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By विवेकानंद शांडिल
पीएम नरेंद्र मोदी के केन्द्रीय सत्ता में आगमन के बाद भारत के वैश्विक आयामों को एक नई ऊँचाई हासिल हुई है। उनके ये आयाम आत्मनिर्भरता, जन-केन्द्रित शासन, मानवीय दृष्टिकोण, रक्षा व्यवस्था में सुधार, समाजार्थिक और सांस्कृतिक उत्थान जैसे कई बिन्दुओं पर आधारित हैं।
आतंरिक या बाह्य खतरों के खिलाफ जंग हो या कोरोना वैश्विक महामारी से निपटने की चुनौती, पीएम मोदी के नेतृत्व को पूरी दुनिया ने न सिर्फ सराहा है, बल्कि उनके मार्गों को अपनाया भी है।
पीएम मोदी चरमपंथ के खिलाफ दुनिया को एक सूत्र में पिरोने में अभूतपूर्व रूप से सफल रहे। यह वास्तवक में उनके उत्कृष्ट कूटनीतिक कौशल का ही नतीजा है कि आज अपनी विस्तारवादी कुंठा से ग्रस्त चीन और आतंकवादियों का पनाहगार पाकिस्तान पूरी दुनिया से अलग-थलग है।
कोरोना कालखंड में हमारी आपूर्ति श्रृंखला बुरी तरह से प्रभावित हुई। इस वजह से आज वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य तेजी से बदल रहे हैं। एक तरफ, चीन द्वारा ताइवान के घेराव के कारण तनाव की भयावह स्थिति बन चुकी है, तो दूसरी ओर यूक्रेन – रूस के बीच कई महीनों से जारी युद्ध वैश्विक शांति के लिए खतरा बना हुआ है।
कई विशेषज्ञ इन हालातों को तीसरे विश्व युद्ध के संकेत बता रहे है, जिसे किसी भी स्थिति में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। अगर हम तथ्यों पर गौर करें, तो रूस – यूक्रेन के बीच युद्ध को रोकने के लिए अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस व जर्मनी जैसे विकसित देशों ने कई बार प्रयास किया लेकिन युद्ध रूकने के बजाय और तीव्र हुआ। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि वो रूस – यूक्रेन युद्ध में किसी भी देश की दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं करेंगे। ऐसे में अब दुनिया फिर से एक बार भारत की ओर देख रही है।
यूक्रेन – रूस के बीच मध्यस्थता के लिए संयुक्त राष्ट्र (UN) में मोदी का नाम
मेक्सिको ने रूस–यूक्रेन के बीच स्थायी शांति कायम करने के लिए संयुक्त राष्ट्र (UN) के सामने एक समिति बनाने का प्रस्ताव रखा है। इसमें पीएम मोदी के अलावा पोप फ्रांसिस और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस को समिति का सदस्य बनाने की मांग उठाई गई है।
SCO समिट में पुतिन को मोदी की नसीहत
हाल ही में 15–16 सितंबर को उज्जेबिकस्तान में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में प्रधानमंत्री मोदी ने हिस्सा लिया। इस दौरान पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने मुलाकात के बाद मीडिया के सामने प्रेस स्टेंटमेंट दिया।
इस दौरान पीएम मोदी ने अपने वक्तव्य में यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने में मदद करने के लिए पहले पुतिन और रूस का धन्यवाद किया और फिर पुतिन को शांति कायम करने के लिए डायलॉग, डेमोक्रेसी और डिप्लोमेसी का मंत्र देते हुए नसीहत दी कि 'यह युद्ध का समय नहीं है'।
UN में फ्रांस ने भी मोदी के बयान को सराहा
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें सत्र में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने SCO समिट में मोदी और पुतिन की मुलाकात को सराहा है और इस दौरान मोदी द्वारा पुतिन को दी गई नसीहत की तारीफ करते हुए कहा कि मोदी ने सही कहा कि 'यह युद्ध का समय नहीं है'।
अमेरिका भी मोदी का मुरीद
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलीवन ने भी SCO में पुतिन को मोदी द्वारा दिए गए शांति के मंत्र को सराहा और ऐतिहासिक बताया। वहीं व्हाइट हाउस ने मोदी के बयान का स्वागत किया है।
क्या हैं मायने
भारत अपने विदेश नीति को लेकर हमेशा तटस्थ रहा है। वहीं, हाल के वर्षों में चीन से तनाव के बाद स्वास्थ्य, उर्जा, रक्षा, तकनीकी और सामरिक क्षेत्र में भारत-अमेरिका के संबंधों में काफी घनिष्ठता आई है। चूंकि, इन दोनों देशों का इतिहास लगभग एक समान रहा है और लोकतंत्र में आस्था भी एक जैसी ही है, तो जाहिर है कि समरकंद में पीएम मोदी द्वारा लोकतंत्र के उद्घोष से लोकतंत्र विरोधी चीन को कड़ा संदेश गया होगा।
वहीं, रूस से भारत की घनिष्ठता इतनी मजबूत है कि उसके बीच कोई आ ही नहीं सकता है और अमेरिका भी भारत के बयान पर अपनी खुशी को जाहिर कर ही चुका है। उम्मीद करनी चाहिए कि पीएम मोदी का यह प्रयास वैश्विक शांति को स्थापित करने में एक मील का पत्थर साबित होगा।
Rani Sahu
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