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- इस दादी मां पर पूरे...
यह सच है कि नाम कमाने के लिए पूरी उम्र बीत जाती है परंतु यह भी उतना ही सच है कि रिकार्ड बनाने के लिए अगर आपमें हिम्मत, जज्बा और तपस्या है तो कुछ भी किया जा सकता है। जी हां, दिल्ली में नजफगढ़ की रहने वाली दादा अम्मा ने वल्र्ड मास्टर एथलेटिक्स में गोल्ड मेडल जीतकर एक इतिहास बना लिया और सिद्ध कर दिया कि अगर इरादे बुलंद हो तो 94 साल की उम्र में भी सबकुछ संभव है। इतना ही नहीं श्रीमती भगवानी देवी ने दो ओर मेडल भी जीते हैं और दो दिन पहले जब वह फिनलैंड में इस इंटरनेशनल प्रतियोगिता में गोल्डन इतिहास स्थापित करने के बाद दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंची तो परिवार के लोगों ने उन्हें गले से लगा लिया। इस 94 वर्षीय दादा मां को इस इतिहास तक पहुंचाने में उनका पौता एक बहुत शानदार भूमिका अदा करता रहा और वह यह थी कि जो-जो दादी कहती गयी वह वैसा ही करता गया। मैं स्वयं पिछले 18 वर्ष से वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब के सीनियर सिटीजन सदस्यों के सम्मान की सुरक्षा और इस ढलती उम्र में उन्हें व्यस्त रखने के लिए सक्रिय रही हूं। इसलिए बुजुर्गों में छिपे टैलेंट को पहचानती हूं। चाहे नाच-गाना हो या फैशन परेड या नाटक या फिर अन्ताक्षरी कार्यक्रम या मोनो एक्टिंग और अभिनय से जुड़े अन्य गतिविधियां हों, हमारे क्लब के सदस्य अपने हुनर का लौहा मनवा चुके हैं और सबके सब आज भी बड़ी जिन्दादिली के साथ जी रहे हैं। लेकिन श्रीमती भगवानी देवी अगर 94 साल की उम्र में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में देश के लिए गोल्ड मैडल जीतती हैं तो यह एक असाधारण प्रतिभा है। इसीलिए प्रतिभा को मेरी तरफ से और मेरे क्लब की तरफ से बहुत-बहुत बधाई। उम्र के मामले में कभी किसी को कम नहीं आंकना चाहिए। हमारे भारत के सीनियर सिटीजन और हमारे वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब में अलग-अलग क्षेत्रों में इतनी टैलेंटिड सदस्य हैं कि वे सितार, ढोलक, इलैक्ट्रिक गिटार जब बजाते हैं कि अच्छे से अच्छे आर्केस्ट्रा ग्रुप या म्युजिक बैंड भी हैरान हो जाते हैं।मुझे बताया गया है कि श्रीमती भगवानी देवी का पौता विकास खुद एक अंतर्राष्ट्रीय पैरा एथलिट है और दादी अम्मा घर में हर किसी को खेल जगत से जोडऩे के लिए अगर प्रेरित करती रहती थी तो उसके पीछे वजह यह थी कि वह 80 साल पहले अपने स्कूली जीवन में कबड्डी खेला करती थी। एक दिन पौते विकास ने अपनी दादी के हाथ में लोहे की एक गेंद रख दी और कहा कि दादी कितनी भारी है। अगले ही दिन दादी मां सुबह-सुबह रोज के खेत में पहुंच गयी और उस गेंद को एक हाथ से फेंकने लगी। जी हां यह डिस्कस थ्रो थी और उसके पोते ने देखा कि दादी मां गेंद को काफी दूर फेंक रही है। विकास ने राजधानी में दिल्ली मास्टर चैंपियनशीप के बारे में पता किया और दादी को इसमें सम्मलित करवाया। बुजुर्गों के लिए इस प्रतियोगिता में दादी ने तीन गोल्ड जीत लिये और वहीं से भगवानी देवी का सिस्टम बन गया कि वह ककरौला के स्टेडियम में पौते के साथ आती और प्रेक्टिस करने लगी। औरतों के बारे में कहा जाता है कि 70-75 की उम्र बहुत होती है परंतु भगवानी देवी ने यह इंटरनेशनल रिकार्डबनाकर देश की अन्य महिलाओं के लिए एक प्रेरणा गाथा लिखी है कि आओ अपने आपको फिट रखने के बाद किसी न किसी खेल की गतिविधि में जुड़े रहो। जीवन में कहा भी गया है कि सबसे बड़ी पूंजी हैल्थ है अर्थात हैल्थ इज वैल्थ। इतना ही नहीं यूथ और छोटे बच्चे भी 94 वर्षीय भगवानी देवी से प्रेरणा ले सकते हैं। जीवन में कुछ हासिल करने के लिए सुख छोडऩे पड़ते हैं और मेहनत करनी पड़ती है। भगवानी देवी ने भी 29 साल की उम्र में पति को खो दिया था और 11 साल की बेटी भी चल बसी। ऐसे में उनकी जिंदगी में खेल नाम का महत्व खत्म हो कर रह गया। लेकिन उन्होंने अपने पौते विकास को खेलते देखा तो अपने पुराने बचपन के दिन याद किए।संपादकीय :अपने ही ताने-बाने में उलझा ड्रैगन'गजवा-ए-हिन्द' के जहरीले नाग'आदमी' से 'इंसान' होना जरूरीदाखिले का नया सिस्टमलोकतन्त्र में लावारिस विपक्षऋषि सुनक : सबसे आगे होंगे हिन्दुस्तानीआज जो करिश्मा उन्होंने किया वह पूरे देश के लिए नाज है। आपको एक बात बता दें कि जिस 100 मीटर दौड़ में उन्होंने गोल्ड मेडल जीता उसका समय 24.74 सैकेंड है। यानि यह एक राष्ट्रीय रिकार्ड है जिसे भगवानी देवी ने 94 की उम्र में बराबर किया है। कुल मिलाकर देश को सोचना चाहिए कि जब खुद देश के प्रधानमंत्री मोदी खेलों से जुडऩे का आह्वान करते हैं तो उसका पालन करना हमारा धर्म बन जाता है और हम तो यही कहेंगे कि फिट रहने के लिए खेलना चाहिए यही सबसे बड़ा मंत्र जीवन का होना चाहिए। योग को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने में प्रधानमंत्री मोदी का ही बड़ा हाथ है। लोगों को प्रेरित करने के लिए कुछ न कुछ करने के लिए तो आगे आना ही पड़ता है। श्रीमती भगवानी देवी भी यही कहती है कि जीवन में अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए खेलते रहना चाहिए। मुश्किलें किसके जीवन में नहीं आती लेकिन भगवानी देवी की व्यथा बहुत दु:ख भरी है लेकिन फिर भी अपने आपको फिट रखकर जीया यह अपने आपमें उदाहरण है। सच बात तो यह है कि हमारे वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब के सदस्य भी जीवन में मस्त रहने के लिए तरह-तरह की रोचक गतिविधियों में हिस्सा लेते रहते हैं। बात सम्मान सुरक्षा की है लेकिन सीनियर सीटिजन निराश न हो और वह किसी को भी प्रेरणा का स्रोत मानकर आगे बढऩे के लिए तैयार रहें देश की इस 94 वर्षीय दादी मां भगवानी देवी ने जिस तरह से प्रेरित किया है वह भारत माता की सच्ची बेटी है और वह एक माता भी है तभी उन्हें दादी मां कहते हैं लेकिन उनके कार्य, उनकी मेहनत, उनकी निष्ठा किसी भारत माता से कम नहीं। सचमुच ऐसी भारत माता को उनके बुलंद हौसलों के लिए कोटि-कोटि नमन है।
लेखक: Kiran Chopra