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- फिर अशांति की ओर पाक
नवभारत टाइम्स; पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ रविवार को आतंकवाद विरोधी कानून के तहत मामला दर्ज होने के बाद जहां उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है, वहीं देश में सत्ता का संघर्ष और तीखा रूप ले चुका है। इसी साल अप्रैल में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सत्ता से हटाए जाने के बाद से इमरान फिर से चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं। देश भर में रैलियां करते हुए वह न केवल मौजूदा सरकार पर हमले कर रहे हैं बल्कि सेना को भी निशाना बना रहे हैं। इसी क्रम में उनके एक करीबी सहयोगी शहनाज गिल को पिछले दिनों तब गिरफ्तार किया गया जब उन्होंने एक टीवी टॉक शो के दौरान कथित तौर पर सेना के अधिकारियों से आह्वान किया कि वे अपने वरिष्ठ अधिकारियों का आदेश न मानें।
इमरान और उनकी पार्टी का आरोप है कि जेल में शहनाज गिल को बुरी तरह टॉर्चर किया गया। हालांकि सरकार इस आरोप को गलत बताती है, लेकिन इमरान ने यही आरोप दोहराते हुए एक सार्वजनिक सभा में दो पुलिस अफसरों और एक जज के नाम लेकर उनके खिलाफ एक्शन लेने की धमकी दी। इमरान ने वैसे तो कानूनी कार्रवाई की बात कही, लेकिन सरकार ने इसे न्यायपालिका और पुलिस प्रशासन को आतंकित कर उन्हें अपने कर्तव्य पालन से रोकने की कोशिश करार दिया। स्वतंत्र प्रक्षकों ने भी इमरान के इस बयान को गंभीर बताया है।
उनके मुताबिक अगर किसी खास ऑफिसर की कार्रवाई पक्षपातपूर्ण लगती है तो इमरान की पार्टी या उससे जुड़े लोगों के पास उन अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का विकल्प हमेशा खुला है, लेकिन एक पूर्व प्रधानमंत्री जब सार्वजनिक सभा में ऐसी धमकी दे, तो उसके निहितार्थ बहुत दूर तक जाते हैं। बहरहाल, सरकार के पास इमरान खान को गिरफ्तार करने का ठोस आधार भले आ गया हो, उनकी गिरफ्तारी पर पूरे पाकिस्तान में व्यापक प्रतिक्रिया होने के आसार काफी मजबूत बताए जा रहे हैं। सत्ता से बाहर होने के बाद से इमरान की लोकप्रियता बढ़ी है। देश के अलग-अलग हिस्सों में उनकी रैलियों में भीड़ उमड़ रही है। चुनावी कामयाबी भी उनकी इस बढ़ी हुई लोकप्रियता की पुष्टि करती है।
जुलाई में पंजाब प्रांत के स्थानीय चुनावों में उनकी पार्टी पीटीआई ने शानदार कामयाबी हासिल की तो इस महीने देश के व्यावसायिक केंद्र कराची में भी अच्छा प्रदर्शन किया। जाहिर है, पाकिस्तान में चल रहे इस सत्ता संघर्ष में कोई भी पक्ष पीछे हटने की स्थिति में नहीं है। और कदम आगे बढ़ाने का परिणाम देश भर में अशांति और सड़कों पर हिंसक प्रदर्शन के रूप में सामने आ सकता है। पाकिस्तान जिन कठिन आर्थिक चुनौतियों से गुजर रहा है, उनके मद्देनजर इस समय किसी भी तरह की राजनीतिक अस्थिरता और अशांति विशेष रूप से नुकसानदेह होगी।