सम्पादकीय

मोदी को वेंकैया नायडू की सलाह पर मची हलचल, 'संघ परिवार' के किसी नेता ने सार्वजनिक रूप से इस तरह...

Rani Sahu
7 Oct 2022 5:58 PM GMT
मोदी को वेंकैया नायडू की सलाह पर मची हलचल, संघ परिवार के किसी नेता ने सार्वजनिक रूप से इस तरह...
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By लोकमत समाचार सम्पादकीय
हरीश गुप्ता
कुछ दिनों पहले, देश के पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपने मन की बात कहकर, और वह भी सार्वजनिक रूप से, हलचल मचा दी। नायडू ने 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास (मई 2019-मई 2020)' नामक मोदी के भाषणों की पुस्तक शृंखला का विमोचन करते हुए यह सलाह दी। नायडू ने अपने पांच साल के कार्यकाल (2017-22) के दौरान निजी तौर पर राज्यसभा के सभापति के रूप में मोदी को कुछ सलाह भले दी हो, लेकिन यह पहली बार था जब नायडू ने सार्वजनिक रूप से कहा कि प्रधानमंत्री को अपने फैसलों के बारे में किसी भी 'गलतफहमी' को दूर करने के लिए विपक्षी दलों के साथ अधिक बातचीत करनी चाहिए।
नायडू ने प्रधानमंत्री से गलतफहमियों को दूर करने और बेहतर समन्वय के लिए विपक्षी दलों के साथ बैठकों की संख्या बढ़ाने के लिए कहा। हालांकि नायडू ने मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में दुनिया में भारत की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत के तेजी से उदय के बावजूद, विपक्ष अभी भी प्रधानमंत्री पर 'कुछ गलतफहमियों के कारण....या कुछ राजनीतिक मजबूरियों की वजह से' भरोसा नहीं कर रहा है। मोदी के आठ साल से अधिक के कार्यकाल में इससे पहले कभी भी पीएम को 'संघ परिवार' के किसी नेता ने सार्वजनिक रूप से इस तरह की सलाह नहीं दी। एक तरह से नायडू कह रहे थे कि सरकार फैसलों को लेकर विपक्ष को भरोसे में नहीं ले रही है।
भाजपा के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है और सरकार को 2014 से अपने विधेयकों को पारित कराने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि उपराष्ट्रपति डॉ. हामिद अंसारी, (2012-2017) से भी प्रधानमंत्री बेहद नाराज थे। यहां तक कि वह संसद भवन में उनके कक्ष में यह पूछने के लिए चले गए थे कि वे विपक्ष को मजबूती से रोककर सरकारी विधेयकों को पारित कराने की अनुमति क्यों नहीं दे रहे हैं। इससे स्तब्ध अंसारी ने कहा कि सदन को सुचारु रूप से चलाने की जिम्मेदारी सत्ताधारी पार्टी की है। यह कोई रहस्य नहीं है कि नायडू की राज्यसभा चलाने की शैली से भी मोदी नाराज थे क्योंकि सदन के सुचारु संचालन के मामले में स्थिति में बहुत सुधार नहीं हुआ था। भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि यही कारण था कि नायडू को न तो उपराष्ट्रपति पद के लिए फिर से नामांकित किया गया और न पदोन्नत किया गया।
मोदी ने मंत्रियों को लगाया काम पर
प्रधानमंत्री मोदी ने पार्टी और सरकार के बीच की खाई को पाटने के लिए एक मॉडल पेश किया है। बिना किसी अपवाद के सभी केंद्रीय कैबिनेट मंत्रियों को अपनी बारी के अनुसार दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित भाजपा के नवनिर्मित मुख्यालय का दौरा करना पड़ता है। उम्मीद की जाती है कि ये मंत्री बिना चूके दोपहर में पार्टी मुख्यालय में तीन घंटे बिताएंगे। मंत्रियों से अपेक्षा की जाती है कि वे पार्टी कार्यकर्ताओं की शिकायतों को सुनें और उनकी समस्याओं का समाधान करें। केंद्रीय मंत्रियों और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच सेतु के रूप में काम करने के लिए एक प्रणाली स्थापित की गई है और एक समन्वयक को रखा गया है। पिछले अनुभव ने दिखाया है कि पार्टी कार्यकर्ताओं की शिकायतों का जब समाधान नहीं होता है तो उनका मोहभंग हो जाता है और खाई चौड़ी हो जाती है। भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा भी इस बातचीत पर नजर रखते हैं और पीएम को फीडबैक देते हैं। हालांकि वाजपेयी काल में इस तरह की व्यवस्थाएं किसी न किसी कारण से पार्टी कार्यकर्ताओं को संतुष्ट नहीं कर सकीं। लेकिन मोदी सुनिश्चित कर रहे हैं कि यह बातचीत महज औपचारिकता बन कर न रह जाए।
कैसे चूक गए दिग्विजय सिंह
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को जिस तरह से पार्टी अध्यक्ष पद की दौड़ से हटना पड़ा, उससे वे कांग्रेस आलाकमान से बेहद खफा हैं। वे राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के प्रभारी थे क्योंकि वे एक उत्कृष्ट आयोजक हैं। वे राहुल गांधी के प्रोत्साहन पर 'यात्रा' बीच में छोड़कर अपना नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए दिल्ली पहुंचे। अशोक गहलोत ने जब घोषणा की कि वह पार्टी प्रमुख पद के लिए चुनाव नहीं लड़ेंगे, उसके बाद ही उन्होंने अपनी दावेदारी पेश की। दिग्विजय सिंह ने शाम को मल्लिकार्जुन खड़गे से उनके आवास पर जाकर पूछा कि क्या वह चुनाव लड़ेंगे। खड़गे ने उनसे साफ तौर पर कहा, 'मैं मैदान में नहीं हूं।' लेकिन एक घंटे के भीतर खड़गे के पास फोन आया और उन्होंने मैदान में उतरने का फैसला किया। वरिष्ठ नेताओं और सांसदों सहित पूरी कांग्रेस मशीनरी को 'तटस्थ आलाकमान' द्वारा उस समय उपस्थित होने के लिए कहा गया जब खड़गे अपना नामांकन पत्र दाखिल करने जा रहे थे। यह रहस्य नहीं रह गया है कि दिग्विजय सिंह की तुलना में खड़गे को 'सुरक्षित दांव' माना गया। अब नाराज दिग्विजय सिंह के पास यह संदेश भेजा जा रहा है कि उन्हें उचित इनाम दिया जाएगा।
नए संसद भवन में शीतकालीन सत्र नहीं
नए संसद भवन में शीतकालीन सत्र शुरू करने की प्रधानमंत्री मोदी की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना में देरी हो सकती है। हालांकि काम चौबीसों घंटे चल रहा है, लेकिन पता चला है कि नवंबर की समय सीमा को आगे बढ़ाना पड़ सकता है। प्रधानमंत्री मोदी और शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी नियमित रूप से प्रगति की निगरानी कर रहे हैं। इस अत्याधुनिक संसद भवन को पूरा करने का नया लक्ष्य फरवरी, 2023 रखा गया है जब केंद्रीय बजट पेश किया जाना है।
Rani Sahu

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