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पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय के साथ भेदभाव, उत्पीड़न और उनके उपासना स्थलों में तोड़फोड़ की घटनाएं अक्सर सामने आती रहती हैं। कराची शहर के एक हिंदू मंदिर में तोड़फोड़ की घटना इसका ताजा उदाहरण है।हालांकि कराची पुलिस ने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिलाया है, पर इससे वहां के उपद्रवी और नफरत फैलाने वाले लोगों पर कितना अंकुश लग पाएगा, कहना मुश्किल है। कुछ दिनों पहले भी एक मंदिर में इसी तरह तोड़-फोड़ की गई थी। करीब दो साल पहले एक गुरद्वारे पर हमला किया गया था। ताजा मामले में भारत सरकार ने सख्त एतराज जताया है।हालांकि पाकिस्तान सरकार का दावा है कि वह किसी भी धर्म के विरुद्ध अपमानजनक गतिविधि के विरुद्ध सख्त है। पर अगर यह सही है, तो फिर वहां ऐसी घटनाओं पर विराम क्यों नहीं लग पाता। वहां ईशनिंदा कानून है, जिसके तहत अगर कोई इस्लाम के खिलाफ कुछ बोलता है, तो उसे सलाखों के पीछे डाल दिया जाता है, फांसी तक की सजा सुना दी जाती है। कई मामलों में तो ईशनिंदा करने वालों की हत्या कर दी गई। फिर दूसरे धर्मों के उपासना स्थलों के निरादर पर ढुलमुल रवैया क्यों होना चाहिए?
सोर्स-jansatta