सम्पादकीय

मौसम में आए बदलाव के कारणों और उनके निदान के लिए गंभीर मंथन करने की आवश्यकता

Gulabi Jagat
20 July 2022 4:15 PM GMT
मौसम में आए बदलाव के कारणों और उनके निदान के लिए गंभीर मंथन करने की आवश्यकता
x
प्रकृति के लिए सभी मौसम अनिवार्य हैं, लेकिन अब मौसम चक्र में बदलाव आ गया है। सर्दियों में हिमपात कम हो रहा है और समय भी तय नहीं रहा है। इसी तरह बरसात में भी वर्षा अपर्याप्त और असमान हो रही है। कुछ वर्ष से बादल फटने जैसी घटनाएं भी बढ़ गई हैं। मौसम में आए इस बदलाव पर गंभीर मंथन आवश्यक है। प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन के अलावा लोगों की सुख सुविधाओं का प्रभाव भी प्रकृति पर पड़ा है।
हिमाचल प्रदेश में भी मौसम चक्र में बदलाव आया है। प्रदेश में 29 जून को मानसून पहुंचा था। अब तक राज्य में सामान्य से 16 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई है जबकि पहली जून से अब तक सामान्य से पांच प्रतिशत कम वर्षा हुई है। मानसून आने के बाद चार जिलों में सामान्य से कम वर्षा हुई है। चिंताजनक है कि लाहुल स्पीति में बादल 80 प्रतिशत कम बरसे हैं।
बिलासपुर जिला में सामान्य से 61 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई है। मौसम में आए बदलाव का असर फसलों पर भी पड़ा है। अभी पानी की कमी नहीं महसूस की जा रही है, लेकिन आने वाले समय में राज्य में पानी की कमी भी होने की आशंका है। राज्य में अधिकतर फसलें वर्षा पर निर्भर हैं। मई और जून में कम वर्षा होने से फसलों विशेष कर फलों पर पड़ा है।
सेब का आकार कम रह गया है और रंग भी नहीं आ पाया है। अन्य गुठलीदार फलों पर प्रभाव पड़ा है। समय से करीब 15 दिन पहले फल पकने शुरू हो गए। जिसका नुकसान बागवानों को ङोलना पड़ रहा है। आगामी दिनों में अच्छी वर्षा की संभावना जताई जा रही है जिससे फलों का आकार बढ़ेगा और रंग भी सही रहेगा। वैश्विक ताप बढ़ने के कारण ग्लेशियर पिघलने लगे हैं। जो स्थल पहुंच से दूर थे, वहां पर अब लोग आसानी से पहुंच रहे हैं।

दैनिक जागरण के सौजन्य से सम्पादकीय
Gulabi Jagat

Gulabi Jagat

    Next Story