सम्पादकीय

अमेरिका या दुबई में बसने की चाह नहीं है कोई रास्ता; मनुष्य आसमान की विराटता को अपने हौसले से नाप सकता है

Gulabi
17 Jan 2022 7:51 AM GMT
अमेरिका या दुबई में बसने की चाह नहीं है कोई रास्ता; मनुष्य आसमान की विराटता को अपने हौसले से नाप सकता है
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मनुष्य आसमान की विराटता को अपने हौसले से नाप सकता है
जयप्रकाश चौकसे का कॉलम:
ताजा खबर है कि म.प्र के उज्जैन में चाइनीज मांझे के कारण एक युवा लड़की को अपनी जान से हाथ गंवाना पड़ा। 18 वर्षीय लड़की नेहा अपने वाहन से कहीं जा रही थी और चाइनीज मांझे से उसकी गर्दन कट गई। वहां मौजूद लोग उसे तुरंत निकट के अस्पताल ले गए परंतु अधिक खून बहने से उसकी मृत्यु हो गई। अब बताएं कि चाइनीज मांझा उज्जैन के आकाश में कैसे पहुंचा? कोई नहीं जानता कि वे कौन से रास्ते हैं कि जहां से होते हुए कई तरह के चीनी सामान भारत के बाजार में बिक रहे हैं?
दरअसल, चीन के लोभ-लालच के लिए यह दुनिया छोटी पड़ रही है। चीन ने विदेशों में अपना सामान बेचकर हर क्षेत्र में दखलअंदाजी की है। अमेरिका और यूरोप के कई उद्योगों में चीन का धन लगा है। दुनिया भर में जो कमाई हो रही है उसका कुछ प्रतिशत धन चीन पहुंच जाता है। सारा लेन-देन हांगकांग के बैंक के माध्यम से हो रहा है। चीन को यह जानकारी भी है कि भारत में विविध अवसरों पर पतंग उड़ाई जाती है। सलमान खान और ऐश्वर्या राय अभिनीत फिल्म 'हम दिल दे चुके सनम' में पतंगबाजी पर एक गीत और कुछ दृश्य भी शामिल हैं।
छोटी-बड़ी अनेक आकार की पतंगे बनती हैं। मोटे दस्ताने पहनकर बारीक कांच से मांझा सूता जाता है। डोर के केवल अगले भाग पर कांच मिला मांझा होता है। बाकी डोर साधारण ही होती है। पतंग के पेंच लड़ाने में कुछ लोगों को महारत हासिल होती है। कबूतरबाजी सामंतवादी खेल रहा है। कुछ क्षेत्रों में मुर्गे को लड़ना सिखाया जाता है। कुछ मुर्गे बड़े कातिलाना होते हैं।
फिल्म, 'तेरे बिन लादेन' में एक मुर्गे लड़ाने वाले की शक्ल ओसामा से मिलती है और इसी आधार पर फिल्म की पटकथा आगे बढ़ती है और कुछ मनचले युवक इस ओसामा के हमशक्ल के माध्यम से अमेरिका की सेना तक को परेशान कर देते हैं। बहरहाल, युवा लड़की नेहा की मृत्यु बहुत से सवाल खड़े करती है। मध्य प्रदेश सरकार भी मामले को बहुत गंभीरता से ले रही है। चीन की बात करें तो वहां के युवा वर्ग में असंतोष और आक्रोश है। वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता चाहते हैं।
वहां के कुछ कस्बों में तलघर बने हैं, जहां युवा डिस्को-डांस करते हैं। इस तरह चीन अपने ही बोझ के तले दब सकता है। अमेरिका में बसने की ललक युवा वर्ग से कुछ भी करा सकती है। इस विषय पर बनी फिल्म 'चलो अमेरिका' भी रोचक थी। दरअसल अमेरिका को अवसरों का देश माना गया है। यह भी एक तरह का एल डोराडो है। सच्चाई यह है कि अमेरिका में मुफ्त में कुछ नहीं मिलता। वहां परिश्रम करने वाले लोग ही आगे बढ़ पाते हैं। बेरोजगारी भत्ता भी अमेरिका में दिया जाता है।
वहां का आम आदमी इस तरह की मदद से शर्मसार रहता है। आज भी अमेरिका रंगभेद से परेशान है। दरअसल सभी देश समस्याओं से जूझ रहे हैं। महामारी के तांडव ने सबको विचलित कर दिया है। आशा की किरण यह है कि मनुष्य कभी हार नहीं मानता। उसका जीवन कमाल का है, महामारी की लहरों पर भी मनुष्य विजय प्राप्त कर लेगा।
आम आदमी व्यवस्था पर निर्भर नहीं करता, वह अपनी इच्छाशक्ति के दम पर विजय हासिल करता है। नेहा के साथ हुई इस दुर्घटना ने एक स्वप्न भंग कर दिया। चीन में बने सामान को नागरिक नहीं खरीदें यही स्वदेशी भावना हमें विजय दिला सकती है। दरअसल, अमेरिका या दुबई में बसने की चाह कोई रास्ता नहीं है। विज्ञान के पंख पर सवार मनुष्य, आसमान की विराटता को अपने हौसले से नाप सकता है।
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