सम्पादकीय

बहुत सी चीजें हैं जो हमें जोड़ती हैं, लेकिन उनमें हिंदी नहीं है

Rani Sahu
30 April 2022 12:00 PM GMT
बहुत सी चीजें हैं जो हमें जोड़ती हैं, लेकिन उनमें हिंदी नहीं है
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फिल्म अभिनेता अजय देवगन (Ajay Devgn) को गलत होने पर भी भाषा को लेकर अराजक होने का पूरा अधिकार है

बिक्रम वोहरा

फिल्म अभिनेता अजय देवगन (Ajay Devgn) को गलत होने पर भी भाषा को लेकर अराजक होने का पूरा अधिकार है. हिंदी (Hindi) के प्रति उनका प्रेम प्रशंसनीय है लेकिन इसे राष्ट्रीय भाषा के रूप में प्रचारित करना और लोगों को जोड़ने वाली बताना गलत है क्योंकि ये लोगों को जोड़ती नहीं. अखिल भारतीय स्तर के हिन्दी समाचार बुलेटिन के अलावा और कोई भी वास्तव में शुद्ध हिन्दी न तो लिखता है न ही बोलता है.
हम कई भाषाओं का मिश्रण बोलते हैं जैसे हिंग्लिश, हिंदुस्तानी और देश की छह हजार अलग-अलग बोलियों की इस्तेमाल करते हैं जैसे बिंदास, फंडा और घंटा जो सिर्फ चलते नहीं बल्कि दौड़ते हैं क्योंकि ये राज्य की सीमाओं के पार एक समृद्ध और जीवंत संचार का माध्यम हैं. अपने जोश में अजय देवगन शुद्ध हिंदी को लोगों को बांधने वाली भाषा के रूप में प्रचारित करते हैं मगर कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक मुक्त प्रवाह वाली खिचड़ी भाषा ही ज्यादा आसानी से समझी जाती है.
मगर हिन्दी नहीं.
यदि आप एकता पैदा करने वाली ताकतों को तलाश रहे हैं तो वे हैं भारतीय रेल, सशस्त्र बल, खेल में विजय, सड़क, प्रवासी श्रमिकों की आवाजाही और व्हाट्सएप (तत्काल संचार के कारण).
मगर हिंदी नहीं.
क्षेत्रीय सीमाओं को पार करने के बाद भोजन में भी लोगों को जोड़ने की क्षमता आ जाती है. तो रसम और डोसा और इडली और ढोकला और पनीर और सरसों का साग और बाजरे की रोटी और चाट और भेल और ज़कुटी हमें साथ लाते हैं.
मगर हिंदी नहीं.
दो राज्यों की सीमा पर ली जाने वाली चुंगी हमें तकलीफ देती है और अंतर्राज्यीय कर भी एक गोंद की तरह काम करती है. हम गुस्से में किसी दूसरे के साथ मिलकर बड़बड़ा सकते हैं, क्योंकि देश के अंदर की सीमा को भी पार करने में हमें भुगतान करना पड़ रहा है. यह सचमुच की एकजुटता उत्पन्न करता है क्योंकि दुख भी संगति खोजता है. सचमुच करों में हमें करीब लाने की क्षमता है.
मगर हिंदी नहीं.
उसके बाद प्यार का नंबर आता है, समचुम में. वैवाहिक बंधन और कामदेव दो लोगों में एकता को बढ़ाते हैं. जब एक बंगाली एक राजपूत से शादी करता है, एक तमिल व्यक्त एक गुजराती के लिए सिर के बल गिर जाता है, एक मलयाली एक पंजाबी के साथ संबंध रखता है तो ये सब भी लोगों को जोड़ते हैं. मिलीजुली शादी में बच्चों में कम संकीर्णता पाई जाती है और उनके विचार राष्ट्रीय होते हैं.
उत्कृष्ट से लेकर उतना हास्यास्पद नहीं. अवैध चीजों और कर्मों में भी एक चिपचिपा सा पदार्थ पाया जाता है. अवैध धन, भुगतान, मटका, सट्टा, भूमिगत ब्लैक अर्थव्यवस्था भी दूरियों को कम करती हैं और एक बंधन जैसी हैं. इन सबकी बनावट में एक समानता है – सिस्टम को धोखा देना.
मगर हिंदी नहीं.
युद्ध और संघर्ष में एकता का महान तत्व छुपा हुआ है. राष्ट्रीय गान, राष्ट्रीय ध्वज, अपनेपन की भावना, हम अविभाज्य हैं के साथ नकारात्मक का हम पर जबरदस्त प्रभाव पड़ता है कि हम एक दूसरे से भाग्य साझा करते हैं. पर्यटन और भारत की खोज को भी छूट नहीं दी जा सकती क्योंकि जितना अधिक हम एक-दूसरे को जानते हैं दूरी के आधार उतने ही कम होते जाते हैं. उस हिसाब से धार्मिक उत्साह और अपने देवताओं के लिए हमारा स्नेह एक और खुशी का बंधन है. तीर्थ स्थान और एक सामान्य देवालय, चाहे उन्हें हम किसी भी नाम से जानें, और धर्म हमें यह मसहूस कराता है कि हम सभी एक ही धागे में बिंधे हुए मोती हैं.
मगर हिंदी नहीं.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर तत्काल संचार की शक्ति कई तरह से हमें यह अहसास कराती है कि तकनीक के कारण हम सब एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं. संगीत भी एकता का पाठ पढ़ाता है. तभी पूरे रास्ते हमारे लिए कोलावेरी डी है.
Rani Sahu

Rani Sahu

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