सम्पादकीय

इस साल गेहूं की ब्रिकी पर कोई संकट नहीं, किसानों के दरवाजों पर प्राइवेट खरीदारों की भीड़

Rani Sahu
23 April 2022 8:59 AM GMT
इस साल गेहूं की ब्रिकी पर कोई संकट नहीं, किसानों के दरवाजों पर प्राइवेट खरीदारों की भीड़
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रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) भारत के गेहूं उत्पादक किसानों के लिए वरदान बनकर सामने आया है

एम हसन |

रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) भारत के गेहूं उत्पादक किसानों के लिए वरदान बनकर सामने आया है, जिससे गेहूं की कीमतों में अप्रत्याशित रूप से इजाफा हुआ (Unexpected increase in wheat prices) है. जिन किसानों को पिछले साल खुले बाजार में 1,400 से 1,500 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से गेहूं बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा था, अब उन्हें काफी ज्यादा दाम मिल रहे हैं. ऐसे में इस साल बिक्री को लेकर कोई 'संकट' नहीं है, क्योंकि कई निजी खरीदार सारा गेहूं खरीदने के लिए तैयार हैं. दरअसल, रूस और यूक्रेन (Ukraine) गेहूं के प्रमुख निर्यातक देश हैं, लेकिन युद्ध की वजह से सप्लाई चेन बाधित हो गई है और अब भारत दूसरे देशों खासकर मध्य पूर्व और यूरोप में निर्यात के विकल्प तलाश रहा है.
लगभग 30 फीसदी उत्पादन के साथ उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक राज्य है. उत्तर प्रदेश सरकार का मानना है कि निजी व्यापारियों द्वारा गेहूं की खरीद न सिर्फ किसानों के लिए फायदेमंद है, बल्कि इससे सरकार के सब्सिडी बिल में भी कमी आएगी. 2021 में 58 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई थी, जिसके चलते सरकार ने इस साल यानी 2022 में 60 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा, जिसमें PoS (पॉइंट ऑफ सेल) के माध्यम से खरीद पर विशेष ध्यान दिया गया.
इस योजना से बीजेपी को राजनीतिक लाभ मिला
केंद्र ने इस साल गेहूं के लिए एमएसपी 2015 रुपये तय किया था, जो कि 2021 के एमएसपी मूल्य से 40 रुपये ज्यादा है. यह स्थिति भले ही किसानों के लिए फायदेमंद हो सकती है, लेकिन सरकारी खरीद केंद्रों या पीओएस पर गेहूं की आवक कम होने से सरकारी पीडीएस और गरीबों के लिए मुफ्त राशन योजनाओं पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है, क्योंकि राज्यों में गेहूं और अन्य वस्तुओं के मुफ्त वितरण को जारी रखने की योजना है. इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश में हर परिवार को 35 किलो सामान दिया जा रहा है, जिसमें गेहूं मुख्य हिस्सा है. मुफ्त राशन योजना से लगभग 15 करोड़ लोग लाभान्वित हुए हैं.
दरअसल, इस योजना से बीजेपी को राजनीतिक लाभ मिला. ऐसे में खाद्य विभाग ने मुफ्त राशन योजना को मार्च 2022 से आगे बढ़ाने का प्रस्ताव पहले ही रख दिया था. बीजेपी ने इस योजना को कम से कम 2024 के लोकसभा चुनावों तक जारी रखने की योजना तैयार की है. मुफ्त राशन योजना के तहत लाभार्थियों को पीडीएस के अंतर्गत आने वाली उचित मूल्य की 80 हजार दुकानों के नेटवर्क के माध्यम से हर महीने एक किलो साबुत चना, एक लीटर खाद्य तेल, एक किलो नमक और पांच किलो गेहूं/चना प्रति यूनिट (परिवार का सदस्य) मिलता है.
Rani Sahu

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