सम्पादकीय

अमीरों की मुट्ठी में दुनिया पहले से थी, और अब सोशल मीडिया भी…

Rani Sahu
27 April 2022 9:26 AM GMT
अमीरों की मुट्ठी में दुनिया पहले से थी, और अब सोशल मीडिया भी…
x
क्या ट्विटर (Twitter) को खरीदने के लिए एलन मस्क (Elon Musk) का 44 बिलियन डॉलर खर्च करना एक अरबपति की अजीबोगरीब शरारत है

के वी रमेश |

क्या ट्विटर (Twitter) को खरीदने के लिए एलन मस्क (Elon Musk) का 44 बिलियन डॉलर खर्च करना एक अरबपति की अजीबोगरीब शरारत है या दुनिया में अभिव्यक्ति की आजादी (Freedom of Speech) के लिए एक गंभीर खतरा है. इस पर ज्ञानी लोग दिमाग लगा रहे हैं और इसके असर को लेकर वाद-विवाद जारी है. अपने अरबों रुपये के कारण उतावले मस्क अक्सर अपने कथित प्रतिद्वंदियों के साथ मजाक करते रहे हैं. वे किसी प्रोजेक्ट में पैसे लगाने और फिर वापस लेने का करामात भी करते रहते हैं जैसा कि उन्होंने बिटक्वाइन के साथ किया. क्या वे ट्विटर के साथ यही करने जा रहे हैं, जबकि लंबे समय से बुरी हालत में चल रहे इस सोशल मीडिया नेटवर्क का बाजार मूल्य अब बढ़ रहा है? कौन जाने?
लेकिन जो दिलचस्प और रहस्यमयी है वह ये कि मस्क ने सोचा कि ट्विटर 44 बिलियन डॉलर खर्च करने के लायक है. अब यह कोई छोटा-मोटा बदलाव नहीं है. हालांकि यह उनकी अपनी कमाई है, लेकिन 260 अरब डॉलर राशि का छठा हिस्सा खर्च करने का निर्णय आसान नहीं होता. पैसे नहीं कमाने वाली कंपनी पर पैसे खर्च करने के लिए आपको या तो पूरी तरह से पागल होना पड़ता है या आपके पास कोई तरकीब होती है, जिससे आगे वह कंपनी मोटे पैसे कमाने वाली कंपनी में बदल जाए. आखिरकार उन्होंने टेस्ला, स्पेसएक्स, ओपनएआई, न्यूरालिंक, द बोरिंग कंपनी और स्टारलिंक की स्थापना की और उनसे खूब पैसे कमा रहे हैं.
मस्क ने मंगल ग्रह पर मनुष्यों को बसाने की योजना बनाई है
एलन मस्क विक्टोरियन युग के रोथ्सचाइल्ड, कार्नेगी, रॉकफेलर्स और वेंडरबिल्ट्स जैसे कारोबारियों के आधुनिक संस्करण हैं, जिन्होंने कॉरपोरेट्स पर प्रभावी नियंत्रण की कमी का इस्तेमाल व्यापार और औद्योगिक साम्राज्यों के निर्माण के लिए किया. ऐसा 1890 तक चला जब तक अमेरिकी एंटी-ट्रस्ट कानून, शर्मन एंटी-ट्रस्ट अधिनियम नहीं बना. मस्क में भी उनकी ही तरह की प्रवृति और महत्वाकांक्षा स्पष्ट रूप से नजर आती है.
फ्रांसिस ड्रेक, वाल्टर रैले और जॉन हॉकिन्स जैसे निजी युद्धपोत के कप्तान अपनी ताकत का इस्तेमाल जहाजों को लूटने और इंग्लैंड की रानी के नाम पर छापा मारने के लिए करते थे वैसे ही एलन मस्क ट्विटर जैसे जहाजों को पाने के लिए अपना दिमाग और अपनी निजी संपत्ति का इस्तेमाल करते हैं. शिष्टता और हिंसक नहीं होने की प्रवृत्ति को अलग रख दें तो प्रतिद्वंदियों की चीजों पर कब्जा करने में मस्क और मेसर्स ड्रेक, रेले और हॉकिन्स के बीच कोई अंतर नहीं है.
और ब्रिटेन की रानी के लिए लड़ने वाले युद्धपोतों के कप्तान और मस्क के बीच एक समानता भी है. दोनों निडर होकर हमला करने वालों में से और उस हद तक तक जाने को तैयार हैं जहां अब तक कोई नहीं गया हो. मस्क ने 2060 के दशक तक मंगल ग्रह पर मनुष्यों की कालोनी बसाने की योजना तैयार की है. वह मंगल ग्रह पर एक ऐसी सुविधाजनक जगह बनाने का सपना देख रहे हैं जहां इंसान आसानी से बस सकें. एशली वेंस का मई 2015 में ब्लूमबर्ग में लेख मस्क के अंतरिक्ष के सपनों के बारे में काफी कुछ खुलासा करता है.
क्या मस्क दुनिया के लिए अच्छे साबित होंगे?
लेख में उल्लेख किया गया है कि मस्क ने 2002 में मंगल ग्रह पर एक अंतरिक्ष स्टेशन लॉन्च करने योग्य एक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल हासिल करने के लिए मॉस्को की दो यात्राएं कीं. पहली यात्रा पर रूसियों ने सोचा कि यह आदमी पागल है और उसके पास मिसाइल के भुगतान करने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं हैं. वेंस लिखते हैं कि दूसरी बार मस्क पहले से ज्यादा तैयारी के साथ गए और अपने साथ मस्क ग्रिफिन को भी ले गए जिन्होंने नासा जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के लिए काम किया था. इस बार मूल्य निर्धारण के सवाल पर बातचीत विफल हो गई. मस्क तीन इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल खरीदना चाहते थे और रूसी प्रत्येक के लिए 8 मिलियन डॉलर की मांग कर रहे थे. मस्क ने दो आईसीबीएम के लिए 8-8 मिलियन डॉलर की पेशकश की. रूसियों को यह मंजूर नहीं था.
मस्क बैठक से बाहर निकल कर अमेरिका लौट आए और फैसला किया कि अब वे खुद रॉकेट का निर्माण करेंगे. उन्होंने रॉकेट निर्माण और अंतरिक्ष यात्राओं के मूल सिद्धांतों को पढ़ा और इस तरह स्पेसएक्स की स्थापना हुई. मस्क इसके बारे में इतने उत्साहित थे कि उन्होंने मंगल ग्रह पर पहले एक छोटे से ग्रीनहाउस की योजना बनाई. इसमें पृथ्वी से पौधे को रेगोलिथ (मंगल ग्रह की मिट्टी) में रखने की अवधारणा है जो वहां पर मनुष्यों के लिये जरूरी ऑक्सीजन तैयार करेगा. यह विचार भले ही हास्यास्पद लगे, लेकिन एक हॉलीवुड फिल्म, द मार्शियन इसी विचार पर आधारित है.
यह देखते हुए कि मस्क अब विचारों का आदान-प्रदान करने वाले सबसे बड़े सोशल मीडिया ट्विटर (हालांकि यहां पर आपको जो मिलता है उसमें कचरा ज्यादा हो सकता है) के मालिक होंगे, प्रश्न उठता है क्या मस्क दुनिया के लिए अच्छे साबित होंगे? बल्कि, क्या मस्क और मार्क जुकरबर्ग (व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम), गूगल और जेफ बेजोस (वाशिंगटन पोस्ट और कई दूसरे मीडिया प्लेटफॉर्म) जैसे तकनीकी प्लेटफॉर्म के आधार पर अरबपति बने लोगों का इन पर नियंत्रण ठीक है?
मस्क की प्रशंसा नहीं करना मुश्किल है
कई लोग बड़ी तकनीक के पक्ष में तर्क देते हैं. वे कहते हैं, सरकारें या यूं कहें कि राजनेता अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का इस्तेमाल या दुरुपयोग करते हैं. एक बार बाजार की उथल-पुथल में आने के बाद मीडिया सरकारी चंगुल से मुक्त हो जाएगा. लेकिन, जबकि सरकारें वास्तव में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर कभी सख्ती तो कभी ढील देने का खेल खेलती रही हैं और कॉरपोरेटों से पैसे लेती रही हैं क्योंकि वे अपने मतदाताओं के प्रति भी जवाबदेह होती हैं.
मगर अब एक अरबपति ने फैसला किया है कि वह एक कदम आगे जाकर मीडिया को खरीदेगा और इसे बाजार की एक वस्तु के रूप में बदल देगा. दूसरे शब्दों में अमीर लोगों में चीजों को अपने कब्जे में करने का गुण होता है और देर सबेर वो मनचाही चीज हासिल भी कर ही लेते हैं.
आज के जमाने के अमीर लोग अभिव्यक्ति के व्यवस्थित वैश्विक तंत्र को तोड़ रहे हैं. इस चक्कर-घिरनी वाले खेल में कोई नहीं जानता कि जब एक अरबपति चक्र को घुमाएगा तो वह कितने प्वाइंट वाले घेरे में जाकर रुकेगी. सरकारें तो बुरी चीजों के लिए जानी ही जाती हैं. दरअसल, यहां एक दुविधा है. अभिव्यक्ति की आज़ादी दो पाटों के बीच फंस गई है. इसमें बस एक ही बात निश्चित है कि जो कुछ भी होने जा रहा है वह लंबे समय में अच्छे के लिए नहीं हो रहा है, चाहे फिलहाल यह किसी के भी पक्ष में हो.
अब मस्क पर लौटते हैं. मस्क की प्रशंसा नहीं करना मुश्किल है. उनके बारे में कोई कुछ भी सोचे, मस्क महज एक भटके हुए शख्स नहीं हैं. वह कभी-कभी शरारत कर सकते हैं जैसे कि बिटकॉइन का समर्थन करना और बाद में इसे छोड़ देना, क्रिप्टोकरेंसी के पीछे भागना और एक टनल ड्रिल करने की कंपनी बनाना और उसका नाम द बोरिंग कंपनी रखना जिससे लगे कि वो अपनी नीरसता को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं. वे निश्चित रूप से एक दूरदर्शी हैं, भले ही उनके विचार उदारवादियों को पसंद नहीं आए. मानवता पर असर से बेखबर रहते हुए प्रौद्योगिकी को लेकर उनका जुनून दर्शाता है कि वे उस मिट्टी के बने हैं जो नई-नई जगह पर जाकर नई खोज करता हो. एलन मस्क हमारे वक्त के कैप्टेन अहाब हैं जो एक मायावी व्हेल मछली का शिकार करना चाहता है. ऐसे में बस एक विचार कष्ट देता है: क्या हम वही व्हेल मछली तो नहीं हैं?
Rani Sahu

Rani Sahu

    Next Story