टैंक-2
divyahimachal . हर साल हिमाचल का बजट दम भरता है और कागजी वादों में प्रदेश की खाल पर उधार की एक और परत चढ़ जाती है। विशेष राज्य का दर्जा, औद्योगिक पैकेज या अब नीति आयोग के तहत हिमालयी राज्यों की क्षेत्रीय परिषद का गठन अपने लक्ष्यों में व्यापक दिखाई देते हैं, लेकिन ये सारी पहल केवल सजावटी मकसदों का माल्यार्पण करती रही। हिमाचल के तमाम विश्वविद्यालयों के समाज-अर्थशास्त्रियों, राजनीतिक व इतिहास विषयों के जानकारों तथा वैज्ञानिकों को प्रदेश की रिक्तता को नवाचार, सरोकार और परामर्श पैरवी से पूरी तरह वैचारिक रूप से आंदोलित करना चाहिए था, लेकिन शैक्षणिक स्तर पर या तो डिग्रियां या रोजगार के लिए औपचारिक शिक्षा के लेबल तैयार हो रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के कुलपति रहे वाजपेयी ने एक बड़े विजन का आलेप तो किया, लेकिन प्रदेश के साथ यह भी वैचारिक छलावा था। अब केंद्रीय विश्वविद्यालय में राजनीतिक परिसर की महत्त्वाकांक्षा को नए कुलपति बंसल पूरा कर पाते हैं या थिंक टैंक की अवधारणा में यह संस्थान हिमाचल की बौद्धिक व विवेक क्षमता का नए स्तर पर निर्धारण करेगा, यह देखा जाएगा। हिमाचल के आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक संदर्भों के साथ थिंक टैंक का आधार आज तक तैयार नहीं हुआ। प्रदेश को हिंदी राज्य घोषित करवा कर पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने अपने सरोकार, प्राथमिकता तथा वैचारिकता थोंप दी, लेकिन पहाड़ी या हिमाचली भाषा के पैरोकार इसके सामने बतौर थिंक टैंक मशक्कत नहीं कर पाए।