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आज से 17 वर्ष पहले सरकार ने आरटीआई एक्ट यानी सूचना का अधिकार जनता को दिया और इस अधिकार से भ्रष्टाचार और अनियमितताएं करने वालों पर नकेल कसी जाती रहा है, लेकिन पिछले कुछ सालों से ऐसा लगने लगा है कि इस संस्था को कमजोर किया जाने लगा है। सूत्रो की मानें तो 3.50 लाख अपील और शिकायतें लंबित हंै। मजे की बात है कि लगभग 165 चीफ इनफॉरमेशन कमिशनरों और इनफारमेशन कमिशनरों में से 40 से ऊपर खाली पदों को भरा नहीं गया है, जबकि आरटीआई के महत्व को कम करने और नकारने का कोई औचित्य नही रहता है। सरकार से अपेक्षा की जाती है कि वह आरटीआई एक्ट को और मजबूती प्रदान करे ताकि आरटीआई एक्ट में प्रावधानों के माध्यम से आम जनता का हाथ भ्रष्टाचारियों तक पहुंचे।
-रूप सिंह नेगी, सोलन
By: divyahimachal
Rani Sahu
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