सम्पादकीय

संदेह की वजहें हैं

Triveni
17 Jun 2021 2:15 AM GMT
संदेह की वजहें हैं
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एडिटर्स गिल्ड ने इस मामले में बयान जारी किया, तो इस घटना पर सारे देश का ध्यान गया। वरना, उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों ने इसे हादसा बता दिया था।

एडिटर्स गिल्ड ने इस मामले में बयान जारी किया, तो इस घटना पर सारे देश का ध्यान गया। वरना, उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों ने इसे हादसा बता दिया था। दिवंगत हुए पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव का दुर्भाग्य यह है कि जिस एबीपी चैनल के लिए वे काम करते थे, उसने भी हादसे की कहानी मान और अपने दर्शकों को बता दी। मुमकिन है कि यह सचमुच हादसा हो। लेकिन अगर इसमें कुछ संदेह उठे, तो आखिर उसकी जांच क्यों नहीं होनी चाहिए। खासकर यह देखते हुए पत्रकार ने अपनी जान पर खतरे को लेकर पुलिस को पहले से सूचित कर रखा था। और फिर उत्तर प्रदेश में जैसे हालात रहे हैं, उनमें यह मान कर निश्चिंत हो जाने की स्थिति बिल्कुल नहीं है कि अधिकारी जो कह रहे हैं, वही सच है। मामला उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ का है। वहां से सुलभ श्रीवास्तव एक राष्ट्रीय टीवी चैनल के लिए काम करते थे। उन्होंने 12 जून को ही पुलिस विभाग को एक चिट्ठी लिख कर कहा था कि शराब माफिया से उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों पर हमले का अंदेशा है। उन्होंने प्रयागराज जोन के अपर पुलिस महानिदेशक से अपने परिवार के लिए सुरक्षा मांगी थी। लेकिन अगले ही दिन एक हादसे में उनकी मौत हो गई।

पुलिस के बयान के मुताबिक सुलभ मोटरसाइकिल से गिर कर घायल हो गए थे। जब तक उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया तब तक उनकी मृत्यु हो चुकी थी। यानी पुलिस ने अपनी तरफ से मामला खत्म कर दिया था। लेकिन मीडिया के एक हिस्से में आलोचना, सुलभ श्रीवास्तव की पत्नी की शिकायत और विपक्षी पार्टियों की मांग के बाद जाकर प्रतापगढ़ पुलिस ने मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में अवैध शराब का व्यापार काफी बड़ा है। हाल ही में अलीगढ़ में अवैध देशी शराब पीने के बाद 35 लोगों की मौत हो गई थी। इसके पहले जनवरी 2021 से ही बुलंदशहर, महोबा, प्रयागराज, फतेहपुर, चित्रकूट, प्रतापगढ़, अयोध्या, हाथरस, आजमगढ़, अंबेडकरनगर आदि जैसे इलाकों से भी अवैध शराब पीकर कई लोगों के मारे जाने की खबरें आई थीं। ऐसे में रिपोर्ट लिखने वाले पत्रकारों पर खतरा मंडरा रहा हो, तो उसमें कोई हैरत नहीं है। दरअसल, ऐसी शिकायतों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। लेकिन प्रतापगढ़ में ऐसा नहीं हुआ। अब जांच कैसी होगी, इसको लेकर भी पूरी तरह आश्वस्त नहीं हुआ जा सकता।


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