सम्पादकीय

तालमेल से ही खुलेगी राह

Subhi
28 Nov 2022 5:40 AM GMT
तालमेल से ही खुलेगी राह
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संविधान दिवस के मौके पर शनिवार को जिस तरह से कार्यपालिका और न्यायपालिका के अहम सदस्यों ने संविधान के प्रति निष्ठा दोहराते हुए आपसी तालमेल के साथ आगे बढ़ने की जरूरत बताई, वह सिर्फ औपचारिकता नहीं थी।

नवभारत टाइम्स; संविधान दिवस के मौके पर शनिवार को जिस तरह से कार्यपालिका और न्यायपालिका के अहम सदस्यों ने संविधान के प्रति निष्ठा दोहराते हुए आपसी तालमेल के साथ आगे बढ़ने की जरूरत बताई, वह सिर्फ औपचारिकता नहीं थी। प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश और कानून मंत्री समेत कई अन्य महत्वपूर्ण लोगों की मौजूदगी में संवैधानिक मूल्यों की सर्वोच्चता रेखांकित करते हुए जिस तरह से शासन के दोनों अंगों के बीच सामंजस्य बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया गया, वह परोक्ष रूप से इसे लेकर सुधार की ओर संकेत करता है। देश के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने लोगों के न्यायपालिका तक आने का इंतजार करने के बजाय न्यायपालिका के लोगों तक पहुंचने की बात तो कही ही, अपने कार्यों, फैसलों पर विचार करने और पूर्वाग्रहों पर सवाल उठाने की भी जरूरत बताई।

एक दिन पहले ही उन्होंने इस बात पर बल दिया था कि केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट एक दूसरे में कमी देखते नहीं रह सकते। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने इस बात पर खास जोर दिया कि उनके मुख्य न्यायाधीश समेत तमाम न्यायाधीशों से सौहार्दपूर्ण संबंध रहे हैं और दोनों संस्थाएं सहयोगपूर्ण ढंग से काम करना जारी रखेंगी। ध्यान रहे, कानून मंत्री पिछले कुछ समय से जजों की नियुक्ति के कलीजियम सिस्टम की कड़ी आलोचना करते रहे हैं। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कलीजियम की ओर से की गई कुछ सिफारिशों को अभी तक मंजूर नहीं किया है, जिसे लेकर न्यायपालिका में थोड़ी असहजता है। एक दिन पहले ही एक अन्य कार्यक्रम में रिजिजू ने कहा कि कलीजियम सिस्टम में पारदर्शिता का अभाव है और यह संवैधानिक मूल्यों की कसौटियों पर खरा नहीं उतरता।

वैसे, कलीजियम सिस्टम की कई बिंदुओं पर काफी पहले से आलोचना होती रही है। ऐसे में केंद्र सरकार या कानून मंत्री की भी इस बारे में अपनी राय हो सकती है, लेकिन यह याद रखना होगा कि कोई भी सिस्टम त्रुटियों से पूरी तरह मुक्त नहीं होता। ऐसे में जब तक कलीजियम सिस्टम की जगह कोई अन्य बेहतर सिस्टम नहीं आ जाता, तब तक इसी से सर्वश्रेष्ठ संभव नतीजे लाने की कोशिश की जानी चाहिए। और कोई भी सिस्टम सही नतीजे तब तक नहीं दे सकता जब तक शासन के सभी महत्वपूर्ण अंग आपसी तालमेल और सामंजस्य के साथ इसे लागू करने का प्रयास न करें। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह कहना महत्वपूर्ण है कि भारत का संविधान ही इसकी सबसे बड़ी ताकत है। उन्होंने देशवासियों से अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्तव्यों पर भी ध्यान देने का आह्वान किया। यह एक ऐसा भाव है जो सही अर्थों में अपनाया जाए तो शासन के विभिन्न अंगों के बीच टकराव की स्थिति को आसानी से टाल सकता है। संविधान दिवस के मौके पर जिस तरह की समझदारी सभी पक्षों ने दिखाई है, उसी में आगे बढ़ने के सूत्र भी निहित हैं। देखना सिर्फ यह है कि विभिन्न पक्ष उस पर अमल करने में कितनी तत्परता दिखाते हैं।


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