सम्पादकीय

फिर लॉकडाउन

Triveni
12 March 2021 4:11 AM GMT
फिर लॉकडाउन
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यह बड़ी चिंता का विषय है, देश के लगभग मध्य भाग में स्थित नागपुर में फिर लॉकडाउन की नौबत आ गई है,

जनता से रिश्ता वेबडेसक | यह बड़ी चिंता का विषय है, देश के लगभग मध्य भाग में स्थित नागपुर में फिर लॉकडाउन की नौबत आ गई है, पर उससे भी बड़ी चिंता यह कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने राज्य के अन्य शहरों में भी लॉकडाउन की आशंका जताई है। हालांकि, उनका यह कहना उम्मीद जगाता है कि अभी कोरोना संक्रमण से स्थिति बेकाबू नहीं हुई है। फिर भी लॉकडाउन की वापसी सोचने पर विवश कर रही है। महाराष्ट्र में जलगांव में जनता कफ्र्यू की स्थिति है और अब नागपुर में 15 मार्च से 21 मार्च तक लॉकडाउन हमें सावधान करने के लिए पर्याप्त होना चाहिए। नागपुर में केवल आवश्यक सेवाएं जारी रहेंगी। पिछले महीने ही नागपुर के सभी स्कूल, कॉलेज, कोचिंग संस्थान बंद कर दिए गए थे। बाजार को शनिवार और रविवार को खोलने की अनुमति थी, पर अब पूरी तरह बंदी का एलान कर दिया गया है। ध्यान रहे, इस राज्य में पहले ही सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक आयोजनों में भीड़ पर रोक है।

एक समय पूरे देश में प्रतिदिन कोरोना संक्रमण के कुल दस हजार मामले भी नहीं आ रहे थे, लेकिन अब अकेले महाराष्ट्र में ही 12,000 से ज्यादा मामले आने लगे हैं। अकेले महाराष्ट्र में एक लाख से अधिक सक्रिय मामले हैं। केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र सरकार से उचित ही कहा है कि वह वायरस को हल्के में न ले। स्वास्थ्य मंत्रालय की दैनिक प्रेस ब्रीफिंग में नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वी के पॉल ने कहा है कि महाराष्ट्र में कोरोना मामले का बढ़ना काफी गंभीर है। इससे दो सबक मिलते हैं, वायरस को हल्के में नहीं लेना है और अगर हमें कोरोना से छुटकारा पाना है, तो फिर कोविड-19 से बचाव के दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा। इसमें कोई शक नहीं कि कोरोना के प्रति लोग पहले की तुलना में लापरवाह हुए हैं। हमारी आबादी का एक बड़ा हिस्सा अब मास्क की जरूरत भी महसूस नहीं कर रहा है। टीकाकरण को ही अगर देखें, तो उद्धव ठाकरे देर से टीका लेने वाले मुख्यमंत्रियों में शुमार हैं। महाराष्ट्र में मुंबई में बुधवार को 1,539 मामले, पुणे शहर में 1,384, नागपुर शहर में 1,513, नासिक में 750, यवतमाल जिला 403 और औरंगाबाद में 560 दर्ज किए गए हैं। इन तमाम शहरों में सरकार को लॉकडाउन की जरूरत महसूस होने लगी है। बेशक, कोरोना के खिलाफ युद्ध समाप्त नहीं हुआ है। पर उन छह राज्यों में विशेष कड़ाई की जरूरत है, जहां कोरोना के ज्यादातर मामले दर्ज हो रहे हैं। सभी को मिलकर इसमें अपनी भूमिका का निर्वाह करना है। केरल में मामले आधे हुए हैं, तो महाराष्ट्र में दोगुने से भी अधिक हो गए हैं। विकसित राज्य आखिर देश के सामने कैसी मिसाल पेश कर रहे हैं? ऐसे राज्य, जिन्हें अपनी संपन्नता पर गर्व है, उनके लिए कोरोना परीक्षा बनकर आया है। लोगों को नए सिरे से सावधान होना पड़ेगा। लॉकडाउन की प्रशंसा कोई नहीं करेगा, लेकिन यह देखना भी जरूरी है कि लॉकडाउन की नौबत के लिए कौन जिम्मेदार है? वह सरकार जो बार-बार दिशा-निर्देश जारी करती है या वे लोग, जो एक कान से सुन दूसरे से निकाल देते हैं? टीकाकरण जारी है, तो इसका अर्थ यह नहीं कि हम निडर घूमने लगें। विशेषज्ञों ने भी बता दिया है कि टीकाकरण की अभी जो गति है, हम 2024 में ही सामुदायिक रोग प्रतिरोधक क्षमता हासिल कर सकेंगे। तब तक सतर्कता ही प्राथमिकता है।


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