सम्पादकीय

पंजाब में भाजपा के भीतर मची है सुगबुगाहट, चुनौती के बीच राज्‍य में पार्टी के लिए एक अच्‍छा अवसर

Gulabi
27 Oct 2020 2:27 PM GMT
पंजाब में भाजपा के भीतर मची है सुगबुगाहट, चुनौती के बीच राज्‍य में पार्टी के लिए एक अच्‍छा अवसर
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सुप्रीम कोर्ट द्वारा लोन मोरेटोरियम मामले में दबाव बनाने के बाद केंद्र सरकार ने कहा है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सुप्रीम कोर्ट द्वारा लोन मोरेटोरियम मामले में दबाव बनाने के बाद केंद्र सरकार ने कहा है कि तयशुदा ऋण खातों वाले कर्जदार ब्याज में छूट ले सकते हैं। दरअसल, कोरोना संकट के चलते एक मार्च से 31 अगस्त तक की अवधि तक ईएमआई भरने में रियायत लेने वालों के ऋण पर चक्रवृद्धि ब्याज वसूले जाने से उपभोक्ता खफा थे। इस बाबत कई याचिकाएं शीर्ष अदालत में दाखिल की गई थीं। जिस पर सख्ती दिखाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे अनुचित बताया था। गत 14 अक्तूबर को सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने सरकार से इस मामले पर शीघ्र फैसला लेने का निर्देश देते हुए कहा था कि लोगों की दीवाली आपके हाथों में है। अब वित्त मंत्रालय ने यह फैसला लिया है और 21 अक्तूबर को हुई कैबिनेट की बैठक में इसे हरी झंडी दी गई। इसके तहत दो करोड़ तक के विभिन्न तरह के कर्ज की ईएमआई पर ब्याज माफी की घोषणा की गई है। किस्त भुगतान में मोहलत न लेकर नियमित ईएमआई भरने वालों को भी इसका लाभ मिलेगा। बताया जा रहा है कि इस फैसले से सरकारी खजाने पर 6500 करोड़ का बोझ पड़ने का अनुमान है। दरअसल, सरकार ने यह फैसला दो नवंबर को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई से ठीक पहले लिया। निस्संदेह केंद्र सरकार द्वारा दाखिल एफिडेविट से ऋण लेने वाले एक बड़े वर्ग को त्योहार के मौसम में एक बड़ी सौगात मिलेगी। यह इसलिये भी महत्वपूर्ण है कि कोरोना संकट के चलते बड़े तबके के आय स्रोतों का संकुचन हुआ है और बड़ी संख्या में लोगों को अपने रोजगार से हाथ धोना पड़ा है। बड़ा कर्मचारी तबका ऐसा भी है, जिसके वेतन में कटौती के चलते उसे ईएमआई चुकाने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा था। ऐसे में ब्याज पर ब्याज चुकाना उसके लिये बेहद मुश्किल काम था। निस्संदेह न्यायिक सक्रियता की इस लाभ को लोगों तक पहुंचाने में बड़ी भूमिका रही। सरकार द्वारा दाखिल शपथ पत्र में कहा गया है कि चक्रवृद्धि ब्याज और सामान्य ब्याज के अंतर को पांच नवंबर तक ऋण लेने वालों के खाते में जमा करा दिया जायेगा। यह लाभ केवल एक मार्च से इकत्तीस अगस्त 2020 के बीच की अवधि के लिये दिया जा सकेगा। सरकार ने कहा है कि जिन कर्जदारों ने केंद्रीय बैंक द्वारा 27 मार्च को घोषित भुगतान छूट का पूर्णत: व आंशिक विकल्प चुना हो या नहीं, दोनों इस राहत के पात्र होंगे। निस्संदेह सरकार ने यह फैसला दूरगामी परिणामों को ध्यान में रखते हुए कर्जदारों की स्थिति तथा अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभावों को दृष्टिगत रखते हुए लिया है। दरअसल, शीर्ष अदालत ने कोरोना संकट से प्रभावित लोगों की स्थिति को महसूस करते हुए व त्योहारी मौसम में इस बाबत सरकार से शीघ्र सर्कुलर जारी करने को कहा था। जिसके बाद सरकार ने विश्वास दिलाया था कि वह खुद बैंकों को ब्याज चुकाएगी। सरकार के इस फैसले से अब दो करोड़ तक के एम.एस.एम.ई, ऑटो, आवास, शिक्षा समेत आठ सेक्टर के ऋण पर लगाये गये चक्रवृद्धि ब्याज को माफ किया जाएगा। इसके साथ ही क्रेडिट कार्ड बकाया पर भी ये ब्याज नहीं वसूले जायेंगे। दरअसल, सरकार के इस कदम को बाजार में मांग बढ़ाने के प्रयासों के रूप में देखा जा रहा है ताकि लोगों की क्रय शक्ति बढ़ने से बाजार को गति मिले। निस्संदेह पर्व शृंखला के मौके पर चक्रवृद्धि ब्याज के दुश्चक्र से राहत मिलना कर्जदारों के लिये बड़ी राहत है। ऐसे वक्त में जब लॉकडाउन की वजह से वाणिज्यिक और औद्योगिक गतिविधियां बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं, कर्मचारियों तक को वेतन देने के लाले पड़े हों, चक्रवृद्धि ब्याज थोपना न्यायसंगत नहीं था। साथ ही ऐसे उद्यम, जिन्होंने कर्ज लेकर कारोबार बढ़ाना चाहा था, उनके सामने किस्त चुकाने का भी संकट खड़ा हो गया था। कारोबार की शृखंला टूटने से कई कारोबार तालाबंदी के दौरान बंद हो गये, लेकिन बैंकों का ब्याज और चक्रवृद्धि ब्याज लगातार बढ़ता गया। उनके लिये निस्संदेह यह राहतकारी है।

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