सम्पादकीय

अग्निवीरों की भर्ती पर सुरक्षा एवं सैन्य विशेषज्ञों के अलग-अलग मत आ रहे हैं सामने

Gulabi Jagat
16 Jun 2022 6:46 AM GMT
अग्निवीरों की भर्ती पर सुरक्षा एवं सैन्य विशेषज्ञों के अलग-अलग मत आ रहे हैं सामने
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केंद्र सरकार ने सेना के तीनों अंगों में भर्ती के लिए अग्निपथ नामक जिस योजना की घोषणा की
केंद्र सरकार ने सेना के तीनों अंगों में भर्ती के लिए अग्निपथ नामक जिस योजना की घोषणा की, उस पर व्यापक चर्चा होना स्वाभाविक है, क्योंकि यह अपने ढंग का एक नया प्रयोग है। इसके लिए प्रतीक्षा करनी होगी कि इससे अभीष्ट की पूर्ति हो पाएगी या नहीं? इस प्रश्न पर सुरक्षा एवं सैन्य विशेषज्ञों के अलग-अलग मत सामने आ रहे हैं, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि बदलते समय के साथ सैन्य तंत्र में आमूलचूल परिवर्तन आवश्यक हो गया था। चूंकि युद्ध के तौर-तरीके बदल रहे हैं और उन्हें देखते हुए सभी प्रमुख देश अपनी-अपनी सेनाओं का आधुनिकीकरण करने में लगे हुए हैं, इसलिए भारत के लिए भी यह जरूरी था कि वह अपनी सेनाओं को नए रूप में ढाले, सैनिकों की औसत आयु कम करे और उन्हें तकनीकी कौशल से लैस करने के साथ उनकी दक्षता बढ़ाए।
अग्निपथ योजना के तहत सेनाओं में भर्ती होने वाले युवा अग्निवीर कहलाएंगे, लेकिन वे वास्तव में दक्ष सैनिक ही होंगे। अग्निपथ योजना के इस बिंदु पर सबसे अधिक बहस हो रही है कि चयनित अग्निवीरों में से 25 प्रतिशत को ही उनकी दक्षता और योग्यता के आधार पर सेनाओं में लंबी अवधि के लिए रखा जाएगा। शेष 75 प्रतिशत की सेवा अवधि चार साल की होगी। स्पष्ट है कि चार वर्ष बाद इन अग्निवीरों को अपने लिए रोजगार की तलाश नए सिरे से करनी होगी। इसलिए और भी, क्योंकि उस समय उनकी अधिकतम आयु करीब 25 वर्ष होगी।
यह सही है कि अग्निवीरों को अर्धसैनिक बलों की भर्ती में प्राथमिकता देने के साथ यह भी कहा जा रहा है कि उन्हें अन्यत्र समायोजित करने के हरसंभव प्रयत्न किए जाएंगे, लेकिन अच्छा हो कि इस संदर्भ में ऐसी कोई व्यवस्था निर्मित की जाए, जिससे अग्निवीर चार साल बाद अपने लिए नई नौकरी खोजने की चिंता से मुक्तहोकर पूरे जोश और जज्बे के साथ देश की सेवा कर सकें। जैसे 75 प्रतिशत अग्निवीरों को अर्धसैनिक बलों की भर्ती में प्राथमिकता देने की बात की जा रही है, वैसे ही उन्हें पुलिस की भर्ती में भी वरीयता दी जा सकती है। चूंकि ये अग्निवीर तकनीकी रूप से सक्षम होंगे, इसलिए उनकी इस क्षमता का उपयोग करने के भी उपाय किए जा सकते हैं।
यह अच्छा है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने अग्निवीरों के कौशल और अनुभव को मान्यता देने के साथ उन्हें उच्च शिक्षा में विशेष सुविधा प्रदान करने की तैयारी शुरू कर दी है। अग्निपथ योजना को लेकर जो प्रश्न खड़े किए जा रहे हैं, उनका अपना महत्व है, लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि इस योजना से देश को अनुशासित एवं अपने दायित्वों के प्रति सजग युवा मिलेंगे और ऐसे युवा समाज के लिए एक बड़ी पूंजी बनेंगे।
दैनिक जागरण के सौजन्य से सम्पादकीय
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