सम्पादकीय

प्रकृति से बड़ी पाठशाला कोई नहीं, 'जागृति' यथार्थ जीवन की बड़ी जरूरत

Rani Sahu
15 Sep 2021 2:32 PM GMT
प्रकृति से बड़ी पाठशाला कोई नहीं, जागृति यथार्थ जीवन की बड़ी जरूरत
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म हामारी के समय शिक्षा संस्थान भी बंद रहे लेकिन स्मार्टफोन के माध्यम से पढ़ना जारी रहा

जयप्रकाश चौकसे। म हामारी के समय शिक्षा संस्थान भी बंद रहे लेकिन स्मार्टफोन के माध्यम से पढ़ना जारी रहा। सवाल यह है कि हमारे यहां कितने छात्रों के पास स्मार्टफोन हैं? कुछ जगह तो साधनहीन बच्चों को स्मार्ट फोन का उपयोग करने के सार्वजनिक प्रयास किए गए। गौरतलब है कि तमाम परीक्षाओं में सफल छात्रों का प्रतिशत 90 के आसपास रहा। इस तरह देखें तो क्या स्कूल नामक संस्था की अब आवश्यकता ही नहीं रही? क्या पता सईद मिर्जा की लिखी जा रही किताब 'आई नो द साइकोलॉजी ऑफ रेट्स' से इस बारे में कुछ जानकारी मिले।

गौरतलब है कि शिक्षा की पृष्ठभूमि पर 'जागृति' 'बूंद जो बन गई मोती' और 'परिचय' जैसी फिल्में बनी हैं जिन्हें काफी सराहा गया है। अत: क्या पाठ्यक्रम कभी सत्ता के दांव-पेंच से मुक्त होगा? क्या शिक्षण क्षेत्र में योग्य शिक्षकों की संख्या बढ़ाई जाएगी? फिल्म निर्माता, निर्देशक और स्क्रीन राइटर सुभाष कपूर की फिल्म 'जॉली एलएलबी 2' में लाउडस्पीकर पर छात्रों को प्रश्नों के उत्तर बताए जा रहे हैं। सभी छात्रों के द्वारा लिखे गए उत्तर एक जैसे नहीं लगे, इसका तरीका भी समझाया जा रहा है।
क्या व्यवस्था के कानों तक एम्पलीफायर की आवाज भी नहीं पहुंची? जरूरत इस बात की है कि तर्क सम्मत, वैज्ञानिक पाठ्यक्रम बनाया जाना चाहिए और विद्या का व्यावहारिक जीवन में उपयोग करना आना चाहिए। आलम यह है कि इलेक्ट्रिकल इंजीनियर घर का उड़ा हुआ फ्यूज भी ठीक नहीं कर पाता। महात्मा गांधी ने नवजीवन शिक्षा मंडल की स्थापना शिक्षा स्तर सुधारने के लिए की थी। समय-समय पर पाठ्यक्रम में विज्ञान व टेक्नोलॉजी के द्वारा किए गए आविष्कार समाहित किए जाने चाहिए।
पाठ्यक्रम चंद प्रश्नों की बेजान किताब नहीं है। वह जीवंत बोलता हुआ आधुनिक दस्तावेज है। शिक्षा में ऑडियो विजुअल सहूलियतों का समावेश जरूरी है। गोया कि अनुभवी किसान सेवंती के पौधों में फूल खिलते ही समझ लेता है कि कुछ ही समय में वर्षा होगी और खेत की जुताई का काम शुरू कर देता है। जमीन के भीतर लगाए गए सेवंती के पौधे का आकाश में मंडराते बादल से प्यास का रिश्ता है। एक श्वान लोहे के गेट के नीचे से सरक कर बाग में लगे सूरजमुखी को चबाने घुस आता है।
वह जानता है कि सूरजमुखी खाते ही वह निरोग हो जाएगा। अत: पाठ्यक्रम में जानवरों और परिंदों के नुस्खों का समावेश किया जाना चाहिए। गधे, खच्चर और घोड़ों की आदतें संकेत दे रही हैं कि उन्हें समझने का प्रयास भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जा सकता है। कोयल के अंडों की सुरक्षा कौवा करता है। इसलिए प्रकृति से बड़ी पाठशाला कोई नहीं है। ऋतिक रोशन अभिनीत फिल्म 'सुपर थर्टी' में शिक्षा का आदर्श और जीवन की पाठशाला का विवरण प्रस्तुत है।
गुरुदत्त की फिल्म 'साहब बीवी और गुलाम' के प्रारंभ में प्रस्तुत किया गया है कि गांव का युवा शिक्षा पाने के लिए महानगर आता है। सामंतवादी कोठी के कर्मचारी के साथ हवेली में आश्रय पाता है। फिल्म के अंतिम सीन में वही युवा इंजीनियर बन चुका है और सामंतवादी कोठी को तोड़ने के कार्य की देख-रेख कर रहा है। कोठी की जगह आम रास्ता बनाया जा रहा है। संकेत स्पष्ट है कि सामंतवादी व्यवस्था की जगह गणतंत्र की स्थापना की जा रही है।
इस फिल्म के प्रदर्शन के दशकों बाद फिल्म बनी 'साहब बीवी और गैंगस्टर' जो प्रस्तुत करती है कि हमने गणतंत्र व्यवस्था को क्या रूप दे दिया है। चुनावी राजनीति से पाठ्यक्रम को मुक्त किया जाना चाहिए और नए पाठ्यक्रम में एक विषय यह हो कि अच्छा राजनेता कैसे बना जा सकता है? जहां प्रभावी नेता का निर्माण किया जा सकता है। हर काम और कला सीखी जा सकती है, तो राजनीति को भी इसमें शामिल किया जा सकता है।


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