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- संदेह की वजहें हैं
एडिटर्स गिल्ड ने इस मामले में बयान जारी किया, तो इस घटना पर सारे देश का ध्यान गया। वरना, उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों ने इसे हादसा बता दिया था। दिवंगत हुए पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव का दुर्भाग्य यह है कि जिस एबीपी चैनल के लिए वे काम करते थे, उसने भी हादसे की कहानी मान और अपने दर्शकों को बता दी। मुमकिन है कि यह सचमुच हादसा हो। लेकिन अगर इसमें कुछ संदेह उठे, तो आखिर उसकी जांच क्यों नहीं होनी चाहिए। खासकर यह देखते हुए पत्रकार ने अपनी जान पर खतरे को लेकर पुलिस को पहले से सूचित कर रखा था। और फिर उत्तर प्रदेश में जैसे हालात रहे हैं, उनमें यह मान कर निश्चिंत हो जाने की स्थिति बिल्कुल नहीं है कि अधिकारी जो कह रहे हैं, वही सच है। मामला उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ का है। वहां से सुलभ श्रीवास्तव एक राष्ट्रीय टीवी चैनल के लिए काम करते थे। उन्होंने 12 जून को ही पुलिस विभाग को एक चिट्ठी लिख कर कहा था कि शराब माफिया से उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों पर हमले का अंदेशा है। उन्होंने प्रयागराज जोन के अपर पुलिस महानिदेशक से अपने परिवार के लिए सुरक्षा मांगी थी। लेकिन अगले ही दिन एक हादसे में उनकी मौत हो गई।