सम्पादकीय

पत्रकारिता में जोखिम है!

Gulabi
8 Nov 2021 12:00 PM GMT
पत्रकारिता में जोखिम है!
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पोलीस प्रोजेक्ट ने अलग-अलग विषयों की कवरेज के दौरान हुईं घटनाओं को इकट्ठा किया है
अगर आप सचमुच पत्रकारिता करने लगें, तो उसमें जोखिम है। यह जानने के लिए हालांकि हमें किसी विदेशी अध्ययन या रिपोर्ट की जरूरत नहीं है, फिर भी जरूर है कि ऐसे अध्ययन तथ्यों के साथ इस बात की पुष्टि करते हैँ। साथ ही उनकी वजह से सारी दुनिया इस हकीकत से परिचित होती है।

भारत में आज अगर आप पत्रकारिता के नाम पर पीआर (सत्ताधारी और शक्तिशाली लोगों का जन संपर्क) करते हों, तो फिर आपकी जिंदगी न सिर्फ आराम, बल्कि विलासिता के साथ भी गुजर सकती है। लेकिन अगर आप सचमुच पत्रकारिता करने लगें, तो उसमें जोखिम है। यह जानने के लिए हालांकि हमें किसी विदेशी अध्ययन या रिपोर्ट की जरूरत नहीं है, फिर भी जरूर है कि ऐसे अध्ययन तथ्यों के साथ इस बात की पुष्टि करते हैँ। साथ ही उनकी वजह से सारी दुनिया इस हकीकत से परिचित होती है। तो एक ताजा अध्ययन रिपोर्ट में बताया गया है कि मई 2019 से इस साल अगस्त के बीच भारत में पत्रकारों पर 256 हमले हुए। न्यूयॉर्क स्थित संगठन पोलीस प्रोजेक्ट ने पत्रकारों के खिलाफ भारत में हिंसा पर एक शोध किया है। उसमें इन हमलों का ब्योरा है। भारत में पत्रकारों को फर्जी मामलों में गिरफ्तारी से लेकर हत्या तक कई तरह की हिंसा झेलनी पड़ी है। इसलिए ये अध्ययन रिपोर्ट कहती है कि भारत में पत्रकारिता एक खतरनाक पेशा बन गया है।

पोलीस प्रोजेक्ट ने अलग-अलग विषयों की कवरेज के दौरान हुईं घटनाओं को इकट्ठा किया है। इसके मुताबिक जम्मू कश्मीर में 51, सीएए कानून के विरोध प्रदर्शनों के दौरान 26, दिल्ली दंगों के दौरान 19 और कोविड मामलों की कवरेज के दौरान 46 घटनाएं हुईं। किसान आंदोलन के दौरान पत्रकारों के खिलाफ हिंसा की अब तक 10 घटनाएं हो चुकी हैं। बाकी 104 घटनाएं पूरे देश के दौरान अलग-अलग विषयों और समय से जुड़ी हैं। भारत में इस समय कई पत्रकार जेलों में बंद हैं। केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को पिछले साल अक्टूबर में उस वक्त गिरफ्तार कर लिया गया था, जब वह उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए एक बलात्कार और हत्या के मामले की खबर के सिलसिले में यूपी गए थे। कप्पन तभी से आईपीसी की धारा 153-ए (समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 295-ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 124-ए (देशद्रोह), 120-बी (साजिश), और यूएपीए के तहत जेल में हैं। इसके पहले पेरिस स्थित संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की एक रिपोर्ट में भी भारत को पत्रकारिता के लिए दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में शामिल किया गया था। संस्था के 2021 वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत को 180 देशों में 142 स्थान मिहै, जो मीडिया स्वतंत्रता की खराब स्थिति को जाहिर करता है।
नया इण्डिया
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