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- आजादी के आंदोलन को...
रवीश कुमार क्या किसी को पद्म पुरस्कार इसलिए दिया जाता है कि वह आंदोलन करने वाले किसानों को आतंकवादी कहे और देश को बांटने वाला कहे. क्या इसलिए दिया जाता है कि पुरस्कार मिल जाने के बाद भारत की आज़ादी और उसके लिए बलिदान देने वाले असंख्य शहीदों का अपमान करे? कंगना रनौत कह रही हैं कि आज़ादी भीख में मिली थी असली आज़ादी 2014 में मिली थी कंगना ने यह बात एक न्यूज़ चैनल के कार्यक्रम में कही. वहां पर सूट बूट में आए कई लोगों ने इस बात पर तालियां भी बजाईं. आजादी के इन जानकारों को ताली बजाते हुए आप यू ट्यूब में देख सकते हैं, वहां वीडियो होगा ही. इन्हीं सूट बूट वालों को सरकार के खिलाफ एक लाइन बोलने के लिए कह दीजिए तो ताली ही नहीं बज पाएगी. हाथ जम जाएंगे. कंगना रनौत की इस बात की निंदा से पहले यह देखना ज़रूरी है कि इस तरह की बात कंगना ने पहली बार नहीं कही है. कई साल से अलग अलग माध्यमों से इस तरह की बातें जनता के बीच पहुंचाई जा रही हैं. व्हाट्सएप से लेकर ट्विटर तक पर ऐसी सामग्री की भरमार है जिनमें लतीफों और भद्दी गालियों का सहारा लिया गया है और आज़ादी के आंदोलन को नकारा गया है.